24 जनवरी को शनि ढाई साल के बाद राशि बदल रहे हैं। शनि धनु को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में तुला, वृश्चिक और धनु राशि के जातकों पर इस शनि गोचर का उनके जीवन में कैसा असर पड़ेगा आइए विस्तार से जानते हैं।
तुला राशि
आपकी राशि के लिए अकेले राजयोग कारक ग्रह शनिदेव चतुर्थ भाव में गोचर करते हुए ‘शशक’ योग का निर्माण करेंगे जो आपके अत्यंत कामयाबी दिलाने वाला सिद्ध होगा। साथ ही त्रिकोण का भी शुभ प्रभाव आपको मिलेगा क्योंकि, पंचमभाव के स्वामी शनि का स्वग्रही होकर केंद्रभाव में अपने ही घर में रहना आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है अतः यह परिवर्तन आपके लिए अत्यंत शुभ फलदाई होने वाला है।
तुला राशि और शनि गोचर 2020
किसी भी जातक की जन्मकुंडली यदि वह तुला लग्न अथवा तुला राशि में जन्मा हो तो मकर राशि में गोचर करते हुए शनिदेव उसके लिए हमेशा शुभ फलदाई कह गए हैं। ये वर्ष इस राशि के लोगों के लिए सफलताओं के सर्वोच्च शिखर तक ले जाएगा। यदि आप सन्मार्ग पर चलते हुए अच्छे कर्म करेंगे और दूसरों की भावनाओं का आदर करेंगे तो आपकी अभीष्ट सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव से माता, भूमि भवन, वाहन, अचल संपत्ति, मानसिक सुख आदि का विचार किया जाता है इसीलिए अधिकांशतः शनिदेव इन्हीं भागों को प्रभावित करेंगे। ये आपके पंचम भाव के भी स्वामी है जिसके फलस्वरूप इस वर्ष आपको संतान संबंधी चिंता से मुक्ति मिलेगी। यदि आप विद्यार्थी हैं तो शिक्षा अथवा प्रतियोगिता से संबंधित किसी भी क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकते हैं।
शनिदेव की दशम भाव पर भी दृष्टि पड़ रही है, ये दृष्टि आपके कार्य को प्रभावित करेगी। हो सकता है कार्यक्षेत्र में कुछ तनाव भी हो लेकिन यदि आप उच्चाधिकारियों से मधुर संबंध स्थापित किए रहेंगे और अपने आसपास कार्य करने वाले लोगों को अपने पक्ष में रखेंगे अथवा मेलजोल बनाकर रखेंगे तो परेशानियां स्वत: ही हल होती जाएंगी। राजनीति अथवा राजनेताओं से गहरे संबंध बनेंगे यदि चुनाव से संबंधित कोई कार्य संपन्न करना चाह रहे हैं तो अवसर अच्छा है।
नौकरी में भी परिवर्तन चाह रहे हों तो नए अनुबंध पर सकते हैं। यहीं से शनिदेव की उच्चदृष्टि आपके ऊपर पड़ रही है अतः यदि आप न्याय संगत कार्य करेंगे और असहाय लोगों की मदद करते हुए आगे बढ़ेंगे, तो जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचेंगे इसमें कोई संदेह नहीं है, किंतु इस बात का सदैव ध्यान रखें कि इनकी दृष्टि आप पर है इसलिए जिम्मेदारियों के प्रति संवेदनशील रहें।
वृश्चिक राशि
आपकी राशि से पराक्रम भाव में शनि देव का गोचर किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि, फलित ज्योतिष के अनुसार तीसरे भाव में शनिदेव रहें तो सभी अरिष्टों का शमन करते हैं किंतु भाइयों के सुख में न्यूनता भी लाते हैं। इस वर्ष अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए योजनाओं को गोपनीय रखकर कार्य करेंगे तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी। इस भाव से छोटे भाई बहन, पराक्रम, धैर्य-शौर्य, गले के रोग, श्वास संबंधी रोग तथा ऊर्जा शक्ति आदि का विचार किया जाता है अतः शनिदेव का गोचर इस वर्ष इन भागों को अधिक प्रभावित करेगा इसलिए सावधान रहें।
काफी दिनों से रुका आ रहा सरकार से संबंधित कार्यो का निपटारा होगा नौकरी में पदोन्नति होगी मान-सम्मान की भी वृद्धि होगी। यहां से इनकी दृष्टि पंचम भाव पर पड़ रही है जिसके फलस्वरूप संतान से संबंधित चिंता रहेगी भी और उससे मुक्ति भी मिलेगी। नव दंपत्ति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग बनेंगे और आध्यात्म की ओर रुझान बढ़ेगा। विद्यार्थियों का मन पठन-पाठन में अधिक लगेगा। समय आ गया है की पूरी शक्ति लगा दें ताकि परीक्षा में अच्छे अंक हासिल हो सके।
भाग्यभाव पर सप्तम दृष्टि भाग्य उन्नति एवं विदेश यात्रा के योग बनाएगी। धर्म-कर्म में रूचि बढ़ेगी, तीर्थ यात्रा करेंगे और मांगलिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लेंगे। विदेश यात्रा हेतु वीजा का आवेदन करना अथवा दूसरे देश की नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन करना सफल रहेगा। इनकी उच्च दृष्टि आपके व्ययभाव पर भी पड़ रही है जिसके फलस्वरूप भागदौड़ और
व्यय की अधिकता रहेगी आर्थिक तंगी से बचें, यात्रा सावधानीपूर्वक करें दुर्घटना से बचें।
धनु राशि
राशि से द्वितीय धन भाव में शनिदेव का अपनी ही राशि में होकर गोचर करना मिलाजुला फल देगा। आर्थिक दृष्टि से तो यह योग अच्छा कहा जाएगा किंतु पारिवारिक दृष्टि से कुछ अशांति का सामना करना पड़ सकता है। आकस्मिक धन प्राप्ति के योग बनेंगे, रुके हुए धन के वापस भी मिलने की संभावना है इसलिए परिवार में बिखराव को बचाते हुए अपना ध्यान कार्य-व्यापार की ओर अधिक ध्यान लगाएंगे तो आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलेगी और कर्ज से भी छुटकारा मिलेगा।
स्वास्थ्य की दृष्टि से जोड़ों-घुटनों में दर्द एवं आंख की बीमारी से बचना पड़ेगा। इस भाव से धन-धान्य, संपत्ति, कुटुम्ब, मृत्यु, वाणी, सत्य असत्य का संभाषण, जिह्वा, मुख के रोग, अच्छे-बुरे पड़ोसियों, दाहिनी आंख आदि के विषय में विचार किया जाता है।