क्या केंद्रीय गृहमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह 15 अगस्त को श्रीनगर के लालचौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। गृह मंत्रालय में इस तरह के सवाल पर कोई सुगबुगाहट नहीं है पर भाजपा केंद्रीय मुख्यालय दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर इसकी चर्चा काफी तेज है। वहीं पार्टी के दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेता इस संभावना को बल दे रहे हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, खुद गृहमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधि से पूरी तरह परहेज रखने के पक्ष में हैं। हालांकि, समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अमित शाह का श्रीनगर जाने का कोई प्लान नहीं है।
क्या होगा कश्मीर में?
भाजपा के एक नेता दावा कर रहे हैं अमित शाह के श्रीनगर जाने के कार्यक्रम की रूपरेखा बन चुकी है, बस इसकी घोषणा होना शेष है। गोरखपुर से दिल्ली आए संघ से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि 90 के दशक में डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कश्मीर में तिरंगा झंडा फहराया था। उस सयम बतौर पार्टी नेता मोदी की भूमिका काफी अहम थी। जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भी कश्मीर आंदोलन के दौरान ही हुआ था। इसलिए भाजपा के लिए श्रीनगर के लालचौक पर झंडा फहराना गौरव का पल होगा। भाजपा के एक और नेता का कहना है कि श्रीनगर में 15 अगस्त को केंद्रीय मंत्री के होने से वहां सुरक्षा बलों, केंद्रीय एजेंसियों और राज्य में अमन तथा विकास पसंद लोगों के उत्साह में वृद्धि होगी। इसलिए केंद्रीय मंत्री वहां जा सकते हैं।
राज्यपाल तो हैं
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ी है। ऐसे में प्रशासनिक मुखिया के तौर पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक हैं। व्यवस्था के जानकारों का कहना है कि 15 अगस्त को वही राज्य में राष्ट्रध्वज फहराएंगे। राज्यपाल ही राज्य के लोगों को संबोधित करेंगे, संदेश देंगे। सूत्र का कहना है कि अभी तक यही होता रहा है। इस बार जरूर स्थिति थोड़ी उलट है। कश्मीर के श्रीनगर में झंडा फहराने का पूरे देश में अलग संदेश जाएगा। लेकिन फिर भी उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार का ध्यान राज्य में राष्ट्रध्वज फहराने के साथ-साथ वहां अमन की बहाली पर भी रहेगा। इसलिए सरकार जोखिम से परहेज कर सकती है।
मास्टर प्लान पर नहीं खोलते पत्ते?
जम्मू-कश्मीर में पिछले आठ दिनों से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कैंप कर रहे हैं। वह राज्य में शांति बहाली के हर प्रयास में लगे हैं। केंद्रीय एजेंसियां भी उच्चस्तर की सतर्कता बरत रही है। इसके बरअक्स पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का फोकस पाक अधिकृत कश्मीर पर आ गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति हमेशा अपने मास्टर प्लान का पत्ता न खोलने की रही है।
मामला जितना संवेदनशील होता है, देश के दोनों शीर्ष नेता उतनी ही रणनीतिक खामोशी के साथ राष्ट्रहित के अनुरूप कदम उठाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कहते हैं कि वह कभी छोटा नहीं सोचते। प्रधानमंत्री की तरह केंद्रीय गृहमंत्री के स्वभाव में भी कभी छोटे स्तर पर सोचने का चलन नहीं है। इसलिए अभी 15 अगस्त को श्रीनगर के लाल चौक में क्या होगा, कहना मुश्किल है।
क्या केंद्रीय गृहमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह 15 अगस्त को श्रीनगर के लालचौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। गृह मंत्रालय में इस तरह के सवाल पर कोई सुगबुगाहट नहीं है पर भाजपा केंद्रीय मुख्यालय दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर इसकी चर्चा काफी तेज है। वहीं पार्टी के दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेता इस संभावना को बल दे रहे हैं। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, खुद गृहमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधि से पूरी तरह परहेज रखने के पक्ष में हैं। हालांकि, समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अमित शाह का श्रीनगर जाने का कोई प्लान नहीं है।
क्या होगा कश्मीर में?
भाजपा के एक नेता दावा कर रहे हैं अमित शाह के श्रीनगर जाने के कार्यक्रम की रूपरेखा बन चुकी है, बस इसकी घोषणा होना शेष है। गोरखपुर से दिल्ली आए संघ से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि 90 के दशक में डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कश्मीर में तिरंगा झंडा फहराया था। उस सयम बतौर पार्टी नेता मोदी की भूमिका काफी अहम थी। जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भी कश्मीर आंदोलन के दौरान ही हुआ था। इसलिए भाजपा के लिए श्रीनगर के लालचौक पर झंडा फहराना गौरव का पल होगा। भाजपा के एक और नेता का कहना है कि श्रीनगर में 15 अगस्त को केंद्रीय मंत्री के होने से वहां सुरक्षा बलों, केंद्रीय एजेंसियों और राज्य में अमन तथा विकास पसंद लोगों के उत्साह में वृद्धि होगी। इसलिए केंद्रीय मंत्री वहां जा सकते हैं।
राज्यपाल तो हैं
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ी है। ऐसे में प्रशासनिक मुखिया के तौर पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक हैं। व्यवस्था के जानकारों का कहना है कि 15 अगस्त को वही राज्य में राष्ट्रध्वज फहराएंगे। राज्यपाल ही राज्य के लोगों को संबोधित करेंगे, संदेश देंगे। सूत्र का कहना है कि अभी तक यही होता रहा है। इस बार जरूर स्थिति थोड़ी उलट है। कश्मीर के श्रीनगर में झंडा फहराने का पूरे देश में अलग संदेश जाएगा। लेकिन फिर भी उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार का ध्यान राज्य में राष्ट्रध्वज फहराने के साथ-साथ वहां अमन की बहाली पर भी रहेगा। इसलिए सरकार जोखिम से परहेज कर सकती है।
मास्टर प्लान पर नहीं खोलते पत्ते?
जम्मू-कश्मीर में पिछले आठ दिनों से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कैंप कर रहे हैं। वह राज्य में शांति बहाली के हर प्रयास में लगे हैं। केंद्रीय एजेंसियां भी उच्चस्तर की सतर्कता बरत रही है। इसके बरअक्स पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का फोकस पाक अधिकृत कश्मीर पर आ गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति हमेशा अपने मास्टर प्लान का पत्ता न खोलने की रही है।
मामला जितना संवेदनशील होता है, देश के दोनों शीर्ष नेता उतनी ही रणनीतिक खामोशी के साथ राष्ट्रहित के अनुरूप कदम उठाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कहते हैं कि वह कभी छोटा नहीं सोचते। प्रधानमंत्री की तरह केंद्रीय गृहमंत्री के स्वभाव में भी कभी छोटे स्तर पर सोचने का चलन नहीं है। इसलिए अभी 15 अगस्त को श्रीनगर के लाल चौक में क्या होगा, कहना मुश्किल है।