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जानिए क्या है VVPAT मशीन? पहली बार किसी राज्य के चुनाव में होगी इस्तेमाल
amarujala.com- Presented by: मोहित Updated Thu, 12 Oct 2017 08:22 PM IST
चुनाव आयोग ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान कर दिया। इस चुनाव की एक अलग अहमियत है क्योंकि हिमाचल पहला ऐसा राज्य होगा जहां वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (वीवीपीएटी) मशीनों का इस्तेमाल होगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनावों में पारदर्शिता की मांग की थी। यही नहीं दलों की मांग है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भी इस मशीन का इस्तेमाल हो।
क्या है VVPAT मशीन?
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क्या है VVPAT मशीन?
वीवीपीएटी एक ऐसी मशीन है जिसमें वोट देने के बाद एक स्लिप निकलती है जिसपर आप यह देख सकते हैं कि आपने किस प्रत्याशी को वोट दिया है। इसका मकसद गलती की गुंजाइश को शून्य करना है।
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कैसे काम करती है?
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कैसे काम करती है?
वीवीपीएटी मशीन को ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। व्यक्ति जब किसी प्रत्याशी को वोट देता है तो स्क्रीन पर उसका चुनाव चिन्ह, नाम और साथ ही वोटर नंबर भी मशीन पर लगी स्क्रीन पर लगा दिखाई देता है।
वोट डालने के बाद मतदाता को पर्ची के जरिए यह जानकारी दी जाती है कि उन्होंने किसे वोट किया। इस पर्ची को रिकॉर्ड के तौर पर रखा जाता है। हालांकि ये पर्ची मतदाता को नहीं मिलती, यह मतदान केंद्र पर ही जमा हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से क्या कहा था?
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सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से क्या कहा था?
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा था कि वर्ष 2014 के चुनाव में चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के साथ ही कागज की पर्ची देने की व्यवस्था शुरू की जाए।
स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए यह आवश्यक है और इससे मतदाताओं का विश्वास बहाल होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि ईवीएम के साथ वीवीपीएटी व्यवस्था लागू करने के लिए निर्वाचन आयोग को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए।
क्यों पड़ी इस मशीन की जरूरत?
हाल में हुए यूपी चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद विपक्ष ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने वीवीपीएटी का इस्तेमाल करने की बात कही थी।
वहीं लगातार लग रहे आरोप के बाद चुनाव आयोग सख्त हो गया। आयोग ने ईवीएम हैकिंग का चैलेंज भी किया था, जिसमें विपक्षी ने किनारा कर लिया।
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