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MP News: मध्यप्रदेश में भी मना छठ, सूर्य को दिया अर्घ्य, लगे छठ मैय्या केे जयकारे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर/भोपाल/ग्वालियर/जबलपुर Published by: रवींद्र भजनी Updated Sun, 30 Oct 2022 08:52 PM IST
MP News: Chhath celebrated in Madhya Pradesh too
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सूर्य आराधना का मुख्य पर्व इंदौर, भोपाल समेत पूरे मध्यप्रदेश में धूमधाम से मनाया गया। कोरोना काल के दो साल के बाद शहर में कई स्थानों पर छठ पूजा की रौनक दिखी। ऐसी मान्यता है कि शाम को सूर्य देवता अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ रहते हैं। इस कारण छठ पूजा में डूबते सूर्य की को अर्घ्य दिया जाता हैै।

रविवार को इंदौर में 100 से ज्यादा स्थानों पर अस्थायी कुंड और छोटे घाट बनाए गए। जहां महिलाओं ने कुंड में खड़े रहकर सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत को पूर्ण किया। प्रसाद  के रूप में सूर्य भगवान को विशेष प्रकार का पकवान 'ठेकुवा' और मौसमी फल चढ़ाए। सूर्य देवता को दूध एवं जल से अर्घ्य दिया गया। इससे पहले शनिवार को खरना मनाया गया था। महिलाओं ने दिनभर व्रत रखकर शाम को मिटटी के बने चूल्हे पर गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी का भगवान सूर्य को भोग लगाया। फिर 36 घंटे का निर्जला उपवास किया। सोमवार सुबह सूर्य की अराधना के साथ यह व्रत समाप्त होगा।
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इंदौर में रही रौनक
इंदौर के बाणगंगा, विजय नगर, एरोड्रम रोड, महालक्ष्मी नगर, वृंदावन कालोनी में शाम से ही छठ महोत्सव की रौनक थी। शाम होते ही कुंड में खड़े होकर निर्जला व्रत करने वाली महिलाओं नेे सूर्य की पूजा की और छठ मैय्या के जयकारे लगाए। पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के महासचिव केके झा ने बताया कि शहर में कुंडों को भी सजाया गया था। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतधारी घर जाकर परिवार की लंबी उम्र के मनोकामना करेंगे। कई क्षेत्रों में सामूहिक आयोजन भी किए जा रहे हैं। अन्नपूर्णा मेें कृत्रिम जलाशय में नाव खड़ी की गई। उसमें खड़े होकर महिलाओं ने सूर्यदेव की पूजा की।
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उमरिया में भी दिखा उल्लास 
छठ पर्व का उल्लास उमरिया जिले में भी दिखाई दिया। बिरसिंहपुर में स्थानीय प्राचीन सगरा तालाब में श्रद्धालु जुटे। पर्व के पहले दिन महिलाओं ने सूर्यास्त के पूर्व भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-पाठ किया। बांस के बर्तन में फल-सब्जी समेत अन्य नेवैद्य छठ माता व भगवान सूर्य देव को भोग स्वरूप अर्पित किए गए। मान्यता है कि नवविवाहित महिलाओं द्वारा व्रत का पालन करने से उन्हें तेजस्वी बलशाली संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन माता कुंती ने व्रत का पालन किया था तो उन्हें भी बलवान और तेजस्वी संतान की प्राप्ति हुई थी।  
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