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Rajasthan: राठौड़ ने प्रमुख सचिव को दिया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव, लिखा- विधायक लोढ़ा ने किया निरंकुश आचरण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजस्थान Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Thu, 02 Feb 2023 02:46 PM IST
सार

 उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने निर्दलीय विधायक और सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा को टारगेट करते हुए विधानसभा के प्रमुख सचिव को विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दिया। इसमें कहा गया कि विधायक संयम लोढ़ा ने नियम विरूद्ध निरंकुश आचरण किया है।

Rajendra Rathore said MLA Sanyam Lodha misbehaved
प्रमुख सचिव को दिया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव - फोटो : Amar Ujala Digital

विस्तार

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जो विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का नोटिस राजस्थान विधानसभा के प्रमुख सचिव को सौंपा है उसमें विधानसभा प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 157, 158 के तहत प्रस्ताव दिया गया है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने प्रस्ताव में लिखा है कि विधायक संयम लोढ़ा के प्रश्नगत आचरण से मेरा और इस सदन का विशेषाधिकार भंग हुआ है। विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने 30 जनवरी 20213 को एक शपथ पत्र विधानसभा के रिकॉर्ड बाबत खुद की जानकारी और अध्यक्ष द्वारा उपलब्ध कराई गई मौखिक सूचना के आधार पर  दिया है कि संयम लोढ़ा ने अपने पांच अन्य साथी विधायकों महेश जोशी, महेंद्र चौधरी, शांति धारीवाल, रफीक खान और रामलाल जाट के साथ 25 सितम्बर 2022 को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष खुद उपस्थित होकर उन्हें खुद के अलावा सदन के 75 अन्य विधायकों के साइन किए हुए इस्तीफे सौंपे। किसी भी सदस्य(विधायक) को विधानसभा में उनकी सीट से त्यागपत्र देने का संवैधानिक अधिकार आर्टिकल 190 (3) (बी) के तहत मिला हुआ है। उन्हें अपनी इच्छे के खिलाफ सदस्य बने रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।



राठौड़ ने प्रस्ताव में लिखा कि अगर सदन का कोई सदस्य अध्यक्ष को संबोधित अपने साइन सहित लेख द्वारा अपने स्थान का त्याग कर देता है, तो आर्टिकल 190 (3) (बी) के तहत उनका त्याग पत्र अध्यक्ष की ओर से स्वीकार करने के योग्य बन जाता है। लेकिन आर्टिकल 190 (3) (बी) के परन्तुक के अनुसार ऐसा त्यागपत्र अगर प्राप्त जानकारी से या अन्यथा और ऐसी जांच करने के बाद जो वह ठीक समझे, अध्यक्ष को यह समाधान हो जाता है कि ऐसा इस्तीफा स्वैच्छिक या असली नहीं है, तो वह ऐसे त्यागपत्र को स्वीकार नहीं करेंगे। विधानसभा के नियम और प्रक्रियाओं के नियम 173 (2) के तहत व्यक्तिगत रूप से दिया गया त्याग पत्र अध्यक्ष द्वारा तुरंत स्वीकार किए जाने योग्य है। अगर अध्यक्ष को उस त्यागपत्र के स्वेच्छा और वास्तविक नहीं होने के संबंध में कोई सूचना या ज्ञान नहीं है।


त्यागपत्र की फोटो कॉपियां पेश
उन्होंने कहा शपथ पत्र के मुताबिक संयम लोढ़ा ने अपने साथी पांच विधायकों के साथ मिलकर जिन 75 विधायकों के अपनी-अपनी सीट से दिए गए इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे, उनमें इस सदन के विधायक अमित चाचाण, गोपाल लाल मीणा, चेतन सिंह चौधरी, दानिश अबरार और खुद सुरेश टांक के मूल त्यागपत्र के स्थान पर उनके त्यागपत्रों की फोटो कॉपियां अध्यक्ष को पेश कर दी। विधायक संयम लोढ़ा का अन्य पांच विधायकों के साथ मिलकर 81 विधायकों के इस्तीफे सामूहिक रूप से पेश करना का फैक्ट और हर विधायक द्वारा अलग-अलग अपने त्याग पत्र पेश नहीं करने का तथ्य सामने आया है।

त्याग पत्र किसी बाहरी दबाव से दिए स्पष्ट है
राठौड़ ने कहा कि विधायकों द्वारा त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं होने के कथन से खुद ही यह स्पष्ट होता है कि त्याग पत्र किसी बाहरी दबाव से दिए गए, जिसमें संयम लोढ़ा की मिलीभगत खुद ही दिखाई देती है। इसके पीछे संयम लोढ़ा की मंशा यह रही कि विधानसभा अध्यक्ष जबरन प्राप्त किए गए इस्तीफों और फोटो कॉपी इस्तीफों के आधार पर उन्हें स्वैच्छिक और वास्तविक और मूल दस्तावेज होने की गलत धारणा बना लें और ऐसे इस्तीफों के आधार पर सदस्यों को विधानसभा की सदस्यता से वंचित कर दें। इससे 75 विधायकों की ना केवल सार्वजनिक मानहानि हुई है बल्कि मानहानि के साथ जन अवमानना हुई है और उनके विशेषाधिकार का हनन हुआ है।

विधायकों को सदस्यता से वंचित करने के बड़े षड़यंत्र में संयम लोढ़ा की भूमिका
राजेंद्र राठौड़ ने लिखा कि संयम लोढ़ा ने न केवल 75 विधायकों को एक चुने हुए विधायक के रूप में सदस्यता से वंचित करने के बड़े षड़यंत्र में प्रथम दृष्टया बड़ी भूमिका निभाई है। बल्कि यह झूठी बात अध्यक्ष के सामने कही है कि उनके द्वारा दिया गया खुद का इस्तीफा भी स्वैच्छिक नहीं था। वरना 25 सितंबर 2022 को या उसके बाद किसी भी तारीख को वह अध्यक्ष के सामने इसकी जानकारी लाने के लिए स्वतंत्र थे। स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं देने का जो मिथ्या कथन खुद के इस्तीफे के बारे में संयम लोढ़ा ने 10 जनवरी 2023 को अध्यक्ष को किया, वह प्रथम दृष्टया मिथ्या कथन था।

हाईकोर्ट में पेंडिंग रिट याचिका की जानकारी के बावजूद मेरे खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश
राठौड़ ने लिखा कि संयम लोढ़ा ने यह जानते हुए कि रिट याचिका संख्या 18077/2022 राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय के लिए पेंडिंग है, जान बूझकर विधानसभा के नियम 121 के उपनियम 8 का उल्लंघन कर मेरे खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया। जिस नियम के अनुसार प्रस्ताव किसी ऐसे विषय से संबंधित नहीं होगा, जो भारत के किसी भाग में सर्वाधिकार रखने वाले किसी कोर्ट के न्याय निर्णयन के अंतर्गत हो। इस तरह संयम लोढ़ा का ऐसा कृत्य नियम विरुद्ध निरंकुश आचरण करने के बराबर है और मेरा व सदन का विशेषाधिकार हनन करता है। मैं यह विशेषाधिकार हनन का प्रश्न मौजूदा सत्र में 2 फरवरी 2013 को सदन में उठाए जाने की अनुमति देने के लिए पेश कर रहा हूं।

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