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Indian Students in Ukraine: हर साल MBBS करने यूक्रेन क्यों जाते हैं भारतीय छात्र, कम फीस या कुछ और, जानें हर वजह

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: देवेश शर्मा Updated Mon, 28 Feb 2022 04:52 PM IST
Indian Students In Ukraine Why Indian students go to Ukraine to study medical education Russia-Ukraine War updates
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रूस और यूक्रेन में जारी जंग (Russia Ukraine War) के बीच, 135 करोड़ देशवासियों को एक ही चिंता सबसे ज्यादा सता रही है वह है युद्ध क्षेत्र से भारतीय छात्रों की सकुशल वापसी की। परिवारजनों से लेकर केंद्र सरकार तक सभी दिनभर इसी जुगत में हैं किसी भी प्रकार से सभी भारतीयों छात्रों को तनावग्रस्त इलाके से बाहर निकाला जाए। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उच्च स्तरीय आपात बैठक् के बाद भारत सरकार अपने कुछ मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेज रही है, ताकि वहां से छात्रों और नागरिकों की सकुशल वापसी में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। 

ऑपरेशन गंगा एयरलिफ्ट अभियान

यूक्रेन में करीब 18,095 भारतीय छात्र फंसे (Indian Students Stranded In Ukraine) हुए थे। इनमें से कुछ खुद ही भारत लौट आए हैं, करीब 2000 छात्रों को एअर इंडिया की मदद से ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) के तहत एयरलिफ्ट किया जा चुका है। अभी भी करीब 13 हजार छात्रों और नागरिकों को वहां से निकाला जाना है। इनको वापस लाने के लिए भी युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं। 


 

अधिकांश छात्र मेडिकल स्टूडेंट

यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों में से अधिकांश मेडिकल स्टूडेंट्स हैं। यानी कि वे छात्र जो डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए यूक्रेन चले गए थे। लेकिन यह जानना भी बेहद महत्वपूर्ण है कि हर साल इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन में क्यों जाते हैं? इसका कोई एक कारण नहीं है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख कारण?
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यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई किफायती 

मेडिकल करियर काउंसलर और कोटा स्थित नामचीन नीट कोचिंग के फैकल्टी दीपक गुप्ता बताते हैं कि यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करना किफायती भी है और कई तरह से अधिक सुविधाजनक भी है। जबकि, भारत में जनसंख्या के अनुपात के आधार पर मेडिकल एजुकेशन के पर्याप्त संसाधान उपलब्ध नहीं है। इसलिए, हर साल बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स एमबीबीएस (MBBS) और बीडीएस (BDS) की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जैसे देशों में पहुंचते हैं।  
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पढ़ाई का खर्चा भारत की अपेक्षा आधा

गुप्ता के अनुसार, यूक्रेन में मेडिकल पढ़ाई का खर्च भारत के निजी कॉलेजों के अपेक्षा आधे से भी कम आता है। जहां भारत के सरकारी कॉलेजों में सालाना मेडिकल पढ़ाई का खर्च करीब ढाई से तीन लाख रुपये पड़ता है। जबकि प्राइवेट संस्थानों में यही फीस हर साल 10 लाख से 15 लाख के करीब पड़ती है। यानी भारत के प्राइवेट कॉलेजों में पांच साल की मेडिकल पढ़ाई का खर्चा करीब 75 लाख से 80 लाख रुपये तक होता है। अगर कॉलेज नामचीन है तो यह खर्च एक करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है। वहीं, यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई की फीस सालाना दो से चार लाख रुपये के बीच होती है। यानी पांच साल की पूरी पढ़ाई का खर्च तकरीबन 25 लाख से 30 लाख रुपये तक पड़ता है। 
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आवेदकों के मुकाबले सीटों का अभाव

नीट फैकल्टी दीपक गुप्ता के अनुसार, भारत में आवेदक उम्मीदवारों के अपेक्षा सीटों की संख्या काफी कम है। भारत में हर साल लाखों छात्र मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा यानी नीट में भाग लेते हैं। इनके मुकाबले सरकारी कॉलेजों में मात्र 10 फीसदी उम्मीदवारों को भी दाखिला मिल नहीं पाता है। क्योंकि, भारत में एमबीबीएस की मात्र 88 हजार सीट हैं। आयुष के लिए 57 हजार सीट, जबकि बीडीएस की महज 27 हजार 498 सीट हैं। 2021 में करीब 16 लाख छात्रों ने नीट परीक्षा दी थी। इससे साफ होता है कि इनमें से करीब 14.50 लाख छात्रों को दाखिला नहीं मिल पाता।  
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अलग से कोई प्रवेश-परीक्षा की जरूरत नहीं

इसके अलावा यूक्रेन से एमबीबीएस या बीडीएस की पढ़ाई करने के लिए अलग से नीट जैसी कोई प्रवेश-परीक्षा या डोनेशन आदि नहीं देने पड़ते। यहां साल में दो बार सितंबर और जनवरी में दाखिला प्रक्रिया आयोजित की जाती है। यहां सिर्फ भारत की नीट परीक्षा को क्वालीफाई करने के बाद ही दाखिला मिल जाता है, नीट की रैंक कोई मायने नहीं रखती है। इसलिए, जो भारत में दाखिला नहीं ले पाते हैं, उनमें से अधिकांश छात्र यूक्रेन के संस्थानों में दाखिला ले लेते हैं। बस पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत में प्रैक्टिस करने के लिए एफएमसीजी परीक्षा पास करनी होती है। 
 
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