लखनऊ की बेमिसाल बाइकर पल्लवी फौजदार ने रोमांच के शिखर पर नया रिकॉर्ड कायम किया है। दुनिया की सबसे ऊंचे दुर्गम स्थल में शुमार लेह-लद्दाख के उमलिंग ला पास (मोटरेबल पास) पर बाइक से फर्राटा भरकर पल्लवी ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। पल्लवी का दावा है कि उमलिंग ला पास पर यह कारनामा करने वाली वह पहली बाइकर हैं।
खतरनाक रास्ते, 4000 किमी का सफर वो भी अकेले
पल्लवी बताती हैं, मैं 26 जुलाई को दिल्ली से श्रीनगर के लिए बाइक से रवाना हुई। श्रीनगर में तीन दिन रुकी। इसके बाद दुर्गम रास्तों की ओर बढ़ चली। 15 दिन में अकेले ही 4000 किमी. का सफर तय किया। लेह-लद्दाख के इन दुर्गम रास्तों समेत पल्लवी ने 15 दिन में बाइक से अकेले ही 4000 किमी का सफर तय किया।
चुनौतियां थीं तो क्या, रुकना मुझे मंजूर न था...
पल्लवी कहती हैं, हमारे रास्ते में कई चुनौतियां थीं। सबसे सुदूर इलाका तो है ही पर बारिश से रास्ते कट चुके थे। ऊपर से बर्फ पड़ रही थी। जरा-सा चूक का भी मतलब सबकुछ खत्म। इन रास्तों पर हम अकेले थे पर साहस हमारे साथ था। मुझे रुकना मंजूर नहीं था। आखिर 4 अगस्त को अपनी मंजिल 19,323 फीट की ऊंचाई पर स्थित उमलिंग ला पास पर पहुंच ही गई।
खुद अपने रिकॉर्ड से होड़
पल्लवी का दावा है कि वे दुनिया की ऐसी एकमात्र बाइक राइडर हैं जो 5000 मीटर या 16,650 फीट के 15 दर्रों से होकर गुजर चुकी हैं। वह बताती हैं कि इस दौरान उन्हें एक बेनाम दर्रा मिला, जिसकी ऊंचाई 16,677 फीट थी। इसका नामकरण उन्होंने ही किया। नाम रखा बोनी ला पास जिसे बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन ने प्रमाणित भी कर दिया है। पल्लवी ने इस यात्रा में छह दर्रों को पार किया। इनमें थिट जारबो, बोनी ला, सलसल ला, फोटो ला और नॉरबो ला शामिल हैं। उमलिंग ला पास से पहले पल्लवी ने 18,774 फीट ऊंचे ‘माना पास’ पर बाइक से पहुंच कर रिकॉर्ड बनाया था। पल्लवी को 8 मार्च को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बाइकिंग के जरिए सामाजिक और साहसपूर्ण कार्य के लिए नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित भी किया था।
बदलनी है सोच, इसलिए बन गई बाइकर
हीलर, फैशन डिजाइनर, बिजनेस वीमेन स्टोन थेरेपिस्ट और अब बाइकर भी। पल्लवी 12 और 7 साल के दो बेटों की मां भी हैं। वे कहती हैं कि मुझे एतराज है लोगों की इस सोच से कि लोगों ने महिला-पुरुष के क्षेत्र बांट रखे हैं। मेरा मानना है कि कोई काम ऐसा नहीं जिसे महिलाएं कहीं ज्यादा बेहतर और आत्मविश्वास के साथ न कर सकें। बाइकर बनना कोई पुरुषों का एकाधिकार नहीं, महिलाएं भी कर सकती हैं।