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Uttarakhand: उत्तराखंड में महिलाओं को मिला क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार, राज्यपाल ने विधेयक को दी मंजूरी

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 10 Jan 2023 08:24 PM IST
सार

Women Horizontal Reservation Bill News:  राजभवन को 14 विधेयक मंजूरी के लिए भेजे गए थे। इनमें से महिला आरक्षण समेत 12 को मंजूरी मिल गई है।

राज्यपाल गुरमीत सिंह, सीएम पुष्कर सिंह धामी
राज्यपाल गुरमीत सिंह, सीएम पुष्कर सिंह धामी - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

उत्तराखंड में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार मिल गया है। आरक्षण का लाभ उन सभी महिलाओं को मिलेगा, जिनका उत्तराखंड राज्य का अधिवास (डोमिसाइल) है। बेशक वे राज्य से बाहर किसी भी स्थान पर निवास कर रही हों।



राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह (सेनि.) ने मंगलवार को उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी। राजभवन से विधेयक को विधायी विभाग भेज दिया गया है, जिसका गजट नोटिफिकेशन जल्द जारी हो जाएगा।

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प्रदेश सरकार ने 30 नवंबर 2022 को विधानसभा में बिल को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा था। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में 14 विधेयक पारित हुए थे। अधिकतर संशोधित विधेयक थे, इनमें महिला आरक्षण बिल भी शामिल था। विधेयक की मंजूरी का बेताबी से इंतजार हो रहा था। दरअसल, राजभवन से ज्यादातर विधेयकों को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन महिला क्षैतिज आरक्षण बिल विचाराधीन रहा। राजभवन ने विधेयक को मंजूरी देने से पहले इसका न्याय और विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराया। इससे विधेयक को मंजूरी मिलने में एक महीने का समय लग गया।

महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर कब क्या हुआ

  • 18 जुलाई 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया।
  • 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन तिवारी सरकार ने इसे 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।
  • 26 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।
  • 04 नवंबर 2022 को सरकार की  एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी ।
  • 29 नवंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पेश किया।
  • 30 नवंबर 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा।
  • 10 जनवरी 2022 को  राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दे दी।

हाईकोर्ट ने महिला आरक्षण पर लगा दी थी रोक

हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी। हरियाणा की पवित्रा चौहान व अन्य अभ्यर्थियों ने यह याचिका दायर की थी।


सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रोका, आरक्षण बरकरार रहा

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार की विशेष अनुग्रह याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इस तरह आरक्षण बरकरार रहा। सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले में सात फरवरी को सुनवाई होनी है।
 

12 विधेयकों को मिली मंजूरी, दो शेष 

राजभवन को 14 विधेयक मंजूरी के लिए भेजे गए थे। इनमें से महिला आरक्षण समेत 12 को मंजूरी मिल गई है। जबकि भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक और हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक को राजभवन से अभी मंजूरी नहीं मिली है। 

मैं राज्यपाल का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। यह कानून निश्चित तौर पर मातृशक्ति के सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राज्य के विकास में अतुलनीय योगदान देने वाली नारी शक्ति के उत्थान के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

महिला क्षैतिज आरक्षण विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। विधायी विभाग को विधेयक प्राप्त हो गया है। राज्यपाल की मंजूरी के साथ ही यह अधिनियम बन गया है। 
- महेश कौशिबा, अपर सचिव, विधायी
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