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रुद्रप्रयाग में निर्माणाधीन रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर बांसवाड़ा में लगातार पांच दिन से भूस्खलन जारी है। इसके चलते यहां यातायात ठप है। पानी के रिसाव ने एनएच की भी मुश्किलें बढ़ा दी है। जबकि केदारनाथ व केदारघाटी के 80 और क्यूंजा घाटी के 12 से अधिक गांवों का रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि से संपर्क कटा हुआ है। बीते 8 अगस्त की रात से गौरीकुंड हाईवे बांसवाड़ा में बंद पड़ा है। यहां पहाड़ी से रुक-रुककर पत्थर व मलबा निरंतर गिर रहा है, जिस कारण वाहनों का संचालन ठप है। एनएच द्वारा कई बार मलबा साफ कर यातायात शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन पुन: पहाड़ी से भूस्खलन सक्रिय होने से बात नहीं बन रही। यह स्थान बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन जोन सिरोहबगड़ की तरह अति संवेदनशील बना हुआ है।
लोगों का कहना है कि ऑल वेदर रोड परियोजना के पहले से ही बांसवाड़ा, सिरोहबगड़ की तरह परेशानी का सबब रहा है। यहां पर मंदाकिनी नदी की दूरी भी सड़क से बमुश्किल दस मीटर है। ऐसे में निरंतर खतरा बना रहता है। बावजूद कोई कार्ययोजना तक नहीं बन पाई है। हाईवे के बंद होने के कारण केदारनाथ व केदारघाटी के 80 और क्यूंजा घाटी के 12 से अधिक गांवों का रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि से संपर्क कटा हुआ है। दूसरी ओर भटवाड़ीसैंण, सेमी-भैंसारी, डोलिया मंदिर के समीप, जामू नर्सरी में भी मार्ग बदहाल बना हुआ है। इधर, एनएच के ईई जितेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बरसात से निर्माणाधीन हाईवे पर बांसवाड़ा समेत अन्य जगहों पर भूस्खलन से स्थिति काफी खराब हुई है। मौसम में सुधार होने पर प्राथमिकता से सुरक्षा और सुधारीकरण कार्य किए जाएंगे।
सोमवार रात को हुई भारी बारिश के कारण पीपलकोटी में पहाड़ी से मलबा और बोल्डर आने से करीब तीन घंटे तक बदरीनाथ हाईवे पर वाहनों की आवाजाही बाधित रही। सुबह पांच बजे पीपलकोटी के समीप पहाड़ी से हुए भूस्खलन के कारण सुबह पांच बजे हाईवे अवरुद्ध हो गया था। सूचना मिलने पर साढ़े पांच बजे से ही एनएच की दो जेसीबी के जरिए मलबा और बोल्डरों का निस्तारण किया गया, जिसके बाद सुबह आठ बजे वाहनों की आवाजाही सुचारु हो पाई। एनएचआईडीसीएल के जीएम आरसी मिश्रा का कहना है कि हाईवे के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में जेसीबी तैनात की गई हैं। हाईवे के अवरुद्ध होने पर शीघ्र हाईवे को सुचारु करने की कार्रवाई शुरू की जा रही है। वहीं, बार-बार बदल रहे मौसम के मिजाज से लोगों में दहशत है।
बेमर में ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे चार घंटे रहा अवरुद्ध
ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग मंगलवार सुबह बेमर के पास चार घंटे बंद रहा, जिससे सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। मोटर मार्ग बंद होने के बाद जेसीबी से मलबा हटाने का काम शुरू किया गया, लेकिन पहाड़ से लगातार मिट्टी-पत्थर गिरने के कारण यातायात सुबह नौ बजे सुचारु हो पाया। क्षेत्र में लगातार बारिश होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग फकोट से पांच किलोमीटर आगे बेमर में सुबह पांच बजे बंद हो गया। कुछ देर बाद मौके पर पहुंची जेसीबी से मलबा हटाने का काम शुरू किया गया, लेकिन बारिश के साथ ही पहाड़ी से लगातार मिट्टी- पत्थर बरसने से मलबा हटाने का काम बाधित होता रहा। स्थानीय भिंगार्की गांव के निवर्तमान प्रधान कमल सिंह रावत ने बताया कि राजमार्ग पर मंगलवार सुबह करीब पांच बजे बेमर में बंद हो गया था। चार घंटे बाद नौ बजे यातायात बहाल हो पाया, जबकि तहसीलदार डीएस भंडारी ने बताया कि राजमार्ग सुबह पौने छह बजे बंद हुआ। मलबा हटाने के पौने दो घंटे बाद ही यातायात सुचारु कर दिया गया था।
