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उत्तराखंड विधानसभा: पांच दिवसीय मानसून सत्र का आगाज, श्रद्धांजलि और संवेदनाओं को समर्पित रहा पहला दिन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Mon, 23 Aug 2021 10:34 PM IST
सार

2022 के चुनाव को देखते हुए विपक्ष सदन में सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेगा। वहीं, सरकार ने भी विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों पर जवाब देने की रणनीति बनाई है।

Uttarakhand Assembly Monsoon Session 2021: Five days Assembly  Session starts from Today
उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते सीएम - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। सत्र का पहला दिन केंद्र, उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड की सियासत में अपने राजनीतिक कौशल का लोहा मनवाने वाले दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित रहा। नेता प्रतिपक्ष रहीं स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह समेत सात दिवंगत नेताओं को याद कर सदन गमगीन हो गया। सत्तापक्ष और विपक्ष ने दिवंगतों के संस्मरणों को साझा किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। समूचे सदन ने सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दो-दो मिनट का मौन रखा। 



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सोमवार सुबह 11 बजे राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम से सदन की कार्यवाही शुरू हुई। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने सदन में निधन सूचनाएं रखी। नेता प्रतिपक्ष स्व. इंदिरा हृदयेश, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, विधायक गोपाल रावत, पूर्व मंत्री नरेंद्र भंडारी, पूर्व सांसद बच्ची सिंह रावत, अमरीश कुमार व खटीमा के पूर्व विधायक श्रीचंद को याद किया। सत्र के शुरुआत में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों ने स्व. इंदिरा हृदयेश के साथ उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीतिक सफर के अनुभवों को साझा किया। संसदीय कार्यों की ज्ञाता और एक शिक्षक नेता के रूप में इंदिरा हृदयेश के योगदान को याद किया गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नेता प्रतिपक्ष रही स्व.इंदिरा हृदयेश, गंगोत्री के विधायक गोपाल रावत, हरिद्वार के पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार, पूर्व शिक्षा मंत्री नरेंद्र भंडारी, पूर्व विधायक बच्ची सिंह रावत को सदन में श्रद्धांजलि अर्पित की। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कल्याण सिंह के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, यतिश्वरानंद, बंशीधर भगत, अरविंद पांडे, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, विधायक देशराज कर्णवाल, संजय गुप्ता, राजकुमार ठुकराल सहित अन्य ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

बोलने और काम करने की शैैली थी समान

दीदी का स्मरण करता हूं तो लगता नहीं है कि वे अब हमारे बीच नहीं है। शिक्षक नेता के रूप में उनका कार्यकाल रहा है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में चार बार सदस्य रहीं और सर्वाधिक मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी इंदिरा जी के नाम है। उन्हें राजनीति का लंबा अनुभव था। लेकिन कभी भी व्यवहार में अंतर नहीं आया। 2002 में जब मैं एबीवीपी का प्रदेश अध्यक्ष था और इंदिरा सरकार में मंत्री थी। एक बार उनसे मिलने गया तो दीदी ने कहा तुम सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हो और काम कराने भी आते हो। गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान मिलने के लिए इंदिरा जी के कमरे गए थे, तो उन्होंने ब्रेड पर बटर खुद लगा कर परोसे। उनके बोलने और काम करने की शैली समान थी।
-पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री एवं नेता सदन

पक्ष और विपक्ष में समन्वय बनाने किया काम
नेता प्रतिपक्ष के रूप में इंदिरा हृदयेश की जगह बैठने में असहज महसूस कर रहा हूं। नए नेताओं का मार्गदर्शन करने में इंदिरा जी अग्रणी नेताओं की पंक्ति में थी। पक्ष और विपक्ष के साथ समन्वय बनाने का काम किया। चार बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद में रहते हुए ईमानदारी से कार्य किया। राज्य गठन के बाद उत्तराखंड के विकास और सड़कों के निर्माण किए गए कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
-प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष

संसदीय ज्ञान की भंडार थी इंदिरा
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन की सूचना मिलते ही मैं सन्न सा रह गया था। राजनीति में इंदिरा जी ने आयरन लेडी के रूप में अपनी छाप छोड़ी है। उनके पास संसदीय ज्ञान का भंडार था। उनके निधन से कांग्रेस को ही नहीं पूरे प्रदेश को क्षति हुई है।
-बंशीधर भगत, संसदीय कार्य मंत्री

और मेरे सपनों में आती रही दीदी

दीदी इंदिरा हृदयेश अच्छे कार्यों की सराहना भी करतीं थीं। जहां उन्हें लगाता था कि ठीक नहीं है तो उस पर सख्त टिप्पणी करने में पीछे नहीं रही। हाल ही में मैं दिल्ली गया। उत्तराखंड सदन में 303 कमरे में ठहरा जहां पर इंदिरा जी का निधन हुआ। दीदी का स्मरण किया। रात भर दीदी सपनों में आती रही।
-प्रेम चंद अग्रवाल, अध्यक्ष विधानसभा

दलगत सीमा से ऊपर उठकर किया काम

डा. इंदिरा हृदयेश ने राजनीतिक जीवन में दलगत सीमा से ऊपर उठ कर काम किया। अफसरशाही पर उनका कंट्रोल था। मैंने उनका नाम झांसी की रानी रखा था। पूर्व सीएम स्व. नारायण दत्त तिवारी के बाद संसदीय ज्ञान सबसे ज्यादा इंदिरा जी को था। उनमें सबको साथ लेकर चलने की क्षमता था।
-सुबोध उनियाल, कैबिनेट मंत्री

मुझे इंदिरा जी के साथ और विरोध में काम करने का मौका मिला। 2000 में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के लिए इंदिरा हृदयेश का नाम तय हो गया था। लेकिन रातों रात पार्टी नेतृत्व ने नाम परिवर्तन कर हरीश रावत को अध्यक्ष बनाया गया। जिससे इंदिरा निराश हो गई थी। गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान हमारे लिए दीदी कमरे से ही खाना आता था। राजनीति के क्षेत्र में गिनी चुनीं महिलाएं ही आगे बढ़ी है। जिसमें इंदिरा हृदयेश भी एक है।
-हरक सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री

सदन में इन मंत्रियों व सदस्यों ने भी दी श्रद्धांजलि
सदन के पहले दिन डा. इंदिरा हृदयेश के स्मरण में विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज यशपाल आर्य, गणेश जोशी, अरविंद पांडेय, स्वामी यतीश्वरानंद, उप नेता प्रतिपक्ष करन महरा, विधायक मदन कौशिक, काजी निजामुद्दीन, ममता राकेश,  राजकुमार ठुकराल, महेंद्र भट्ट, रीतू खंडूड़ी, प्रीतम सिंह पंवार, नवीन दुमका, विनोद चमोली, केदार सिंह ने यादों को सांझा किया।
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