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बॉलीवुड के इकलौते सिंगर थे सहगल जो शराब पिए बिना नहीं गाते थे, लता मंगेशकर करना चाहती थीं शादी
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Published by: भावना शर्मा Updated Fri, 18 Jan 2019 10:57 AM IST
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कुंदन लाल सहगल का नाम हिंदी फिल्मों में एक बेमिसाल गायक के रूप में विख्यात हैं, लेकिन देवदास (1936) जैसी चंद फिल्मों में उम्दा अभिनय के कारण उनके प्रशंसक उन्हें हिंदी सिने जगत का पहला सुपरस्टार मानते हैं। 1930 और 40 के दशक की संगीतमयी फिल्मों की ओर दर्शक उनके भावप्रवण अभिनय और दिलकश गायकी के कारण खिंचे चले आते थे।
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अपने दो दशक के सिने करियर में सहगल ने 36 फिल्मों में अभिनय किया, लगभग 185 गीत गाए, जिनमें 142 फिल्मी और 43 गैर-फिल्मी गीत शामिल हैं। सहगल 18 जनवरी, 1947 को केवल 43 वर्ष की उम्र में इस संसार को अलविदा कह गए थे। सहगल की आवाज की लोकप्रियता का यह आलम था कि कभी भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय रहा रेडियो सीलोन कई साल तक हर सुबह सात बज कर 57 मिनट पर इस गायक का गीत बजाता था।
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- फोटो : file photo
सहगल की आवाज लोगों की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन गई थी। वे रवीन्द्र संगीत गाने का सम्मान पाने वाले पहले गैर बांग्ला गायक थे। यह वह समय था जब भारतीय फिल्म उद्योग मुंबई में नहीं बल्कि कलकत्ता में केंद्रित था। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस जमाने में उनकी शैली में गाना अपने आपमें सफलता की कुंजी मानी जाती थी।
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मुकेश और किशोर कुमार ने अपने करियर के आरंभ में सहगल की शैली में गायन किया भी था। कुंदन के बारे में कहा जाता है कि पीढ़ी दर पीढी इस्तेमाल करने के बाद भी उसकी आभा कम नहीं पडती। सहगल सचमुच संगीत के कुंदन थे। सहगल की उदारता के कई किस्से मिलते हैं। कहते हैं कि न्यू थिएटर्स के ऑफिस से उनकी सैलरी सीधे उनके घर पहुंचाई जाती थी, क्योंकि अगर उनके हाथ में पैसे होते तो आधा वह शराब में उड़ा देते, बाकी जरूरतमंदों में बांट देते।
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एक बार उन्होंने पुणे में एक विधवा को हीरे की अंगूठी दे दी थी। सहगल बिना शराब पिए नहीं गाते थे। 'शाहजहां' के दौरान नौशाद ने उनसे बिना शराब पिए गवाया, और उसके बाद सहगल की जिद पर वही गाना शराब पिलाकर गवाया। बिना पिए वह ज्यादा अच्छा गा रहे थे। उन्होंने नौशाद से कहा, 'आप मेरी जिंदगी में पहले क्यों नहीं आए? अब तो बहुत देर हो गई। सहगल को खाना बनाने का बहुत शौक था।
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