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Korba: किसानों के मुआवजे को लेकर माकपा का प्रदर्शन, कहा- तीन साल से राजस्व विभाग ने नहीं किया नुकसान का आकलन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोरबा
Published by: मोहनीश श्रीवास्तव
Updated Sat, 18 Mar 2023 09:44 PM IST
सार
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नेताओं ने बताया कि पिछले तीन सालों में हुए नुकसान का आंकलन कर मुआवजे का भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इसके कारण किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। फसल नुकसान का आंकलन राजस्व विभाग को करना है।
किसानों के मुआवजे को लेकर माकपा ने किया प्रदर्शन।
- फोटो : संवाद
छत्तीसगढ़ के कोरबा में एसईसीएल के बलगी सुराकछार खदान के भूधसान से प्रभावित किसानों को पिछले तीन सालों से फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा नहीं मिला है। इसे लेकर शनिवार को प्रभावित किसानों के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदर्शन किया। इससे पहले छत्तीसगढ़ किसान सभा के साथ बैठक के बाद माकपा प्रतिनिधि मंडल ने कटघोरा एसडीएम कार्यालय का 21 मार्च को घेराव किए जाने को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने बताया कि बलगी कोयला खदान की डि-पिल्लरिंग के कारण सुराकछार बस्ती के किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि भू-धसान से बर्बाद हो गई है। भूमि में दरारें इतनी गहरी है कि वह पूरी तरह तालाब, झील और खाई में तब्दील हो चुकी हैं। अब इस जमीन में किसान कोई भी कृषि कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसके एवज में एसईसीएल हर साल किसानों को मुआवजा देता रहा है।
नेताओं ने बताया कि पिछले तीन सालों में हुए नुकसान का आकलन कर मुआवजे का भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इसके कारण किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। फसल नुकसान का आंकलन राजस्व विभाग को करना है। इसलिए माकपा एक साल से भूधसान से प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति मुआवजा दिलाने की मांग कर रही है। हालांकि इस मामले में एक इंच भी प्रगति नहीं हुई है। कहा कि, अब किसानों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
बलगी सुराकछार खदान के भूधसान के कारण सुराकछार बस्ती के किसानों की भूमि वर्ष 2009 से कृषि कार्य करने योग्य नहीं रह गई है। इससे किसानों को हुए भारी नुकसान को देखते हुए वर्ष 2019-2020 तक का फसल क्षतिपूर्ति व मुआवजा एसईसीएल प्रबंधन को देना पड़ा है। इसके बाद वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक का तीन वर्षों का मुआवजा अभी तक लंबित है। वर्ष 2012 में एसईसीएल प्रबंधन ने खेतों के भूमि समतलीकरण करने का भी आश्वासन दिया था, लेकिन उसने इस पर भी आज तक अमल नहीं किया।
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