31 जनवरी को संकटों को टालने वाली संकष्टी चतुर्थी है। इसे सकट, सकट चौथ, संकटा चौथ या तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है।
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जनवरी का आखिरी सप्ताह 25 से 31 जनवरी तक है। इस हफ्ते कुछ व्रत-उपवास और महत्वपूर्ण तिथि आएगी। 24 जनवरी का साल में दो बार आने वाली पुत्रदा एकादशी है। यह एकादशी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए रखी जाती है। इसके बाद 26 जनवरी को भगवान शिव की कृपा पाने और आराधना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण यह भौम प्रदोष कहलाया जाएगा।
इसके बाद 28 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। पौष पूर्णिमा पर स्नान, ध्यान और दान करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। पौष पूर्णिमा के बाद यानी अगले दिन ही माघ का महीना आरंभ हो जाएगा। स्नान और दान करने के लिए माघ का महीना बहुत ही उत्तम माना गया है। मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान ,पौष पूर्णिमा से आरम्भ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है। रविवार, 31 जनवरी को सकट चौथ मनाई जाएगी। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या तिल चतुर्थी कहते है।
पुत्रदा एकादशी
पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है। संतान की इच्छा रखने वालों के लिए यह व्रत वरदान की तरह है। ये तिथि सब पापों को हरने वाली पितृऋण से मुक्ति दिलाने में सक्षम है। पौष और सावन के महीने में इस एकादशी का व्रत रखा जाता है।
26 जनवरी, भौम प्रदोष
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार पौष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत मंगलवार, 26 जनवरी को रखा जाएगा। मंगलवार के दिन यह व्रत पड़ने से इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। मान्यता है इस प्रदोष व्रत को रखने से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती है।
28 जनवरी- पौष पूर्णिमा, माघ स्नान शुरू और गुरु पुष्य योग
28 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा तिथि है। इस दिन गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है। 28 जनवरी हिंदू कैलेंडर का पौष माह का आखिरी दिन होगा। इसके बाद माघ महीने की शुरुआत हो जाएगी। माघ महीने में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। माघ के महीने में प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास किया जाता है।
31 जनवरी, संकष्टी चतुर्थी
31 जनवरी को संकटों को टालने वाली संकष्टी चतुर्थी है। इसे सकट, सकट चौथ, संकटा चौथ या तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। यह व्रत रखने से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। यह उत्तर भारतीयों का प्रमुख पर्व है। मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा पाठ वर्ष पर्यंत सुख शान्ति और पारिवारिक विकास में सहायक सिद्ध होता है।
विस्तार
जनवरी का आखिरी सप्ताह 25 से 31 जनवरी तक है। इस हफ्ते कुछ व्रत-उपवास और महत्वपूर्ण तिथि आएगी। 24 जनवरी का साल में दो बार आने वाली पुत्रदा एकादशी है। यह एकादशी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए रखी जाती है। इसके बाद 26 जनवरी को भगवान शिव की कृपा पाने और आराधना करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण यह भौम प्रदोष कहलाया जाएगा।
इसके बाद 28 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। पौष पूर्णिमा पर स्नान, ध्यान और दान करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। पौष पूर्णिमा के बाद यानी अगले दिन ही माघ का महीना आरंभ हो जाएगा। स्नान और दान करने के लिए माघ का महीना बहुत ही उत्तम माना गया है। मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान ,पौष पूर्णिमा से आरम्भ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है। रविवार, 31 जनवरी को सकट चौथ मनाई जाएगी। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या तिल चतुर्थी कहते है।
पुत्रदा एकादशी
पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार रखा जाता है। संतान की इच्छा रखने वालों के लिए यह व्रत वरदान की तरह है। ये तिथि सब पापों को हरने वाली पितृऋण से मुक्ति दिलाने में सक्षम है। पौष और सावन के महीने में इस एकादशी का व्रत रखा जाता है।
26 जनवरी, भौम प्रदोष
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार पौष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत मंगलवार, 26 जनवरी को रखा जाएगा। मंगलवार के दिन यह व्रत पड़ने से इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। मान्यता है इस प्रदोष व्रत को रखने से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती है।
28 जनवरी- पौष पूर्णिमा, माघ स्नान शुरू और गुरु पुष्य योग
28 जनवरी को पौष माह की पूर्णिमा तिथि है। इस दिन गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है। 28 जनवरी हिंदू कैलेंडर का पौष माह का आखिरी दिन होगा। इसके बाद माघ महीने की शुरुआत हो जाएगी। माघ महीने में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। माघ के महीने में प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास किया जाता है।
31 जनवरी, संकष्टी चतुर्थी
31 जनवरी को संकटों को टालने वाली संकष्टी चतुर्थी है। इसे सकट, सकट चौथ, संकटा चौथ या तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। यह व्रत रखने से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। यह उत्तर भारतीयों का प्रमुख पर्व है। मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा पाठ वर्ष पर्यंत सुख शान्ति और पारिवारिक विकास में सहायक सिद्ध होता है।