महिलाओं के उत्थान कार्य करने वाली दून की श्रुति कौशिक अब शहर से पिंक शी-कैब टैक्सी सर्विस शुरू करेंगी। सहेली फाउंडेशन की ओर से संचालित प्रदेश की पहली शी-कैब सर्विस में ड्राइवर भी महिलाएं ही होंगी। जिससे महिलाएं सुरक्षित सफर कर सकेंगी। फिलहाल दून, हरिद्वार, मसूरी, ऋषिकेश, जौलीग्रांट में दो शी-कैब सर्विस संचालित की जाएगी।
शहर निवासी सहेली फाउंडेशन की सचिव श्रुति कौशिक बताती हैं कि वर्ष 2011 में उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक की थी। उसके बाद पुणे की एक कंपनी में उन्हें सात लाख सालाना पैकेज की नौकरी मिल गई, लेकिन उनका सपना महिलाओं के उत्थान और उनकी सुरक्षा के लिए कार्य करना था। जिसके लिए उन्होंने नौकरी छोड़कर वर्ष 2013 में सहेली फाउंडेशन बनाया। यह फाउंडेशन ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार उपलब्ध करा रहा है।
वाहनों में महिलाओं के साथ बढ़ती छेड़खानी की घटनाओं को देखते हुए उन्होंने अब महिलाओं के लिए शी-कैब सर्विस शुरू करने का निर्णय लिया है। इन शी-कैब में महिलाएं ही ड्राइवर होंगी। जिससे महिलाएं सुरक्षित सफर कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही शहर में शी-कैब सेवा शुरू की जाएगी। इस सर्विस की सफेद रंग की कार में गुलाबी रंग का लोगो लगा होगा, जिससे इससे दूर से ही पहचाना जा सकेगा। अभी उनके पास दो वाहन हैं। जरूरत के हिसाब में इसमें बढ़ोतरी की जाएगी। प्रदेश के अन्य जिलों से भी इस सेवा को शुरू करने की योजना है।
...100 कैब की जरूरत
श्रुति के सहयोगी डॉ. नितिन पांडेय बताते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से राजधानी में ऐसी करीब 100 कैब की जरूरत है। शी-कैब का ट्रायल शुरू हो गया है। ये कैब्स जल्द ही सड़कों पर यह महिलाओं को लाने और ले जाने का कार्य शुरू कर देंगी। इससे महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिलेगा।
एप के जरिये भी बुक होगी कैब
श्रुति बताती हैं कि अभी लोगों को शी-कैब की जानकारी दी जा रही है। साथ ही महिलाएं आसानी से शी-कैब बुक कर सकें, इसके लिए जल्द ही एप भी लांच किया जाएगा। जिसके जरिये महिलाओं को शी-कैब की लोकेशन, उसके किराये आदि की जानकारी मिल सकेगी।
गद्गद हैं मधुबाला और अर्जुन निशा बोली
श्रुति की सहयोगी मधुबाला और अर्जुन निशा कहती हैं कि शहर की पहली महिला कैब ड्राइवर बनना उनके लिए गौरव की बात है। अब तक वे केवल घर संभाल रहीं थीं। लेकिन अब वह शी-कैब के जरिये महिलाओं को मंजिल तक पहुंचाएंगी, अपने पैरों पर खड़ा होकर अच्छा लग रहा है। यह उनके लिए बड़ी जिम्मेदारी है, जिसमें सफर में महिला यात्री की सुरक्षा के साथ अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना है।
महिलाओं के उत्थान कार्य करने वाली दून की श्रुति कौशिक अब शहर से पिंक शी-कैब टैक्सी सर्विस शुरू करेंगी। सहेली फाउंडेशन की ओर से संचालित प्रदेश की पहली शी-कैब सर्विस में ड्राइवर भी महिलाएं ही होंगी। जिससे महिलाएं सुरक्षित सफर कर सकेंगी। फिलहाल दून, हरिद्वार, मसूरी, ऋषिकेश, जौलीग्रांट में दो शी-कैब सर्विस संचालित की जाएगी।
शहर निवासी सहेली फाउंडेशन की सचिव श्रुति कौशिक बताती हैं कि वर्ष 2011 में उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक की थी। उसके बाद पुणे की एक कंपनी में उन्हें सात लाख सालाना पैकेज की नौकरी मिल गई, लेकिन उनका सपना महिलाओं के उत्थान और उनकी सुरक्षा के लिए कार्य करना था। जिसके लिए उन्होंने नौकरी छोड़कर वर्ष 2013 में सहेली फाउंडेशन बनाया। यह फाउंडेशन ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार उपलब्ध करा रहा है।
वाहनों में महिलाओं के साथ बढ़ती छेड़खानी की घटनाओं को देखते हुए उन्होंने अब महिलाओं के लिए शी-कैब सर्विस शुरू करने का निर्णय लिया है। इन शी-कैब में महिलाएं ही ड्राइवर होंगी। जिससे महिलाएं सुरक्षित सफर कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही शहर में शी-कैब सेवा शुरू की जाएगी। इस सर्विस की सफेद रंग की कार में गुलाबी रंग का लोगो लगा होगा, जिससे इससे दूर से ही पहचाना जा सकेगा। अभी उनके पास दो वाहन हैं। जरूरत के हिसाब में इसमें बढ़ोतरी की जाएगी। प्रदेश के अन्य जिलों से भी इस सेवा को शुरू करने की योजना है।
...100 कैब की जरूरत
श्रुति के सहयोगी डॉ. नितिन पांडेय बताते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से राजधानी में ऐसी करीब 100 कैब की जरूरत है। शी-कैब का ट्रायल शुरू हो गया है। ये कैब्स जल्द ही सड़कों पर यह महिलाओं को लाने और ले जाने का कार्य शुरू कर देंगी। इससे महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिलेगा।
एप के जरिये भी बुक होगी कैब
श्रुति बताती हैं कि अभी लोगों को शी-कैब की जानकारी दी जा रही है। साथ ही महिलाएं आसानी से शी-कैब बुक कर सकें, इसके लिए जल्द ही एप भी लांच किया जाएगा। जिसके जरिये महिलाओं को शी-कैब की लोकेशन, उसके किराये आदि की जानकारी मिल सकेगी।
गद्गद हैं मधुबाला और अर्जुन निशा बोली
श्रुति की सहयोगी मधुबाला और अर्जुन निशा कहती हैं कि शहर की पहली महिला कैब ड्राइवर बनना उनके लिए गौरव की बात है। अब तक वे केवल घर संभाल रहीं थीं। लेकिन अब वह शी-कैब के जरिये महिलाओं को मंजिल तक पहुंचाएंगी, अपने पैरों पर खड़ा होकर अच्छा लग रहा है। यह उनके लिए बड़ी जिम्मेदारी है, जिसमें सफर में महिला यात्री की सुरक्षा के साथ अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना है।