उड़ीसा स्थित जगन्नाथपुरी सबसे प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थलों मे से एक है। यहां हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन होता है, जो इस बार 14 जुलाई 2018 से शुरू होकर 10 दिन तक चलेगा। इस रथयात्रा उत्सव में भगवान जगन्नाथ को रथ पर विराजमान करके सारे नगर में भ्रमण कराया जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। जगन्नाथपुरी से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित है। जिसके अनुसार यहां विश्व की सबसे बड़ी रसोई है, जिसमें भगवान जगन्नाथ के लिए भोग तैयार किया जाता है। आइए जानते हैं जगन्नाथ मंदिर की रसोई से जुड़ी कुछ रहस्य...
दुनिया भर में जगन्नाथ मंदिर की रसोई के चर्चे हैं। इस विशाल रसोई में भगवान जगन्नाथ के लिए भोग तैयार किया जाता है। जिसे बनाने के लिए लगभग 500 रसोइए तथा उनके 300 सहयोगी काम करते हैं। बताया जाता है कि रसोई में जो भी भोग तैयार किया जाता है वह सब मां लक्ष्मी की देखरेख में होता है।
हर दिन सभी रसोइये मिलकर 56 तरह के भोग बनाते हैं। रसोई में बनने वाला हर पकवान को जैसा हिंदू धर्म पुस्तकों में बताया गया है वैसे ही बनाया जाता है। प्रसाद में किसी तरह के कोई बदलाव नहीं किये जाते। यह पूरी तरह से शाकाहारी होता है। भोग में किसी भी तरह से प्याज व लहसुन का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता।
भगवान जगन्नाथ के लिए बनाए गये भोग को मिट्टी के बर्तनों में तैयार किया जाता है। रसोई के पास में दो कुएं हैं, जिन्हें गंगा और यमुना कहा जाता है। भोग बनाने के लिए सिर्फ इन्हीं से निकले पानी का इस्तेमाल किया जाता है।
भोग पकाने के लिए 7 मिट्टी के बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं और सारा का सारा प्रसाद लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले सबसे ऊपर रखे बर्तन की भोग सामग्री पकती है उसके बाद नीचे की तरफ एक के बाद एक भोग तैयार होता जाता है।