कोटद्वार समेत पूरे क्षेत्र में हुई भारी बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। करीब दो घंटे की मूसलाधार बारिश से क्षेत्र की सभी नदियां उफान पर हैं। कोटद्वार-दुगड्डा के बीच पांचवें मील पर टूट गदेरा के उफान पर आने से काफी देर तक हाईवे बाधित रहा। उफान कम होने के बाद वाहन चालकों ने खुद सड़क पर पड़े बोल्डर हटाकर वाहनों की आवाजाही शुरू की। दुगड्डा समेत पूरे इलाके में नदियां उफान पर रही।
जयहरी पीजी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दिवाकर बेबनी ने बताया कि चार बजे क्षेत्र में भारी बारिश होने से पांचवें मील के पास टूट गदेरा उफनाकर बहने लगा। इससे हाईवे जाम हो गया। लोगों को इस गदेरे के जलस्तर कम होने का इंतजार करना पड़ा। शाम करीब साढ़े पांच बजे जब जलस्तर कम हुआ, तब लोगों ने हाईवे पर आए बोल्डर और पत्थर अपने प्रयासों से हटाकर यातायात शुरू करवाया। कोटद्वार-दुगड्डा और दुगड्डा-सतपुली और लैंसडौन मार्ग पर भी कई स्थानों पर पहाड़ियों से भूस्खलन होने के कारण मलबा सड़क पर आया, जिससे यातायात बाधित हुआ। सूचना मिलते ही हरकत में आए एनएच खंड के अधिकारियों ने जेसीबी लगाकर मलबा साफ कराया। धुमाकोट, सतपुली, लैंसडौन क्षेत्र में भी भारी बारिश हुई। मौसम विभाग के अलर्ट की जानकारी प्रशासन की ओर से जन सामान्य को दी गई है।
उत्तरकाशी जनपद के विभिन्न हिस्सों में रुक-रुककर बारिश का सिलसिला जारी है। बारिश के चलते मंगलवार को यमुनोत्री एवं गंगोत्री हाईवे समेत जिले के आधा दर्जन संपर्क मोटर मार्ग भूस्खलन से अवरुद्ध हो गए, जिससे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार रात को हुई बारिश के चलते ओजरी डबरकोट में भारी भूस्खलन होने से यमुनोत्री हाईवे अवरुद्ध हो गया। एनएच के कर्मचारियों ने मंगलवार सुबह करीब सात बजे मलबा हटाकर यहां यातायात बहाल कर लिया। हालांकि अब भी सड़क दलदली होने और पहाड़ी से रुक-रुककर मलबा गिरने के कारण यहां यातायात खासा जोखिमभरा बना हुआ है। सुबह साढ़े नौ बजे करीब पालीगाड़ के पास भूस्खलन होने से यमुनोत्री हाईवे दोबारा बाधित हो गया, जिससे 11.30 बजे सुचारु किया जा सका। लेकिन शाम करीब साढ़े छह बजे पालीगाड़ में दोबारा भूस्खलन होने से हाईवे एक बार फिर से बाधित हो गया है। समाचार लिखे जाने तक यहां सड़क खोलने का प्रयास किया जा रहा है।
इधर हेलगुगाड़ के पास भी मंगलवार सुबह करीब आठ बजे भूस्खलन होने से गंगोत्री हाईवे अवरुद्ध हो गया। बीआरओ ने यहां सुबह साढ़े नौ बजे मलबा हटाकर यातायात बहाल कर दिया। इसके अलावा सिल्क्यारा-सरोट, मरगांव-चमियारी, अदनी-रौंतल, आराकोट-भुटाणु, धौंतरी- ठांडी, धौंतरी-सिरी तथा खरसाडी-जीवाणु संपर्क मोटर मार्ग भी भूस्खलन आदि कारणों से घंटों तक बाधित रहे। इन सभी मार्गों पर दोपहर तक यातायात बहाल कर लिया गया। धौंतरी-ठांडी मोटर मार्ग का बड़ा हिस्सा कटने के कारण यहां यातायात बहाल नहीं हो पाया है। लोनिवि के अधिकारी यहां 20 अगस्त तक यातायात बहाल करने की बात कह रहे हैं।
चमोली में घाट विकास खंड के आपदा प्रभावित बांजबगड़, लांखी और ऑली गांव में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। क्षेत्र में पेयजल लाइनें, पैदल रास्ते और विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त पड़ी हुई है। मंगलवार को जिलाधिकारी स्वाती एस भदौरिया ने प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये के चेक वितरित किए। इस दौरान जल संस्थान के अधिशासी अभियंता मौके पर न रहने से डीएम ने नाराजगी व्यक्त कर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
