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Afghanistan-China: चीन को न निगलते और न ही उगलते बन पा रहा है अफगानिस्तान!

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 06 Feb 2023 04:54 PM IST
सार

Afghanistan-China: अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपे में हालिया विश्लेषणों के मुताबिक अफगानिस्तान की आंतरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियां चीन के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं। इससे चीन में यह अंदेशा गहराया है कि अफगानिस्तान के इस्लामी चरमपंथियों को उसके शिनजियांग प्रांत में अपनी पैठ बनाने का मौका मिल सकता है...

Afghanistan-China: China is eyeing the rich mineral deposits of Afghanistan
Afghanistan-China - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

अफगानिस्तान में चीन की असमंजस बढ़ती जा रही है। अगस्त 2021 में काबुल की सत्ता पर तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां पांव पसारने की जो उम्मीदें चीन में जगी थीं, वे फिलहाल मद्धम हो गई हैं। जानकारों के मुताबिक चीन की नजर अफगानिस्तान के समृद्ध खनिज भंडारों पर है और इसीलिए उसने तालिबान सरकार के साथ संपर्क बनाए रखा है। लेकिन अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी गुटों ने उसकी राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

इस वर्ष जनवरी में चीन की एक कंपनी ने अफगानिस्तान में कच्चे तेल की खोज के लिए 25 वर्ष का करार किया। इसके अलावा चीन की एक सरकारी कंपनी अफगानिस्तान में तांबे के खनन के लिए समझौता करने की कोशिश में है। ये घटनाएं बहुचर्चित हुई हैं। लेकिन इसको लेकर अफगानिस्तान के कई इलाकों में जन असंतोष भी देखने को मिला है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छपे में हालिया विश्लेषणों के मुताबिक अफगानिस्तान की आंतरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियां चीन के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं। इससे चीन में यह अंदेशा गहराया है कि अफगानिस्तान के इस्लामी चरमपंथियों को उसके शिनजियांग प्रांत में अपनी पैठ बनाने का मौका मिल सकता है। शिनजियांग प्रांत की मुस्लिम बहुल आबादी में पहले से असंतोष के संकेत रहे हैं। चीन की दूसरी चिंता यह है कि अफगानिस्तान में अस्थिरता बढ़ने पर वहां उसका निवेश खतरे में पड़ सकता है।

स्विट्जरलैंड स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलमेंट में वरिष्ठ अर्थशास्त्री जोस केबालरो ने अपनी एक टिप्पणी में ध्यान दिलाया है कि चीन की बहुचर्चित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना में अफगानिस्तान भी शामिल है। इस प्रोजेक्ट तहत बन रहे दो मार्ग अफगानिस्तान होकर गुजरते हैं। इसलिए अफगानिस्तान की स्थितियां चीन के लिए खास चिंता का विषय हैं।

जानकारों के मुताबिक अफगानिस्तान का बाजार बहुत छोटा है। इसलिए चीन को वहां अपने उत्पादों के लिए कोई लाभदायक बाजार नहीं मिल सकता। लेकिन अफगानिस्तान में मौजूद खनिज पदार्थ और बीआरआई के तहत बने मार्गों के लिए लिहाज से यह देश चीन की गणना में महत्त्वपूर्ण है।

विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि पहले चीन ने पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान की स्थितियों को अपने पक्ष में प्रभावित करने की उम्मीद जोड़ी थी। लेकिन अब अफगानिस्तान के साथ खुद पाकिस्तान के रिश्ते बिगड़ चुके हैं। इससे भी चीन की चिंताएं बढ़ी हैं।

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कुछ अनुमानों के मुताबिक अफगानिस्तान में तांबा, आयरन और लिथियम के समृद्ध भंडार हैं। इन आकलनों के मुताबिक इन भंडारों में मौजूद खनिजों की कीमत एक ट्रिलियन डॉलर तक हो सकती है।

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान में 1.6 बिलियन बैरल कच्चे तेल का भंडार है। इसके अलावा 16 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस का भंडार भी वहां होने की पक्की जानकारी है। इस समय प्राकृतिक संसाधानों को लेकर दुनिया में खेमेबंदी होने के संकेत हैं। वैसे में चीन के लिए अफगानिस्तान एक महत्त्वपूर्ण जगह बना हुआ है।

लेकिन अफगानिस्तान के कई जन समूहों में हाल में चीन को लेकर असंतोष देखने को मिला है। काबुल के एक होटल पर बम विस्फोट भी हो चुका है, जहां ज्यादातर चीन के लोग ठहरते हैँ। जोस केबालरो के मुताबिक इन वजहों से अफगानिस्तान में चीन के लिए असहज स्थितियां बन गई हैं।

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