Ganesh Chaturthi Ganesh Puja Date 2021: 10 सितंबर 2021 को गणेश चतुर्थी का पर्व है और इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर है। मान्यता है कि भाद्रमाह की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म दोपहर के समय हुआ था। भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि पर लोग अपने घरों पर बप्पा को स्थापित करते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। गणपति आदिदेव हैं जिन्हें प्रथम पूज्य की गरिमामय पदवी हासिल है। सनातन धर्म के अनुसार किसी भी शुभ काम को करने से पहले गणेशजी पूज्यनीय हैं। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते हैं। मन को मोह लेने वाले गणेश जी के भव्य और दिव्य स्वररूप में विशिष्ट व गहरा अर्थ निहित है, जिनको अपने जीवन में उतारकर कोई भी भक्त सुखी और संपन्न हो सकता है।
महाबुद्धित्व का प्रतीक सूंड
उनकी लम्बी सूंड महाबुद्धित्व का प्रतीक है। लम्बी सूंड तीव्र घ्राण शक्ति की महत्वता को प्रतिपादित करती है जो विवेकी व्यक्ति है ,वह अपने आस-पास के माहौल को पहले से ही सूंघ सकता है। गणेशजी की सूंड हमेशा हिलती-डुलती रहती है और एक प्रकार से हमेशा सचेत होने का संकेत देती है।
सूझ-बूझ का परिचायक बड़ा पेट
उनके लम्बोदर होने के पीछे एक कारण यह भी माना जाता है कि वे हर अच्छी-बुरी बात को पचा जाते हैं। इससे ये सन्देश मिलता है कि मनुष्य को हर बात अपने अंदर रखकर किसी भी बात का निर्णय बड़ी सूझ-बूझ के साथ लेना चाहिए व लम्बोदर स्वरूप से हमें ग्रहण करना चाहिए कि बुद्धि के द्वारा हम समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं और सबसे बड़ी समृद्धि प्रसन्नता है।
सबकी सुनने के लिए बड़े कान
गणेशजी के कान सूप की तरह हैं और सूप का स्वभाव है कि वह सार- सार को ग्रहण कर लेता है और कूड़ा करकट को उड़ा देता है। गणेश जी के कानों से यह सन्देश मिलता है कि मनुष्य को सुननी सबकी चाहिए, लेकिन अपने बुद्धि विवेक से ही किसी कार्य का क्रियान्वयन करना चाहिए।
ब्रह्मशक्ति का घोतक मोदक
गणेशजी के हाथ में मोदक होता है। कहीं-कहीं उनकी सूंड के अग्र भाग पर मोदक दिखाई देता है। मोदक को महाबुद्धि का प्रतीक बताया गया है। मोदक का निर्माण अमृत से हुआ है। मोदक ब्रह्मशक्ति का भी घोतक है। मोदक बन जाने के बाद वह अंदर से दिखाई नहीं देता है कि उसमें क्या-क्या समाहित है,इसी तरह पूर्ण ब्रह्म भी माया से आच्छादित होने के कारण वह हमें दिखाई नहीं देता।