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आस्था: भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग सोमनाथ के दर्शन से कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति हो जाती है मजबूत

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 06 Dec 2022 07:17 AM IST
सार

ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा एवं दर्शन अत्यंत फलदायक होते हैं। इस पूजा द्वारा चंद्र दोष समाप्त होते हैं,भगवान शिव के साथ चंद्रमा का आशीर्वाद भी मिलता है।

ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा एवं दर्शन अत्यंत फलदायक होते हैं।
ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा एवं दर्शन अत्यंत फलदायक होते हैं।

विस्तार

हिंदू धर्म में भगवान शिव के मंदिरों में द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार देश के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग में गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां पर देवताओं द्वारा बनवाया गया एक पवित्र कुंड भी है जिसे सोमकुण्ड या पापनाशक तीर्थ कहते हैं। भोलेनाथ के इस पावन तीर्थ के बारे में मान्यता है कि यह हर काल में यहीं मौजूद रहता है।


चंद्रदेव को मिली थी श्राप से मुक्ति
प्राचीन समय में दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रदेव के साथ किया था। दक्ष की सभी कन्याओं में से रोहिणी सबसे सुदर थी। चंद्रदेव को सभी पत्नियों में से सबसे अधिक प्रेम रोहिणी से ही था। इस बात से दक्ष की शेष 26 पुत्रियों को रोहिणी से ईर्ष्या होने लगी और वे दुखी रहने लगीं। जब ये बात प्रजापति दक्ष को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर चंद्रमा को धीरे-धीरे खत्म होने का श्राप दे दिया। दक्ष के श्राप से चंद्रदेव धीरे-धीरे खत्म होने लगे। इस श्राप से मुक्ति के लिए ब्रह्माजी ने चंद्र को प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में शिवजी की प्रसन्नता के लिए तपस्या करने को कहा। चंद्र ने सोमनाथ में शिवलिंग की स्थापना करके उनकी तपस्या शुरू कर दी। चंद्रमा के कठोर तप से प्रसन्न होकर शिवजी वहां प्रकट हुए और चंद्रदेव को उस श्राप से मुक्त करके अमरत्व प्रदान किया और इतना ही नहीं अपने सिर पर धारण भी किया। 


इस वजह से चंद्रमा की कृष्ण पक्ष में एक-एक कला क्षीण (खत्म)होती है,लेकिन शुक्ल पक्ष को एक-एक कला बढ़ती है और पूर्णिमा को पूर्ण रूप प्राप्त होता है। बाद में चंद्रदेव ने भगवान शिव को माता पार्वती के साथ यहीं रहने की प्रार्थना की। तब से भगवान शिव प्रभास क्षेत्र यानी सोमनाथ में ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करते हैं।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा का फल
समुद्र तट पर स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि यहां पर विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन,स्मरण,मंत्र ,जप एवं रुद्राभिषेक आदि करने पर शिव भक्तों के सभी संकट और पाप दूर हो जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। भगवान सोमनाथ की साधना-आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान शिव की हमेशा उस पर कृपा बनी रहती है और उसे जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का ज्योतिष महत्व
ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा एवं दर्शन अत्यंत फलदायक होते हैं। इस पूजा द्वारा चंद्र दोष समाप्त होते हैं,भगवान शिव के साथ चंद्रमा का आशीर्वाद भी मिलता है एवं धन-धान्य की प्राप्ति होती है,मानसिक रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।
 

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