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गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार और इसके आसपास के क्षेत्र में प्रकृति को खूब मेहरबान है, लेकिन सरकार की ओर से पर्यटन विकास के लिए ठोस प्रयास नहीं हो सके हैं। राज्य गठन के 20 साल बाद भी यहां का पर्यटन लैंसडौन के भरोसे चल रहा है।
वर्ष 2011 में कोटद्वार को फोकस करते हुए बनाई गई जीएमवीएन का दिल्ली-चीला-कण्वाश्रम-हल्दूपड़ाव पैकेज टुअर भी दोबारा नहीं चल सका। पर्यटन विभाग की ओर से कौड़िया में कार्बेट के उत्तरी द्वार के नाम से बनाए गए पर्यटक आवास गृह का अभी तक लोकार्पण ही नहीं हो सका, जिससे क्षेत्र में पर्यटन विकास की योजनाएं परवान चढ़ने से पहले ही ध्वस्त हो गई। कौड़िया में बने पर्यटक आवास गृह को कोविड केयर सेंटर बना दिया गया है। क्षेत्र का पूरा पर्यटन लैंसडौन के भरोसे चल रहा है।
कोटद्वार और कण्वाश्रम में गढ़वाल मंडल विकास निगम के दो पर्यटक आवास गृह बने हैं। कोटद्वार के गेस्ट हाउस मालिनी पर्यटक गृह को किराए पर प्राइवेट एजेंसी को दे दिया गया है। 1977 में बने पर्यटक आवास गृह की हालत खस्ताहाल हो चुकी है। कण्वाश्रम में बने पर्यटक आवास गृह की हालत सुधारी गई है, लेकिन यहां भी पर्यटकों का टोटा बना है। अब पर्यटन विभाग ने यहां हट बनाने के लिए 67 लाख मंजूर किए हैं।
हिमालयी धरोहर अध्ययन केंद्र के निदेशक डा. पदमेश बुड़ाकोटी और भरत शोध संस्थान के अध्यक्ष डा. डीसी बेबनी का कहना है कि कोटद्वार में कण्वाश्रम से लेकर भरतनगर, चरेख, दुगड्डा और मोरध्वज किले की परिधि में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन यहां पर्यटकों का रुख करने के लिए सरकार को व्यापक इंतजाम करने होंगे।
गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार और इसके आसपास के क्षेत्र में प्रकृति को खूब मेहरबान है, लेकिन सरकार की ओर से पर्यटन विकास के लिए ठोस प्रयास नहीं हो सके हैं। राज्य गठन के 20 साल बाद भी यहां का पर्यटन लैंसडौन के भरोसे चल रहा है।
वर्ष 2011 में कोटद्वार को फोकस करते हुए बनाई गई जीएमवीएन का दिल्ली-चीला-कण्वाश्रम-हल्दूपड़ाव पैकेज टुअर भी दोबारा नहीं चल सका। पर्यटन विभाग की ओर से कौड़िया में कार्बेट के उत्तरी द्वार के नाम से बनाए गए पर्यटक आवास गृह का अभी तक लोकार्पण ही नहीं हो सका, जिससे क्षेत्र में पर्यटन विकास की योजनाएं परवान चढ़ने से पहले ही ध्वस्त हो गई। कौड़िया में बने पर्यटक आवास गृह को कोविड केयर सेंटर बना दिया गया है। क्षेत्र का पूरा पर्यटन लैंसडौन के भरोसे चल रहा है।
कोटद्वार और कण्वाश्रम में गढ़वाल मंडल विकास निगम के दो पर्यटक आवास गृह बने हैं। कोटद्वार के गेस्ट हाउस मालिनी पर्यटक गृह को किराए पर प्राइवेट एजेंसी को दे दिया गया है। 1977 में बने पर्यटक आवास गृह की हालत खस्ताहाल हो चुकी है। कण्वाश्रम में बने पर्यटक आवास गृह की हालत सुधारी गई है, लेकिन यहां भी पर्यटकों का टोटा बना है। अब पर्यटन विभाग ने यहां हट बनाने के लिए 67 लाख मंजूर किए हैं।
हिमालयी धरोहर अध्ययन केंद्र के निदेशक डा. पदमेश बुड़ाकोटी और भरत शोध संस्थान के अध्यक्ष डा. डीसी बेबनी का कहना है कि कोटद्वार में कण्वाश्रम से लेकर भरतनगर, चरेख, दुगड्डा और मोरध्वज किले की परिधि में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन यहां पर्यटकों का रुख करने के लिए सरकार को व्यापक इंतजाम करने होंगे।