फिल्मों में सितारे हीरो और विलेन के किरदार निभाकर दर्शकों के दिलों में अपने लिए जगह बनाते हैं। नायक और खलनायक की भूमिकाओं के अलावा कुछ अन्य भूमिकाएं भी होती हैं, जिन्हें अपने हुनर के दम पर कुछ कलाकार इतने शानदार अंदाज में निभाते हैं कि याद रह जाते हैं। इस कड़ी में कॉमेडियन्स को नहीं भूला जा सकता है। अपनी शानदार एक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग के चलते कॉमेडी रोल करने वाले सितारे अपनी खास पहचान बनाते हैं। हिंदा सिनेमा में अपनी कॉमेडी से ऐसा ही नाम कमाया देवेन वर्मा ने। कॉमेडी के उस्ताद देवेन वर्मा की आज पुण्यतिथि है। आइए जानते हैं उनके बारे में...
इस तरह मिला ब्रेक
देवेन वर्मा का जन्म 23 अक्टूबर 1937 को गुजरात के कच्छ में हुआ था। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके पिता का चांदी का बिजनेस था। इसके साथ ही उन्होंने फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी हाथ में ले लिया था। देवेन कॉलेज की पढ़ाई के दौरान स्टेज शोज में हिस्स लेने लगे थे। वो मिमिक्री बहुत शानदार करते थे। शायद उस वक्त देवेन ने भी नहीं सोचा होगा कि उनकी ऐसी ही एक परफॉरमेंस उनके अभिनय के रास्ते खोल देगी। दरअसल एक शो के दौरान बी आर चोपड़ा को उनका काम पसंद आ गया था और उन्होंने देवेन को 'धर्मपुत्र' के लिए साइन कर लिया था। एक महीना काम करने के लिए उन्हें 600 रुपये मिले थे।
एक साथ साइन कीं 16 फिल्में
हालांकि ये फिल्म फ्लॉप हो गई लेकिन देवेन की किस्मत खुल गई। 1975 में आई फिल्म 'चोरी मेरा काम' देवेन के जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इस फिल्म की सफलता के बाद उनके लिए फिल्मों की झड़ी लग गई। इंडस्ट्री में देवेन के स्वभाव के बारे में एक बात सभी जानते थे कि वो 'ना' नहीं कर पाते थे। यही वजह थी कि उन्होंने एक साथ 16 फिल्में साइन कर लीं थीं। इन फिल्मों के अलावा जिस फिल्म ने देवेन को हर किसी का पसंदीदा बना दिया वो थी गुलजार की बनाई फिल्म 'अंगूर'। इस फिल्म में देवेन संजीव कुमार के नौकर बहादुर के डबल किरदार में नजर आए थे। उन्होंने एक ऐसे नौकर का किरदार निभाया, जो मालिक को ही अपना भगवान मानता है और उसकी कही बातें ही मानता है। पर्दे पर इस किरदार को देवेन ने इस खूबसूरती से निभाया कि उनकी मासूमियत पर लोग दिल हार गए और हंस-हंसकर लोट-पोट हो गए।
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मिले तीन फिल्म फेयर!
इसके बाद देवेन वर्मा ने 'देवर', 'अनुपम', 'चोर के घर चोर,' 'बेशरम', 'भोला भला', 'लोक-परलोक' और 'गोलमाल' जैसी कई फिल्में कीं। 70 के दशक में देवेन वर्मा बॉलीवुड के इकलौते ऐसे कॉमेडियन थे जिनकी काफी डिमांड थी। देवेन वर्मा ने तीन फिल्म फेयर अवॉर्ड फिल्म 'चोरी मेरा काम', 'चोर के घर चोर' और 'अंगूर' के लिए जीते थे। हालांकि ये अवॉर्ड उनके पास ज्यादा समय तक नहीं रह पाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक बार उनकी पत्नी को कुछ तकलीफ हुई और वो डॉक्टर के कहने पर कुछ समय के लिए चेन्नई रहने चले गए। दो साल बाद जब लौटे तो उनका वो बैग खो गया जिसमें ये अवॉर्ड्स रखे थे। निजी जिंदगी की बात करें तो देवेन वर्मा ने अशोक कुमार की बेटी रूपा से शादी की थी।
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यह थी आखिरी फिल्म
देवेन ने लगभग 47 साल तक फिल्म इंडस्ट्री में काम किया। अपने ससुर अशोक कुमार के निधन के बाद वो रिटायर हुए। वो आखिरी बार फिल्म 'मेरे यार की शादी है' में नजर आए थे। वो एक बेहतरीन हास्य अभिनेता तो थे ही उन्हें फिल्में बनाने में भी बहुत दिलचस्पी थी। उन्होंने आठ फिल्में बनाई थीं जिसमें 'बड़ा कबूतर', 'बेशरम' जैसी फिल्में शामिल हैं। 2 दिसंबर 2014 को देवेन का दिल का दौरा पड़ने और किडनी फेल होने से निधन हो गया। हालांकि, अपनी फिल्मों और अभिनय के बूते वे आज भी फैंस के बीच जिंदा हैं।
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