बिहार में दिमागी बुखार से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। केवज मुजफ्फरपुर में 130 के करीब बच्चों की मौत हो चुकी है। एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से हो रही मौतों के अलावा एक और वजह से मुजफ्फरपुर इन दिनों चर्चा में हैं। यहां डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम कर रखा है।
शहर में निजी क्लिनिक और छोटे अस्पताल चलाने वाले डॉक्टरों ने क्यूआरटी यानी कि 'क्विक रिऐक्शन टीम'की व्यवस्था कर रखी है। इसके लिए डॉक्टर आपस में चंदा इकट्ठा कर भुगतान करते हैं। इस क्यूआरटी में गनमैन, बाउंसर, बॉडी बिल्डर और लाठी से लैस युवा शामिल हैं, जो डॉक्टरों के एक फोन करने पर 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। डॉक्टर और उनकी क्लिनिक की सुरक्षा के लिए यह क्यूआरटी बहुत कारगर सिद्ध होती है।
मुजफ्फरपुर की ही तरह मोतिहारी और सीतामढ़ी में भी डॉक्टरों ने सुरक्षा का यही कारगर तरीका अपनाया है।बड़े अस्पतालों और निजी कॉलेजों में जहां अपने सुरक्षा गार्ड तैनात हैं तो वहीं छोटे अस्पतालों ने क्यूआरटी हायर कर रखा है।
उत्तर बिहार का बड़ा मेडिकल हब कहलाने वाले मुजफ्फरपुर में 60 से ज्यादा छोटे अस्पताल, नर्सिंग होम और निजी क्लिनिक हैं, जो कि हर महीने 10 हजार रुपये क्यूआरटी के लिए देते हैं। इस क्यूआरटी में ज्यादातर लोग सेना और अर्द्धसैनिक बलों के रिटायर जवान हैं।
स्थानीय खबरों के अनुसार, क्यूआरटी के जवान बहुत शांत होते हैं और बिना विवाद के भीड़ को नियंत्रित कर लेते हैं। गनमैन और लाठी से लैस जवान केवल ताकत दिखाने और मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव डालने के लिए होते हैं।
क्यूआरटी की स्थापना साल 2017 में नेवी से रिटायर होने वाले सदन मोहन ने की थी। स्थानीय खबरों के अनुसार, उन्हें अब तक एक बार भी मुजफ्फरपुर में बल का प्रयोग नहीं करना पड़ा है। जवानों को बाइक प्रोवाइड की गई है, ताकि फोन आने के 5 से 10 मिनट के अंदर वे मौके पर पहुंच सकें।
बिहार में दिमागी बुखार से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। केवज मुजफ्फरपुर में 130 के करीब बच्चों की मौत हो चुकी है। एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से हो रही मौतों के अलावा एक और वजह से मुजफ्फरपुर इन दिनों चर्चा में हैं। यहां डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम कर रखा है।
शहर में निजी क्लिनिक और छोटे अस्पताल चलाने वाले डॉक्टरों ने क्यूआरटी यानी कि 'क्विक रिऐक्शन टीम'की व्यवस्था कर रखी है। इसके लिए डॉक्टर आपस में चंदा इकट्ठा कर भुगतान करते हैं। इस क्यूआरटी में गनमैन, बाउंसर, बॉडी बिल्डर और लाठी से लैस युवा शामिल हैं, जो डॉक्टरों के एक फोन करने पर 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। डॉक्टर और उनकी क्लिनिक की सुरक्षा के लिए यह क्यूआरटी बहुत कारगर सिद्ध होती है।
मुजफ्फरपुर की ही तरह मोतिहारी और सीतामढ़ी में भी डॉक्टरों ने सुरक्षा का यही कारगर तरीका अपनाया है।बड़े अस्पतालों और निजी कॉलेजों में जहां अपने सुरक्षा गार्ड तैनात हैं तो वहीं छोटे अस्पतालों ने क्यूआरटी हायर कर रखा है।