11/12 अगस्त की रात को घाट क्षेत्र के बांजबगड़, लांखी और ऑली गांव में बादल फटने से मां-बेटी, तीन बच्चों समेत छह लोग मलबे में दब गए। मंगलवार को डीएम ने प्रभावित क्षेत्र में जाकर प्रभावित परिवार के मुखिया बांजबगड़ निवासी अब्बल सिंह और लांखी गांव के शंकर लाल के घर के दो-दो सदस्यों की मौत होने पर आठ-आठ लाख और आली गांव के नौनू राम को चार लाख रुपये के चेक दिए। डीएम ने अधिकारियों को लांखी, बांजबगड़ और ऑली गांव में पेयजल व विद्युत लाइनों को तत्काल ठीक करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने टेंट में रह रहे आपदा प्रभावितों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। डीएम ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को मलबे में दबे मवेशियों के डिस्पोजल की कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
घाट बाजार में 30 दुकानदारों ने खाली की दुकानें
चुफलागाड से अभी भी घाट बाजार को खतरा बना हुआ है। नदी का बहाव बाजार की ओर से होने के कारण स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। खतरे को देखते हुए बाजार के लगभग 30 दुकानदारों ने अपनी दुकानों का सामान अन्यत्र शिफ्ट कर दिया है। मंगलवार को स्थलीय निरीक्षण पर पहुंची जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया से दुकानदारों ने नदी किनारे बाढ़ सुरक्षा कार्य शीघ्र करवाने की मांग उठाई।
रुद्रप्रयाग में निर्माणाधीन रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर बांसवाड़ा में लगातार पांच दिन से भूस्खलन जारी है। इसके चलते यहां यातायात ठप है। पानी के रिसाव ने एनएच की भी मुश्किलें बढ़ा दी है। जबकि केदारनाथ व केदारघाटी के 80 और क्यूंजा घाटी के 12 से अधिक गांवों का रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि से संपर्क कटा हुआ है। बीते 8 अगस्त की रात से गौरीकुंड हाईवे बांसवाड़ा में बंद पड़ा है। यहां पहाड़ी से रुक-रुककर पत्थर व मलबा निरंतर गिर रहा है, जिस कारण वाहनों का संचालन ठप है। एनएच द्वारा कई बार मलबा साफ कर यातायात शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन पुन: पहाड़ी से भूस्खलन सक्रिय होने से बात नहीं बन रही। यह स्थान बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन जोन सिरोहबगड़ की तरह अति संवेदनशील बना हुआ है।
लोगों का कहना है कि ऑल वेदर रोड परियोजना के पहले से ही बांसवाड़ा, सिरोहबगड़ की तरह परेशानी का सबब रहा है। यहां पर मंदाकिनी नदी की दूरी भी सड़क से बमुश्किल दस मीटर है। ऐसे में निरंतर खतरा बना रहता है। बावजूद कोई कार्ययोजना तक नहीं बन पाई है। हाईवे के बंद होने के कारण केदारनाथ व केदारघाटी के 80 और क्यूंजा घाटी के 12 से अधिक गांवों का रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि से संपर्क कटा हुआ है। दूसरी ओर भटवाड़ीसैंण, सेमी-भैंसारी, डोलिया मंदिर के समीप, जामू नर्सरी में भी मार्ग बदहाल बना हुआ है। इधर, एनएच के ईई जितेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बरसात से निर्माणाधीन हाईवे पर बांसवाड़ा समेत अन्य जगहों पर भूस्खलन से स्थिति काफी खराब हुई है। मौसम में सुधार होने पर प्राथमिकता से सुरक्षा और सुधारीकरण कार्य किए जाएंगे।
पीपलकोटी में मलबा आने से बदरीनाथ हाईवे तीन घंटे अवरुद्ध
