प्रोड्यूसर-डायरेक्टर रामानंद सागर को खासतौर से 'रामायण' के लिए जाना जाता है। रामानंद सागर की प्रतिभा का आंकलन इससे लगाया जा सकता है कि वो एक लेखक, पत्रकार, स्क्रिप्ट राइटर, डायलॉग राइटर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे। रामानंद सागर का निधन 12 दिसंबर 2005 को हुआ था। लगातार छह सिल्वर जुबली सुपरहिट फिल्में बनाने के बाद रामानंद सागर ने जब टीवी पर रामायण बनाने का फैसला किया तो उनके सभी साथी अचंभित थे।
रामायण ने भारतीय टेलीविजन इतिहास में नये मुकाम हासिल किये। इसके हर दृश्य को जीवन्त बनाने के लिए हर एक शख्स ने मेहनत की थी। बीबीसी के मुताबिक 1944 में एक ज्योतिष ने रामानंद सागर का हाथ देखकर ये भविष्यवाणी की थी कि वो अपने जीवन के अंतिम दिनों में श्री राम के जीवन को फिर रचेंगे। रामानंद सागर का जन्म 29 दिसंबर 1917 पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। उनके बचपन का नाम चंद्रमौली चोपड़ा था।
परिवार के लिए उन्हें चपरासी तक की नौकरी करनी पड़ी। रामानंद सागर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर लेखक की। तेजी से कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए 1950 में प्रोडक्शन कंपनी 'सागर आर्ट कॉरपोरेशन' की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन किया जिनमें आरजू, इंसानियत, पैगाम, आंखें, ललकार, गीत जैसी कई बेहतरीन फिल्में शामिल हैं।
बात करें सीरियल्स की तो इनमें विक्रम बेताल, रामायण, श्रीकृष्णा, अलिफ लैला, जय गंगा मैया जैसे सुपरहिट थे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी रामायण ने। 25 जनवरी 1987 को रामायण का पहला एपिसोड प्रसारित हुआ। ये सीरियल 31 जुलाई 1988 तक चलता रहा। दूरदर्शन पर रामायण रविवार सुबह 45 मिनट (विज्ञापन समेत) तक आता था।
कहा जाता है कि उस दौर में रामायण के प्रसारण के दौरान अफसर से लेकर नेता तक किसी से मिलना तो क्या किसी का फोन भी उठाना पसंद नहीं करते थे। 78 एपिसोड वाले रामायण का प्रसारण जब होता था तो देश की सड़कों और गलियों में कर्फ्यू जैसा सन्नाटा छा जाता था। आज के दौर में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। रामायण को विश्व भर में 65 करोड़ से ज्यादा लोगों ने टीवी पर देखा।