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बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा भले ही शहीद हो गई, मगर पार्टी ने भाजपा की गठबंधन में बड़ा भाई बनने की मुराद पूरी कर दी। लोजपा ने एक तरफ जहां एंटी इनकंबैंसी वोटों को विपक्षी महागठबंधन में जाने से रोका, वहीं दो दर्जन से अधिक सीटों पर जदयू को सीधा नुकसान पहुंचाया। हालांकि इस पूरे खेल में लोजपा को खुद अपने हाथ कुछ नहीं लगा।
चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले लोजपा और भाजपा के बीच खिचड़ी पकने की बात जोरशोर से हो रही थी। इन कयासों को तब बल मिला जब लोजपा ने चुनाव में भाजपा के साथ और नीतीश के खिलाफ रणनीति बनाई।
पार्टी ने जदयू की सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इसी दौरान बड़ी संख्या में भाजपा के बागी नेता लोजपा के टिकट पर मैदान में उतरे। तब यह भी चर्चा थी कि भाजपा ने एंटी इनकंबैंसी वोटों को विपक्षी खेमे में जाने से रोकने के लिए यह रणनीति बनाई है।
नतीजे बताते हैं कि भाजपा की यह रणनीति चुनाव मैदान में काम आई। भाजपा 76 सीटें हासिल कर गठबंधन में बड़ा भाई की भूमिका हासिल करने में कामयाब रही। जदयू न सिर्फ राजग में छोटे भाई की भूमिका में आ गई, बल्कि भाजपा, राजद के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बन गई।
इसके अलावा लोजपा ने करीब सौ सीटों पर बड़ी संख्या में नीतीश से नाराज मतदाताओं को अपने पाले में करने में सफलता हासिल की। अगर लोजपा चुनाव मैदान में नहीं होती तो इन वोटों के विपक्षी खेमे में जाने का भय था। आंकड़े बताते हैं कि करीब ढाई दर्जन सीटों पर लोजपा ने जदयू की जीत की राह रोकी। इन सीटों पर जदयू जितने मतों से हारी उससे अधिक मत लोजपा उम्मीदवारों को हासिल हुए।
आसान नहीं नीतीश की उपेक्षा
जदयू की सीटें भले ही कम हुई हैं, मगर भाजपा के लिए तत्काल नीतीश को नाराज करना आसान नहीं होगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे। ऐसा नहीं करने पर लोजपा की रणनीति से पहले से ही बेहद खफा जदयू और भाजपा के बीच तनाव की लकीरें खिंच जाएंगी। चूंकि भाजपा अपने दम पर बहुमत से काफी दूर है। ऐसे में उसके लिए नीतीश की अनदेखी आसान नहीं है।
चिराग का क्या होगा?
नतीजे के बाद असली सवाल चिराग के भविष्य को ले कर है। चिराग अपने पिता की जगह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहते हैं। इसके अलावा वह अपनी मां को दिवंगत पिता की जगह राज्यसभा भेजना चाहते हैं। इस समय जदयू लोजपा से बेहद खफा है। इसलिए सवाल उठता है कि क्या भाजपा जदयू को नाराज कर चिराग को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देगी?
बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा भले ही शहीद हो गई, मगर पार्टी ने भाजपा की गठबंधन में बड़ा भाई बनने की मुराद पूरी कर दी। लोजपा ने एक तरफ जहां एंटी इनकंबैंसी वोटों को विपक्षी महागठबंधन में जाने से रोका, वहीं दो दर्जन से अधिक सीटों पर जदयू को सीधा नुकसान पहुंचाया। हालांकि इस पूरे खेल में लोजपा को खुद अपने हाथ कुछ नहीं लगा।
चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले लोजपा और भाजपा के बीच खिचड़ी पकने की बात जोरशोर से हो रही थी। इन कयासों को तब बल मिला जब लोजपा ने चुनाव में भाजपा के साथ और नीतीश के खिलाफ रणनीति बनाई।
पार्टी ने जदयू की सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इसी दौरान बड़ी संख्या में भाजपा के बागी नेता लोजपा के टिकट पर मैदान में उतरे। तब यह भी चर्चा थी कि भाजपा ने एंटी इनकंबैंसी वोटों को विपक्षी खेमे में जाने से रोकने के लिए यह रणनीति बनाई है।
नतीजे बताते हैं कि भाजपा की यह रणनीति चुनाव मैदान में काम आई। भाजपा 76 सीटें हासिल कर गठबंधन में बड़ा भाई की भूमिका हासिल करने में कामयाब रही। जदयू न सिर्फ राजग में छोटे भाई की भूमिका में आ गई, बल्कि भाजपा, राजद के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बन गई।
इसके अलावा लोजपा ने करीब सौ सीटों पर बड़ी संख्या में नीतीश से नाराज मतदाताओं को अपने पाले में करने में सफलता हासिल की। अगर लोजपा चुनाव मैदान में नहीं होती तो इन वोटों के विपक्षी खेमे में जाने का भय था। आंकड़े बताते हैं कि करीब ढाई दर्जन सीटों पर लोजपा ने जदयू की जीत की राह रोकी। इन सीटों पर जदयू जितने मतों से हारी उससे अधिक मत लोजपा उम्मीदवारों को हासिल हुए।
आसान नहीं नीतीश की उपेक्षा
जदयू की सीटें भले ही कम हुई हैं, मगर भाजपा के लिए तत्काल नीतीश को नाराज करना आसान नहीं होगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे। ऐसा नहीं करने पर लोजपा की रणनीति से पहले से ही बेहद खफा जदयू और भाजपा के बीच तनाव की लकीरें खिंच जाएंगी। चूंकि भाजपा अपने दम पर बहुमत से काफी दूर है। ऐसे में उसके लिए नीतीश की अनदेखी आसान नहीं है।
चिराग का क्या होगा?
नतीजे के बाद असली सवाल चिराग के भविष्य को ले कर है। चिराग अपने पिता की जगह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहते हैं। इसके अलावा वह अपनी मां को दिवंगत पिता की जगह राज्यसभा भेजना चाहते हैं। इस समय जदयू लोजपा से बेहद खफा है। इसलिए सवाल उठता है कि क्या भाजपा जदयू को नाराज कर चिराग को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देगी?