उपकप्तान गोलरक्षक सविता पूनिया, उनके साथ रक्षापंक्ति की मजबूत कड़ी में से दीपग्रेस एक्का और टीम की सबसे यंग स्ट्राइकर 18 बरस की ललरेमसियामी ने भारतीय महिला हॉकी टीम के एशियाई खेलों के लिए जकार्ता रवाना होने से पहले 'अमर उजाला’ से कहा कि टीम में इस बार पिछली बार के अपने कांसे को सुनहरे तमगे में तब्दील करने का दम है।
भारतीय महिला टीम पूल 'बी’ में दक्षिण कोरिया,थाईलैंड, कजाकिस्तान और इंडोनेशिया के साथ है। 18 सदस्यीय भारतीय टीम में कप्तान रानी रामपाल, उपकप्तान सविता पूनिया, दीपग्रेस एक्का सहित दस खिलाड़ी लगातार दूसरी बार एशियाई खेलों में देश की नुमाइंदगी करेंगी। भारत अपना अभियान रविवार को मेजबान इंडोनेशिया के खिलाफ मैच खेल कर करेगा।
दुनिया की बेहतरीन गोलरक्षक में से एक 28 वर्षीया सविता पूनिया भारत को 2016 में रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कराने के साथ 2013 में महिला एशियन ट्रॉफी में स्वर्ण और 2018 में रजत तथा नौंवा महिला एशिया कप जितवाने में अहम रोल निभा चुकी हैं। 18 बरस की उम्र में पहली बार खेलने वाली सविता पूनिया (174 अंतर्राष्ट्रीय मैच) अब भारत की खासी अनुभवी खिलाड़यों में से एक हैं।
सविता ने कहा, 'शूटआउट हमारी ताकत है। लंदन में महिला हॉकी विश्व कप के क्वॉर्टर फाइनल में शूटआउट में टीम की हार को बस इतना ही कहूंगी कि शायद दिन हमारा नहीं था। विश्व कप में हमारी टीम की रक्षापंक्ति ने खासी मुस्तैदी दिखाई ही हमारी अग्रिम पंक्ति में चाहे कप्तान रानी रामपाल हों, वंदना, ललरेसियामी या फिर नवजोत कौर सभी ने गोल करने के पर्याप्त अभियान बनाए। बस हमारी फिनिशिंग कुछ कमजोर रह गई। हमारी तैयारी अच्छी है, लड़कियां पिछली बार के कांसे को जकार्ता एशियाई खेलों में सोने में तब्दील कर सीधे ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने का दम रखती है। यूं भी महिला हॉकी विश्व कप में दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसी एशियाई टीमों में अकेली हमारी टीम ही क्वॉर्टर फाइनल में स्थान बनाने में सफल रही। हममें है दम, हम होंगे कामयाब, जीतेंगे एशियाई खेलों में महिला हॉकी खिताब।’
मिजोरम का नाम देश को बेहतरीन फुटबॉल देने के लिए लिया जाता है। फुटबॉल के इस प्रदेश ने देश को 18 बरस की ललरेमसियामी के रूप में ऐसी बेहतरीन हॉकी स्ट्राइकर दी, जिसका लोहा लंदन विश्व कप में दुनिया के हर हॉकी कमेंटटेर ने माना। अब तक भारत के लिए 30 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाली ललरेमसियामी ने बीते बरस महिला एशिया कप जिताने में ललरेमसियामी ने कप्तान रानी रामपाल और उपकप्तान सविता पूनिया के साथ अहम रोल निभाया। लंदन विश्व कप में इटली के खिलाफ दागे बेहतरीन गोल के चलते सुर्खियों में रहीं। पहली बार भारत की एशियाई खेलों में नुमाइंदगी करने जा रही ललरेमसियामी भी जोश से लबरेज हैं।
भारत के लिए 169 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुकीं 24 बरस की दीपग्रेस एक्का ने गोल्ड कोस्ट गोल्ड राष्ट्रमंडल खेलों और लंदन महिला हॉकी विश्व कप में बहुत मुस्तैदी से टीम के किले की चौकसी की। दीपग्रेस एक्का बहुत चपल भले ही न हों, लेकिन वहे भारत की महिला हॉकी टीम के किले की अपनी साथी फुलबैक सुनीता लाकड़ा और दीपिका के साथ मिलकर बहुत मजबूती से करती हैं। अपने दूसरे लगातार दूसरे एशियाई खेलों में शिरकत करने जा रही 24 बरस की ओडिशा की दीपग्रेस एक्का कहती हैं, 'हमारी टीम लंदन विश्व कप में क्वॉर्टर फाइनल में शूटआउट में मिली हार को भुला चुकी है। हमारी टीम का फोकस अब अब बेहतर फिनिशिंग के बूते ज्यादा मैदानी गोल कर इस बार एशियाई खेलों में सुनहरा तमगा जीतने पर है। हमारी कप्तान रानी रामपाल, वंदना कटारिया, ललरेमसियामी, नवजोत कौर सभी ने महिला विश्व कप में गोल करने के बहुत अभियान बनाए बस कमजोर फिनिशिंग के चलते अहम मौकों हम चूक गए।'