सोमवार रात को हुई भारी बारिश के कारण पीपलकोटी में पहाड़ी से मलबा और बोल्डर आने से करीब तीन घंटे तक बदरीनाथ हाईवे पर वाहनों की आवाजाही बाधित रही। सुबह पांच बजे पीपलकोटी के समीप पहाड़ी से हुए भूस्खलन के कारण सुबह पांच बजे हाईवे अवरुद्ध हो गया था। सूचना मिलने पर साढ़े पांच बजे से ही एनएच की दो जेसीबी के जरिए मलबा और बोल्डरों का निस्तारण किया गया, जिसके बाद सुबह आठ बजे वाहनों की आवाजाही सुचारु हो पाई। एनएचआईडीसीएल के जीएम आरसी मिश्रा का कहना है कि हाईवे के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में जेसीबी तैनात की गई हैं। हाईवे के अवरुद्ध होने पर शीघ्र हाईवे को सुचारु करने की कार्रवाई शुरू की जा रही है। वहीं, बार-बार बदल रहे मौसम के मिजाज से लोगों में दहशत है।
बेमर में ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे चार घंटे रहा अवरुद्ध
ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग मंगलवार सुबह बेमर के पास चार घंटे बंद रहा, जिससे सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। मोटर मार्ग बंद होने के बाद जेसीबी से मलबा हटाने का काम शुरू किया गया, लेकिन पहाड़ से लगातार मिट्टी-पत्थर गिरने के कारण यातायात सुबह नौ बजे सुचारु हो पाया। क्षेत्र में लगातार बारिश होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग फकोट से पांच किलोमीटर आगे बेमर में सुबह पांच बजे बंद हो गया। कुछ देर बाद मौके पर पहुंची जेसीबी से मलबा हटाने का काम शुरू किया गया, लेकिन बारिश के साथ ही पहाड़ी से लगातार मिट्टी- पत्थर बरसने से मलबा हटाने का काम बाधित होता रहा। स्थानीय भिंगार्की गांव के निवर्तमान प्रधान कमल सिंह रावत ने बताया कि राजमार्ग पर मंगलवार सुबह करीब पांच बजे बेमर में बंद हो गया था। चार घंटे बाद नौ बजे यातायात बहाल हो पाया, जबकि तहसीलदार डीएस भंडारी ने बताया कि राजमार्ग सुबह पौने छह बजे बंद हुआ। मलबा हटाने के पौने दो घंटे बाद ही यातायात सुचारु कर दिया गया था।
भारी बारिश से उफनाया गदेरा, पौड़ी हाईवे रहा बाधित
कोटद्वार समेत पूरे क्षेत्र में हुई भारी बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। करीब दो घंटे की मूसलाधार बारिश से क्षेत्र की सभी नदियां उफान पर हैं। कोटद्वार-दुगड्डा के बीच पांचवें मील पर टूट गदेरा के उफान पर आने से काफी देर तक हाईवे बाधित रहा। उफान कम होने के बाद वाहन चालकों ने खुद सड़क पर पड़े बोल्डर हटाकर वाहनों की आवाजाही शुरू की। दुगड्डा समेत पूरे इलाके में नदियां उफान पर रही।
जयहरी पीजी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. दिवाकर बेबनी ने बताया कि चार बजे क्षेत्र में भारी बारिश होने से पांचवें मील के पास टूट गदेरा उफनाकर बहने लगा। इससे हाईवे जाम हो गया। लोगों को इस गदेरे के जलस्तर कम होने का इंतजार करना पड़ा। शाम करीब साढ़े पांच बजे जब जलस्तर कम हुआ, तब लोगों ने हाईवे पर आए बोल्डर और पत्थर अपने प्रयासों से हटाकर यातायात शुरू करवाया। कोटद्वार-दुगड्डा और दुगड्डा-सतपुली और लैंसडौन मार्ग पर भी कई स्थानों पर पहाड़ियों से भूस्खलन होने के कारण मलबा सड़क पर आया, जिससे यातायात बाधित हुआ। सूचना मिलते ही हरकत में आए एनएच खंड के अधिकारियों ने जेसीबी लगाकर मलबा साफ कराया। धुमाकोट, सतपुली, लैंसडौन क्षेत्र में भी भारी बारिश हुई। मौसम विभाग के अलर्ट की जानकारी प्रशासन की ओर से जन सामान्य को दी गई है।
बारिश में सक्रिय भूस्खलन से यमुनोत्री-गंगोत्री हाईवे समेत आधा दर्जन सड़कें हुईं अवरुद्ध
