हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता रहे देव आनंद अपने दौर के सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक थे। साल 2011 में 3 नवंबर के दिन सिनेमा के इस अनमोल हीरे ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। देव आनंद साहब जब वह पर्दे पर उतरते थे तो उनके अभिनय के साथ ही उनका स्टाइल भी इतना पॉपुलर हो जाता था कि लोग उसकी कॉपी किया करते थे। हालांकि हिंदी फिल्मों में एक कलाकार ऐसा भी हुआ जो अपने नाम की जगह डुप्लीकेट देव आनंद के नाम से पहचाना गया। वह हैं किशोर भानुशाली। किशोर भानुशाली काफी सफल अभिनेता रहे हैं उन्होंने कई फिल्मों में काम किया लेकिन उन्हें ज्यादातर देव आनंद के स्टाइल वाले किरदार में ही देखा गया है। एक बार देव आनंद ने खुद उनको मिलने के लिए बुलाया था और उस समय किशोर भानुशाली के पास कई फिल्में थीं। तो चलिए जानते हैं देव आनंद और उनके डुप्लीकेट से जुड़ा ये दिलचस्प किस्सा।
किशोर भानुशाली नहीं जानते थे कौन हैं देव आनंद
जिन देव आनंद के डुप्लीकेट के नाम से जय भानुशाली खूब लोकप्रिय हुए, लेकिन बचपन में उन्हें देव आनंद का नाम तक नहीं सुना था, क्योंकि वह तो राजेश खन्ना के फैन थे। एक बार किशोर भानुशाली ने बताया था कि 'जब फिल्म 'कटी पतंग' रिलीज हुई थी तब मैं पांच-छह साल का रहा होऊंगा। तब काकाजी यानी राजेश खन्ना जी का जमाना था। उस वक्त किसी ने मुझे कहा कि तुम्हारी शक्ल बिल्कुल देवानंद जी जैसी है। मैं जानता नहीं था कि देवानंद कौन हैं।' फिल्म 'दिल' में जब किशोर भानुशाली ने काम किया तो वह काफी लोकप्रिय हो गए और इसी फिल्म को देखने के बाद ही देव आनंद साहब ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया था।
किशोर कुमार ने एक बार इंटरव्यू के दौरान बताया था कि फिल्म 'दिल' रिलीज होने के बाद जब देव आनंद साहब ने मुझे मिलने के लिए बुलाया तो मैं उनसे मिलने उनके ऑफिस गया था। जब किशोर भानुशाली वहां पहुंचे तो उन्हें देखते ही देव आनंद साहब ने अपने स्टाइल में कहा- क्यों किशोर ना है न? दिल देखी है मैंने और मुझे लगता है कि आपको ही कॉपी करना पड़ेगा अब कितनी फिल्में हैं तुम्हारे पास?
बेहद जिंदादिल इंसान थे देव आनंद
किशोर भानुशाली ने ये किस्सा साझा करते हुए बताया था कि उन्होंने उस समय देव आनंद साहब से कहा कि उनके पास आठ से दस फिल्में होंगी तो दिग्गज अभिनेता ने किशोर भानुशाली से मजाकिया अंदाज में कहा मुझे कुछ फिल्में दिलवाओ। हालांकि देव आनंद ने ये बात मजाकिया लहजे में कही थी। बता दें कि देव आनंद साहब पर्दे के साथ ही निजी जिंदगी में भी जिंदादिल इंसान थे।