उपकप्तान गोलरक्षक सविता पूनिया, उनके साथ रक्षापंक्ति की मजबूत कड़ी में से दीपग्रेस एक्का और टीम की सबसे यंग स्ट्राइकर 18 बरस की ललरेमसियामी ने भारतीय महिला हॉकी टीम के एशियाई खेलों के लिए जकार्ता रवाना होने से पहले 'अमर उजाला’ से कहा कि टीम में इस बार पिछली बार के अपने कांसे को सुनहरे तमगे में तब्दील करने का दम है।
भारतीय महिला टीम पूल 'बी’ में दक्षिण कोरिया,थाईलैंड, कजाकिस्तान और इंडोनेशिया के साथ है। 18 सदस्यीय भारतीय टीम में कप्तान रानी रामपाल, उपकप्तान सविता पूनिया, दीपग्रेस एक्का सहित दस खिलाड़ी लगातार दूसरी बार एशियाई खेलों में देश की नुमाइंदगी करेंगी। भारत अपना अभियान रविवार को मेजबान इंडोनेशिया के खिलाफ मैच खेल कर करेगा।
दुनिया की बेहतरीन गोलरक्षक में से एक 28 वर्षीया सविता पूनिया भारत को 2016 में रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कराने के साथ 2013 में महिला एशियन ट्रॉफी में स्वर्ण और 2018 में रजत तथा नौंवा महिला एशिया कप जितवाने में अहम रोल निभा चुकी हैं। 18 बरस की उम्र में पहली बार खेलने वाली सविता पूनिया (174 अंतर्राष्ट्रीय मैच) अब भारत की खासी अनुभवी खिलाड़यों में से एक हैं।
सविता ने कहा, 'शूटआउट हमारी ताकत है। लंदन में महिला हॉकी विश्व कप के क्वॉर्टर फाइनल में शूटआउट में टीम की हार को बस इतना ही कहूंगी कि शायद दिन हमारा नहीं था। विश्व कप में हमारी टीम की रक्षापंक्ति ने खासी मुस्तैदी दिखाई ही हमारी अग्रिम पंक्ति में चाहे कप्तान रानी रामपाल हों, वंदना, ललरेसियामी या फिर नवजोत कौर सभी ने गोल करने के पर्याप्त अभियान बनाए। बस हमारी फिनिशिंग कुछ कमजोर रह गई। हमारी तैयारी अच्छी है, लड़कियां पिछली बार के कांसे को जकार्ता एशियाई खेलों में सोने में तब्दील कर सीधे ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने का दम रखती है। यूं भी महिला हॉकी विश्व कप में दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसी एशियाई टीमों में अकेली हमारी टीम ही क्वॉर्टर फाइनल में स्थान बनाने में सफल रही। हममें है दम, हम होंगे कामयाब, जीतेंगे एशियाई खेलों में महिला हॉकी खिताब।’
मिजोरम का नाम देश को बेहतरीन फुटबॉल देने के लिए लिया जाता है। फुटबॉल के इस प्रदेश ने देश को 18 बरस की ललरेमसियामी के रूप में ऐसी बेहतरीन हॉकी स्ट्राइकर दी, जिसका लोहा लंदन विश्व कप में दुनिया के हर हॉकी कमेंटटेर ने माना। अब तक भारत के लिए 30 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाली ललरेमसियामी ने बीते बरस महिला एशिया कप जिताने में ललरेमसियामी ने कप्तान रानी रामपाल और उपकप्तान सविता पूनिया के साथ अहम रोल निभाया। लंदन विश्व कप में इटली के खिलाफ दागे बेहतरीन गोल के चलते सुर्खियों में रहीं। पहली बार भारत की एशियाई खेलों में नुमाइंदगी करने जा रही ललरेमसियामी भी जोश से लबरेज हैं।
भारत के लिए 169 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुकीं 24 बरस की दीपग्रेस एक्का ने गोल्ड कोस्ट गोल्ड राष्ट्रमंडल खेलों और लंदन महिला हॉकी विश्व कप में बहुत मुस्तैदी से टीम के किले की चौकसी की। दीपग्रेस एक्का बहुत चपल भले ही न हों, लेकिन वहे भारत की महिला हॉकी टीम के किले की अपनी साथी फुलबैक सुनीता लाकड़ा और दीपिका के साथ मिलकर बहुत मजबूती से करती हैं। अपने दूसरे लगातार दूसरे एशियाई खेलों में शिरकत करने जा रही 24 बरस की ओडिशा की दीपग्रेस एक्का कहती हैं, 'हमारी टीम लंदन विश्व कप में क्वॉर्टर फाइनल में शूटआउट में मिली हार को भुला चुकी है। हमारी टीम का फोकस अब अब बेहतर फिनिशिंग के बूते ज्यादा मैदानी गोल कर इस बार एशियाई खेलों में सुनहरा तमगा जीतने पर है। हमारी कप्तान रानी रामपाल, वंदना कटारिया, ललरेमसियामी, नवजोत कौर सभी ने महिला विश्व कप में गोल करने के बहुत अभियान बनाए बस कमजोर फिनिशिंग के चलते अहम मौकों हम चूक गए।'