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China-US: 'भारत के साथ हमारे संबंधों में दखल न दे अमेरिका', सीमा विवाद मुद्दे पर चीन ने दी चेतावनी

पीटीआई, वाशिंगटन Published by: संजीव कुमार झा Updated Wed, 30 Nov 2022 09:45 AM IST
सार

पेंटागन ने कांग्रेस को भेजी एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को भारत के साथ उसके संबंधों में दखलअंदाजी नहीं करने की चेतावनी दी है।

नरेंद्र मोदी, जो बाइडन और शी जिनपिंग
नरेंद्र मोदी, जो बाइडन और शी जिनपिंग - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

चीन और अमेरिका के बीच एक बार फिर से तनातनी शुरू हो गई है। दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। ताजा मामला है भारत के साथ संबंधों का जिसे लेकर चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी है और कहा है कि अमेरिकी अधिकारी भारत के साथ उसके संबंधों में दखलअंदाजी न दे। पेंटागन ने कांग्रेस को भेजी अपनी रिपोर्ट में इस बात की चर्चा भी की है। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की रिपोर्ट में चीन के बयानों को प्रमुखता से जगह दी गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सेना भारत को अमेरिका के नजदीक जाने से रोकना चाहती है और इसके लिए वह सीमा (LAC) पर तनाव कम करने की हर संभव कोशिश कर रही है लेकिन इस बीच अमेरिका की दखलअंदाजी उसे पसंद नहीं आ रही है।



अमेरिका ने लगाए आरोप तो भड़क गया चीन
दरअसल, पेंटागन की रिपोर्ट में अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाते हुए  कहा है कि 2021 के दौरान, चीनी सेना( पीएलए) ने सीमा पर अवैध रूप से बलों की तैनाती को बनाए रखा और एलएसी के साथ बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा। वार्ता में न्यूनतम प्रगति हुई क्योंकि दोनों पक्ष सीमा पर कथित लाभ खोने का विरोध करते हैं। मई 2020 की शुरुआत में, चीनी और भारतीय सेना को एलएसी के साथ कई स्थानों पर कंटीले तारों में लिपटे चट्टानों, डंडों और क्लबों के साथ झड़पों का सामना करना पड़ा। परिणामी गतिरोध ने सीमा के दोनों ओर बलों के निर्माण को गति दी। प्रत्येक देश ने दूसरे की सेना को वापस लेने और पूर्व-गतिरोध की स्थिति में लौटने की मांग की, लेकिन न तो चीन और न ही भारत उन शर्तों पर सहमत हुए। अमेरिका के आरोपों के बाद चीन भड़क गया और पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ उसके संबंधों में हस्तक्षेप न करें।


अमेरिका ने चीन और भारत के बीच सीमा विवाद पर उठाए सवाल
अमेरिका ने पेंटागन की रिपोर्ट में आगे कहा कि पीआरसी ने भारतीय बुनियादी ढांचे के निर्माण पर गतिरोध को दोषी ठहराया, जिसे उसने पीआरसी क्षेत्र पर अतिक्रमण के रूप में माना, जबकि भारत ने चीन पर भारत के क्षेत्र में आक्रामक घुसपैठ शुरू करने का आरोप लगाया।  2020 की झड़प के बाद से, PLA ने लगातार बल की उपस्थिति बनाए रखी है और LAC के साथ बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 की गालवान घाटी की घटना पिछले 46 वर्षों में दोनों देशों के बीच सबसे घातक संघर्ष थी। पीआरसी अधिकारियों के अनुसार, 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में गश्ती दल हिंसक रूप से भिड़ गए, जिसके परिणामस्वरूप लगभग बीस भारतीय सैनिक और चार पीएलए सैनिक मारे गए।

टकराव की स्थिति बरकरार
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-चीन सीमा पर एक खंड में 2021 के दौरान पीएलए ने सैन्य बलों की तैनाती को बनाए रखा और एलएसी के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखा। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-चीन के बीच वार्ता में न्यूनतम प्रगति हुई क्योंकि दोनों पक्ष सीमा पर कथित अपने-अपने स्थान से हटने का विरोध करते हैं। दोनों देश एक-दूसरे से अन्य सैन्य बल को वापस भेजने की मांग कर रहे हैं और इसके कारण टकराव जैसी स्थिति बनी हुई है। लेकिन हटने की शर्तों पर चीन और भारत दोनों ही सहमत नहीं हैं।

2035 तक चीन के पास होंगे 1,500 परमाणु आयुध भंडार
पेंटागन ने जानकारी दी है कि चीन के पास 2035 तक करीब 1,500 आयुध भंडार होने की संभावना है। अभी उसके पास अनुमानित रूप से 400 आयुध भंडार हैं। चीन के महत्वाकांक्षी सैन्य कार्यक्रम पर संसद में दी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा कि अगले दशक तक बीजिंग का मकसद अपनी परमाणु ताकतों का आधुनिकीकरण करना, उसमें विविधता लाना और उसका विस्तार करना है। उसने कहा कि चीन की मौजूदा परमाणु आधुनिकीकरण की कवायद पहले की आधुनिकीकरण की कोशिशों के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े पैमाने पर है। चीन जमीन, समुद्र और वायु आधारित एटमी प्लेटफॉर्मों की संख्या बढ़ा रहा है और अपने परमाणु बलों का विस्तार करने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। पेंटागन का अनुमान है कि चीन का संचालनात्मक परमाणु आयुध भंडार 400 के पार चला गया है। चीन फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों और पुनरसंसाधन सुविधाओं का निर्माण करके प्लूटोनियम का उत्पादन करने और उसे अलग करने की अपनी क्षमता बढ़ाने पर भी काम कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, पीएलए की योजना 2035 तक अपने राष्ट्रीय रक्षा और सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण पूरा करने की है और यदि वह इसी गति से परमाणु विस्तार करता है तो 2035 तक करीब 1,500 आयुध भंडार कर सकता है।

इसलिए बढ़ा रहा सैन्य ताकत
पेंटागन के मुताबिक, चीन की रणनीति अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुकूल बनाना है। इसलिए चीन अपनी ताकत बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रहा है। उसका भारत और ताइवान समेत कई देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। पीआरसी खुद को वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के प्रदाता के रूप में चित्रित करना चाहता है। इसीलिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कठोर कार्रवाइयां कर रहा है।
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पीएलए ने हिंद महासागर में तैनात की पनडुब्बी
पेंटागन ने कहा है कि दक्षिण चीन सागर के बाद अब हिंद महासागर पर नजरे गड़ाए बैठी चीनी नौसेना ने भारत से सटे हिंद महासागर में पनडुब्बियों की तैनाती की है। यही नहीं चीन ने हिंद महासागर में कई विदेशी बंदरगाहों पर अपनी पहुंच बना ली है जिसका वह सैन्य फायदा उठा सकता है। पेंटागन की ओर से जारी 2022 चाइना मिलिट्री पावर रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना कंबोडिया, थाइलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, श्रीलंका, यूएई, केन्या, सेशेल्स, इक्वेटोरियल गिनी, तंजानिया, अंगोला और ताजिकिस्तान में अपने सैन्य केंद्र बनाने की योजना पर विचार कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो दक्षिण चीन सागर से लेकर अफ्रीका तक समुद्र में लाल सेना का दबदबा बहुत बढ़ जाएगा। चीनी सेना ने पहले ही नामीबिया, वानूआतू और सोलोमन द्वीप में सैन्य सुविधा केंद्र बनाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
 

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