उत्तरकाशी जनपद के विभिन्न हिस्सों में रुक-रुककर बारिश का सिलसिला जारी है। बारिश के चलते मंगलवार को यमुनोत्री एवं गंगोत्री हाईवे समेत जिले के आधा दर्जन संपर्क मोटर मार्ग भूस्खलन से अवरुद्ध हो गए, जिससे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार रात को हुई बारिश के चलते ओजरी डबरकोट में भारी भूस्खलन होने से यमुनोत्री हाईवे अवरुद्ध हो गया। एनएच के कर्मचारियों ने मंगलवार सुबह करीब सात बजे मलबा हटाकर यहां यातायात बहाल कर लिया। हालांकि अब भी सड़क दलदली होने और पहाड़ी से रुक-रुककर मलबा गिरने के कारण यहां यातायात खासा जोखिमभरा बना हुआ है। सुबह साढ़े नौ बजे करीब पालीगाड़ के पास भूस्खलन होने से यमुनोत्री हाईवे दोबारा बाधित हो गया, जिससे 11.30 बजे सुचारु किया जा सका। लेकिन शाम करीब साढ़े छह बजे पालीगाड़ में दोबारा भूस्खलन होने से हाईवे एक बार फिर से बाधित हो गया है। समाचार लिखे जाने तक यहां सड़क खोलने का प्रयास किया जा रहा है।
इधर हेलगुगाड़ के पास भी मंगलवार सुबह करीब आठ बजे भूस्खलन होने से गंगोत्री हाईवे अवरुद्ध हो गया। बीआरओ ने यहां सुबह साढ़े नौ बजे मलबा हटाकर यातायात बहाल कर दिया। इसके अलावा सिल्क्यारा-सरोट, मरगांव-चमियारी, अदनी-रौंतल, आराकोट-भुटाणु, धौंतरी- ठांडी, धौंतरी-सिरी तथा खरसाडी-जीवाणु संपर्क मोटर मार्ग भी भूस्खलन आदि कारणों से घंटों तक बाधित रहे। इन सभी मार्गों पर दोपहर तक यातायात बहाल कर लिया गया। धौंतरी-ठांडी मोटर मार्ग का बड़ा हिस्सा कटने के कारण यहां यातायात बहाल नहीं हो पाया है। लोनिवि के अधिकारी यहां 20 अगस्त तक यातायात बहाल करने की बात कह रहे हैं।
आपदा प्रभावित क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त
चमोली में घाट विकास खंड के आपदा प्रभावित बांजबगड़, लांखी और ऑली गांव में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। क्षेत्र में पेयजल लाइनें, पैदल रास्ते और विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त पड़ी हुई है। मंगलवार को जिलाधिकारी स्वाती एस भदौरिया ने प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये के चेक वितरित किए। इस दौरान जल संस्थान के अधिशासी अभियंता मौके पर न रहने से डीएम ने नाराजगी व्यक्त कर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
11/12 अगस्त की रात को घाट क्षेत्र के बांजबगड़, लांखी और ऑली गांव में बादल फटने से मां-बेटी, तीन बच्चों समेत छह लोग मलबे में दब गए। मंगलवार को डीएम ने प्रभावित क्षेत्र में जाकर प्रभावित परिवार के मुखिया बांजबगड़ निवासी अब्बल सिंह और लांखी गांव के शंकर लाल के घर के दो-दो सदस्यों की मौत होने पर आठ-आठ लाख और आली गांव के नौनू राम को चार लाख रुपये के चेक दिए। डीएम ने अधिकारियों को लांखी, बांजबगड़ और ऑली गांव में पेयजल व विद्युत लाइनों को तत्काल ठीक करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने टेंट में रह रहे आपदा प्रभावितों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। डीएम ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को मलबे में दबे मवेशियों के डिस्पोजल की कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
घाट बाजार में 30 दुकानदारों ने खाली की दुकानें
चुफलागाड से अभी भी घाट बाजार को खतरा बना हुआ है। नदी का बहाव बाजार की ओर से होने के कारण स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। खतरे को देखते हुए बाजार के लगभग 30 दुकानदारों ने अपनी दुकानों का सामान अन्यत्र शिफ्ट कर दिया है। मंगलवार को स्थलीय निरीक्षण पर पहुंची जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया से दुकानदारों ने नदी किनारे बाढ़ सुरक्षा कार्य शीघ्र करवाने की मांग उठाई।