रामनगर (नैनीताल)। जो तितलियां केवल नदी नालों या जंगलों में दिखाई देती थी वो अब घर की बगिया में दिखाई देने लगीं हैं। सब मुमकिन हुआ है लॉकडाउन की वजह से। ध्वनि और वायु प्रदूषण न होने की वजह से अब इन तितलियों का रुख घर की बगिया की और हो रहा है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफार दीप रजवार बताते हैं कि अधिकतर लोग यही जानते हैं कि परागण केवल मधुमक्खियों द्वारा ही किया जाता है और इसका सारा श्रेय मधुमक्खियों को दे दिया जाता है लेकिन परागण में तितलियों का भी सहयोग रहता है। तितलियां भोजन की खोज करते समय बड़े फूलों के मकरंद का सेवन करती हैं। तभी उसके पैरों और शरीर पर पराग इकट्ठा हो जाता है। तितलियां मकरंद का सेवन अपनी शुंड का उपयोग कर करती हैं। तितलियों के पैर और शुंड लंबे होते हैं, जिस कारण फूलों के पराग मधुमक्खियों की तुलना में इनके शरीर के हिस्सों पर कम इकट्ठा होता है। साथ ही तितलियां पराबैंगनी प्रकाश को देखने में सक्षम होने के कारण मकरंद का आसानी से पता लगा लेती हैं।
रामनगर (नैनीताल)। जो तितलियां केवल नदी नालों या जंगलों में दिखाई देती थी वो अब घर की बगिया में दिखाई देने लगीं हैं। सब मुमकिन हुआ है लॉकडाउन की वजह से। ध्वनि और वायु प्रदूषण न होने की वजह से अब इन तितलियों का रुख घर की बगिया की और हो रहा है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफार दीप रजवार बताते हैं कि अधिकतर लोग यही जानते हैं कि परागण केवल मधुमक्खियों द्वारा ही किया जाता है और इसका सारा श्रेय मधुमक्खियों को दे दिया जाता है लेकिन परागण में तितलियों का भी सहयोग रहता है। तितलियां भोजन की खोज करते समय बड़े फूलों के मकरंद का सेवन करती हैं। तभी उसके पैरों और शरीर पर पराग इकट्ठा हो जाता है। तितलियां मकरंद का सेवन अपनी शुंड का उपयोग कर करती हैं। तितलियों के पैर और शुंड लंबे होते हैं, जिस कारण फूलों के पराग मधुमक्खियों की तुलना में इनके शरीर के हिस्सों पर कम इकट्ठा होता है। साथ ही तितलियां पराबैंगनी प्रकाश को देखने में सक्षम होने के कारण मकरंद का आसानी से पता लगा लेती हैं।