न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, 08 Nov 2021 04:19 PM IST
केंद्रीय मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति (CCPA) ने सोमवार को संसद के शीत सत्र को लेकर तारीखों की सिफारिश कर दी। समिति ने 29 नवंबर से सत्र बुलाने और 23 दिसंबर तक चलाने की अनुशंसा की है।
20 बैठकें होने की संभावना
सूत्रों ने कहा कि सत्र में लगभग 20 बैठकें होने की संभावना है और ये क्रिसमस से पहले समाप्त हो जाएगा। महामारी के मद्देनजर संसद का शीतकालीन सत्र पिछले साल आयोजित नहीं किया गया था और बाद के बजट सत्र और मानसून सत्र में कटौती कर दी गई थी।
29 नवंबर से हो सकता है शुरू
हालांकि, इस पर अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि सत्र 29 नवंबर से शुरू हो सकता है और 23 दिसंबर के आसपास खत्म होगा। लोकसभा और राज्यसभा दोनों एक साथ चलेंगे और सदस्य सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों का पालन करेंगे। पहले कुछ सत्रों में दोनों सदन अलग-अलग समय पर बैठक करते थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसद परिसर के अंदर बहुत अधिक लोग मौजूद नहीं हों।
संसद के शीतकालीन सत्र का महत्व इसलिए है क्योंकि यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले होगा जिसे 2024 के आम चुनावों के लिए सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।
विस्तार
केंद्रीय मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति (CCPA) ने सोमवार को संसद के शीत सत्र को लेकर तारीखों की सिफारिश कर दी। समिति ने 29 नवंबर से सत्र बुलाने और 23 दिसंबर तक चलाने की अनुशंसा की है।
20 बैठकें होने की संभावना
सूत्रों ने कहा कि सत्र में लगभग 20 बैठकें होने की संभावना है और ये क्रिसमस से पहले समाप्त हो जाएगा। महामारी के मद्देनजर संसद का शीतकालीन सत्र पिछले साल आयोजित नहीं किया गया था और बाद के बजट सत्र और मानसून सत्र में कटौती कर दी गई थी।
29 नवंबर से हो सकता है शुरू
हालांकि, इस पर अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि सत्र 29 नवंबर से शुरू हो सकता है और 23 दिसंबर के आसपास खत्म होगा। लोकसभा और राज्यसभा दोनों एक साथ चलेंगे और सदस्य सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों का पालन करेंगे। पहले कुछ सत्रों में दोनों सदन अलग-अलग समय पर बैठक करते थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसद परिसर के अंदर बहुत अधिक लोग मौजूद नहीं हों।
संसद के शीतकालीन सत्र का महत्व इसलिए है क्योंकि यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले होगा जिसे 2024 के आम चुनावों के लिए सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।