सूर्य आराधना का मुख्य पर्व इंदौर, भोपाल समेत पूरे मध्यप्रदेश में धूमधाम से मनाया गया। कोरोना काल के दो साल के बाद शहर में कई स्थानों पर छठ पूजा की रौनक दिखी। ऐसी मान्यता है कि शाम को सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ रहते हैं। इस कारण छठ पूजा में डूबते सूर्य की को अर्घ्य दिया जाता हैै।
रविवार को इंदौर में 100 से ज्यादा स्थानों पर अस्थायी कुंड और छोटे घाट बनाए गए। जहां महिलाओं ने कुंड में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत को पूर्ण किया। प्रसाद के रूप में सूर्य भगवान को विशेष प्रकार का पकवान 'ठेकुवा' और मौसमी फल चढ़ाए। सूर्य देवता को दूध एवं जल से अर्घ्य दिया गया। इससे पहले शनिवार को खरना मनाया गया था। महिलाओं ने दिनभर व्रत रखकर शाम को मिटटी के बने चूल्हे पर गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी का भगवान सूर्य को भोग लगाया। फिर 36 घंटे का निर्जला उपवास किया। सोमवार सुबह सूर्य की अराधना के साथ यह व्रत समाप्त होगा।