कोलकाता स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास के काउंसल जनरल एमए झानवू ने कहा कि चीन रामगढ़ के ऐतिहासिक कब्रिस्तान को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 667 चीनी सैनिकों को
झारखंड के किले शहर रामगढ़ में दफनाया गया था।
पिछले शुक्रवार को एमए झानवू के नेतृत्व में चीनी वाणिज्य दूतावास के पांच सदस्यीय टीम ने ऐतिहासिक कब्रिस्तान का दौरा किया था और चीनी शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी। चीनी सैनिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के खिलाफ युद्ध लड़े थे।
रामगढ़ के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बातचीत में चीनी काउंसल जनरल ने कहा कि चीन ने इस ऐतिहासिक कब्रिस्तान को पर्यटन स्थल में बदलने के लिए राज्य सरकार से औपचारिक आग्रह किया है। साथ ही वह ऐतिहासिक कब्रिस्तान को पर्यटन स्थल में बदलने में चीन भारत सरकार के साथ सहयोग करने को तैयार है।
उन्होंने यह भी कहा कि रामगढ़ में चीनी सैनिकों का कब्रगाह भारत-चीन दोस्ती का गवाह है, जिन्होंने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने से जापानी सैन्य बलों को रोका था। कब्रिस्तान 7.25 एकड़ जमीं में फैसला है और यह वन क्षेत्र से घिरा है।
कोलकाता स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास के काउंसल जनरल एमए झानवू ने कहा कि चीन रामगढ़ के ऐतिहासिक कब्रिस्तान को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 667 चीनी सैनिकों को
झारखंड के किले शहर रामगढ़ में दफनाया गया था।
पिछले शुक्रवार को एमए झानवू के नेतृत्व में चीनी वाणिज्य दूतावास के पांच सदस्यीय टीम ने ऐतिहासिक कब्रिस्तान का दौरा किया था और चीनी शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी। चीनी सैनिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के खिलाफ युद्ध लड़े थे।
रामगढ़ के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बातचीत में चीनी काउंसल जनरल ने कहा कि चीन ने इस ऐतिहासिक कब्रिस्तान को पर्यटन स्थल में बदलने के लिए राज्य सरकार से औपचारिक आग्रह किया है। साथ ही वह ऐतिहासिक कब्रिस्तान को पर्यटन स्थल में बदलने में चीन भारत सरकार के साथ सहयोग करने को तैयार है।
उन्होंने यह भी कहा कि रामगढ़ में चीनी सैनिकों का कब्रगाह भारत-चीन दोस्ती का गवाह है, जिन्होंने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने से जापानी सैन्य बलों को रोका था। कब्रिस्तान 7.25 एकड़ जमीं में फैसला है और यह वन क्षेत्र से घिरा है।