अजय देवगन की 100वीं फिल्म 'तानाजी: द अनसंग वॉरियर' का ट्रेलर सामने आ चुका है। साल 1991 में फिल्म 'फूल और कांटे' से करियर की शुरुआत करने वाले अजय देवगन के लिए यह फिल्म बहुत ही खास है। फिल्म में वह मुख्य किरदार के साथ ही निर्माता की भूमिका में भी हैं। 19 नवंबर को मुंबई में आयोजित हुए ट्रेलर लॉन्च कार्यक्रम में अजय देवगन सहित फिल्म की पूरी टीम मौजूद रही। अजय का मानना है कि 10 जनवरी 2019 को रिलीज हो रही यह फिल्म पीरियड ड्रामा फिल्म के साथ ही भारतीय फिल्म जगत में ऐतिहासिक 3डी फिल्म के तौर पर भी अहम मुकाम हासिल करेगी।
अजय देवगन को सिनेमा जगत से लगातार शुभकामनाएं मिल रही हैं। अजय की 100वीं फिल्म का हिस्सा बनने के लिए उनके करीबी दोस्त और मशहूर फिल्मकार रोहित शेट्टी भी समारोह का हिस्सा बने। उन्होंने कहा, 'इस फिल्म में सीधे तौर पर तो मेरा कोई संबंध नहीं है लेकिन मैंने अजय के मार्गदर्शन में ही अपने करियर की शुरुआत की थी। आज जो मुकाम मैंने हासिल किया है उसमें अजय का बहुत बड़ा हाथ है। उनकी 100वीं फिल्म देखने के लिए मैं काफी उत्साहित हूं।' वहीं अजय ने रोहित का शुक्रिया अदा करते हुए बताया कि रोहित उनके परिवार के एक सदस्य जैसे हैं। उन्हें रोहित की सफलता पर गर्व है।
अजय ने आगे बताया, 'तानाजी सिर्फ मेरी 100वीं फिल्म होने के कारण ही नहीं बल्कि अपने स्वर्णिम इतिहास के कारण भी मेरे लिए बेहद खास है। तानाजी मालुसरे का किरदार निभाना एक दायित्व है जिसमें गलती से भी किसी गलती की गुंजाइश नहीं है। फिल्म में मैंने बहुत सारे स्टंट्स सीन्स भी किए हैं, जिसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी। फिल्म में स्क्रिप्ट, निर्देशन के साथ ही हमारे एनवाई वीएफक्स का भी बहुत बड़ा योगदान है। मैं पूरी फिल्म में निर्देशक के अनुसार चला हूं। दरअसल तानाजी के बारे में इतिहास में बहुत कुछ लिखा हुआ नहीं मिलता है तो कहीं ना कहीं हमें अपने अनुसार उनकी शख्सियत को सोचना पड़ा।' मीडिया से बातचीत के दौरान अजय ने यह भी बताया कि मुझे अपनी पहली फिल्म में जितनी मेहनत करनी पड़ी थी उतनी ही मेहनत 100वीं फिल्म में भी करनी पड़ी और आगे भी ऐसी ही मेहनत करती रहनी पड़ेगी।
फिल्म के 3डी पक्ष के बारे में अजय का कहना है कि 30 साल पहले मैंने एक सपना देखा था कि अंग्रेजी फिल्मों में जिस स्तर की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है हमें भी वैसी ही फिल्म बनानी है। आज हम कम बजट के सहारे भी उस स्तर को छू रहे हैं। पहली की फिल्मों में भी फिल्मकार पूरी मेहनत किया करते थे हालांकि तकनीक ना होने के कारण वह इसे अंजाम नहीं दे सके लेकिन आज हमारे देश में ऐसी तकनीक मौजूद है।