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पर्यावरण असंतुलन से मौसम में हो रहे बदलाव से पतित पावनी सरयू नदी की अविरल धारा का घटता प्रवाह वर्ष-प्रतिवर्ष खतरे का संकेत देने लगा हैं। तीन वर्षों की अपेक्षा इस साल मई माह में नदी का जलस्तर लगभग डेढ़ मीटर अधिक घट गया है।
नदी की मुख्य धारा दूर होने से घाट व धारा के बीच टापू बन गए हैं। अयोध्या ही नहीं गुप्तार घाट के कई घाटों पर सूखा होने से वहां नावें जाम हैं, तो पंडों का भी पूजन-अर्जन कराने का काम बंद हो गया है। नदी का जलस्तर कम होने से तीर्थयात्रियों व श्रद्धालुओं के सामने दिक्कतें आने लगी हैं।
गर्मी की शुरूआत के साथ ही सरयू के जलस्तर में उतार-चढ़ाव शुरू हो जाता है। कृषि कार्यों के लिए पानी की बढ़ती मांग के कारण नदी का पानी नहरों की ओर होता है। रामनवमी पर जुटने वाले लाखों श्रद्धालुओं के स्नान के लिए नदी का जलस्तर बढ़ाया जाता है।
रामनवमी निपटने के बाद सरयू का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है, लेकिन इस साल जलस्तर पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी कम हो गया है। स्थिति यह है कि कई स्नान घाट सूख गए हैं। गुप्तार घाट पर नहाने लायक पानी नहीं है।
श्रद्धालु घाट से काफी दूर बालू का टापू पार करें तो आचमन लायक पानी मिलता है। अयोध्या में भी कई घाटों पर यही हाल है। घुटने भर भी पानी नहीं रह गए हैं। पुल के पूरब स्थित स्नान घाट का हाल तो और भी खराब हो गया है। यहां पर नदी घाट से लगभग 80 से 100 मीटर से भी अधिक दूर हो गई हैं।
घाटों से नदी के दूर होने से धर्मनगरी में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालु व तीर्थयात्रियों को स्नान में समस्याएं खड़ी होने लगी हैं। सरयू तीर्थ पुरोहित समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश पांडेय भी नदी के घटते जलस्तर पर चिंता जताते हुए कहते हैं कि स्नान घाटों से सरयू के दूर हो जाने से श्रद्धालुओं के स्नान आदि में समस्या आ रही है।
पंडों को दिक्कतें हो रही हैं। गर्मी बढ़ने के साथ जलस्तर और कम होने से स्नानार्थियों के लिए जलधारा तक पहुंचने के लिए तख्तों को जोड़कर अस्थायी पुल की व्यवस्था बनाई जाती है। केंद्रीय जल आयोग के जेेेई विनय कुशवाहा के मुताबिक, पिछले वर्ष एक मई 2015 को सरयू का जलस्तर 89.635 मीटर था, जो इस वर्ष 87.960 मीटर है।
पर्यावरण असंतुलन से मौसम में हो रहे बदलाव से पतित पावनी सरयू नदी की अविरल धारा का घटता प्रवाह वर्ष-प्रतिवर्ष खतरे का संकेत देने लगा हैं। तीन वर्षों की अपेक्षा इस साल मई माह में नदी का जलस्तर लगभग डेढ़ मीटर अधिक घट गया है।
नदी की मुख्य धारा दूर होने से घाट व धारा के बीच टापू बन गए हैं। अयोध्या ही नहीं गुप्तार घाट के कई घाटों पर सूखा होने से वहां नावें जाम हैं, तो पंडों का भी पूजन-अर्जन कराने का काम बंद हो गया है। नदी का जलस्तर कम होने से तीर्थयात्रियों व श्रद्धालुओं के सामने दिक्कतें आने लगी हैं।
गर्मी की शुरूआत के साथ ही सरयू के जलस्तर में उतार-चढ़ाव शुरू हो जाता है। कृषि कार्यों के लिए पानी की बढ़ती मांग के कारण नदी का पानी नहरों की ओर होता है। रामनवमी पर जुटने वाले लाखों श्रद्धालुओं के स्नान के लिए नदी का जलस्तर बढ़ाया जाता है।
रामनवमी निपटने के बाद सरयू का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है, लेकिन इस साल जलस्तर पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी कम हो गया है। स्थिति यह है कि कई स्नान घाट सूख गए हैं। गुप्तार घाट पर नहाने लायक पानी नहीं है।
श्रद्धालु घाट से काफी दूर बालू का टापू पार करें तो आचमन लायक पानी मिलता है। अयोध्या में भी कई घाटों पर यही हाल है। घुटने भर भी पानी नहीं रह गए हैं। पुल के पूरब स्थित स्नान घाट का हाल तो और भी खराब हो गया है। यहां पर नदी घाट से लगभग 80 से 100 मीटर से भी अधिक दूर हो गई हैं।
घाटों से नदी के दूर होने से धर्मनगरी में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालु व तीर्थयात्रियों को स्नान में समस्याएं खड़ी होने लगी हैं। सरयू तीर्थ पुरोहित समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश पांडेय भी नदी के घटते जलस्तर पर चिंता जताते हुए कहते हैं कि स्नान घाटों से सरयू के दूर हो जाने से श्रद्धालुओं के स्नान आदि में समस्या आ रही है।
पंडों को दिक्कतें हो रही हैं। गर्मी बढ़ने के साथ जलस्तर और कम होने से स्नानार्थियों के लिए जलधारा तक पहुंचने के लिए तख्तों को जोड़कर अस्थायी पुल की व्यवस्था बनाई जाती है। केंद्रीय जल आयोग के जेेेई विनय कुशवाहा के मुताबिक, पिछले वर्ष एक मई 2015 को सरयू का जलस्तर 89.635 मीटर था, जो इस वर्ष 87.960 मीटर है।