भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाया जा रहा है। इसके तहत बुधवार को आइकॉनिक सप्ताह समारोह में यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि यासुमासा किमूरा और पंचायती राज्य मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने भारत में युवाओं व बच्चों के अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए।
इस संबंध में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत की एक तिहाई आबादी बच्चों की है और किशोरों व युवाओं की जनसंख्या में भागीदारी लगभग 22 फीसदी है। इस साझेदारी का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धियों के साथ चलते हुए 'बाल/बालिका सभाओं' के माध्यम से युवाओं व बच्चों की आवाज को ग्राम सभाओं में शामिल करना है।
देश के बेहतर भविष्य के लिए आज के बच्चों के लिए बेहतर परिवेश देना बहुत आवश्यक है। केंद्र सरकार इसी लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। भारत सरकार और यूनिसेफ के बीच हुई यह भागीदारी बच्चों के अंदर अपनी बात रखने का विश्वास उत्पन्न करेगी और उनमें नेतृत्व संबंधी गुण भी विकसित करेगी। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होंगे।
बयान के अनुसार यह भागीदारी यह सुनिश्चित करने के लिए है कि नीतियां और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं व कार्यक्रम बच्चों और किशोरों की जरूरतों और आकांक्षाओं के लिए समावेशी और प्रासंगिक हों। यह हर बच्चे को विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए सही मंच देने के लिए बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुच्छेद 12 पर आधारित है।
इसका उद्घाटन करते हुए पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने कहा कि इस समय एक सामूहिक सामाजिक प्रयास के तौर पर हम सबको साथ आने की जरूरत है। इसमें न केवल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को बल्कि क्षेत्र के विशेषज्ञों, शिक्षण संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और पंचायतों को भी शामिल होने की आवश्यकता है।
बाल हितैषी गांव बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता: सुनील कुमार
सुनील कुमार ने कहा कि यह एक बहुत अच्छा अवसर है जहां हम सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एकजुट हुए हैं। भारतीय परिवेश में ग्राम पंचायत लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई है। वह स्थानीय समुदायों की भावनाओं और उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि एक बाल हितैषी गांव बहुत महत्वपूर्ण कड़ी हैं। हम इस ओर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यहां यूनिसेफ की मौजूदगी सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिए अभिसरण, सहयोग और प्रतिबद्धता की जरूरत पर एक स्वीकृति है। हम इस समर्थन के लिए उनके आभारी हैं। वहीं, यासुमासा किमूरा ने कहा कि यह भागीदारी सुनिश्चित करेगी कि बच्चों व युवाओं की आवाज ग्राम पंचायतों की निर्णय प्रक्रिया का अभिन्न अंग बन सके।
'बच्चों से जुड़े जरूरी मुद्दों को मूल एजेंडा में लाएगी भागीदारी'
किमूरा ने कहा कि लड़के-लड़कियों को उन नीति और विकास योजनाओं में शामिल किया जाएगा, जो उनके जीवन को प्रभावित करती हैं। हमें पूरा विश्वास है कि यह मॉडल बच्चों की पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, जुड़ाव और सुरक्षा की आकांक्षाओं को ग्राम पंचायतों के एजेंडे के मूल में लाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिसेफ को इस भागीदारी पर बहुत गर्व है।
बयान में कहा गया कि एक विकेंद्रित और भागीदारी वाली पहुंच के साथ बाल सुरक्षा, बाल विकास, बाल संरक्षण और बाल भागीदारी पर केंद्रित कार्यक्रमों के लिए बच्चों के लिए बेहतर सतत विकास लक्ष्यों के बेहतर परिणाम प्राप्त करने में बाल/बालिका पंचायतें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी। कार्यक्रम के दौरान युवा बच्चों के साथ वार्ता भी हुई।
बाल हितैषी गांव से मतलब ऐसे गांवों से है जहां पंचायतों में बच्चों की जरूरतों को लेकर उचित चर्चा हो। बच्चों को अपने लिए आवश्यक मुद्दों को उठाने का अवसर मिले और उनकी आवाज को सुना भी जाए। देश में बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा का माहौल तैयार करने के लिए केंद्र सरकार सबसे निचले स्तर यानी गांवों से इसकी शुरुआत कर रही है।
विस्तार
भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाया जा रहा है। इसके तहत बुधवार को आइकॉनिक सप्ताह समारोह में यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि यासुमासा किमूरा और पंचायती राज्य मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने भारत में युवाओं व बच्चों के अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए।
इस संबंध में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत की एक तिहाई आबादी बच्चों की है और किशोरों व युवाओं की जनसंख्या में भागीदारी लगभग 22 फीसदी है। इस साझेदारी का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धियों के साथ चलते हुए 'बाल/बालिका सभाओं' के माध्यम से युवाओं व बच्चों की आवाज को ग्राम सभाओं में शामिल करना है।
देश के बेहतर भविष्य के लिए आज के बच्चों के लिए बेहतर परिवेश देना बहुत आवश्यक है। केंद्र सरकार इसी लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। भारत सरकार और यूनिसेफ के बीच हुई यह भागीदारी बच्चों के अंदर अपनी बात रखने का विश्वास उत्पन्न करेगी और उनमें नेतृत्व संबंधी गुण भी विकसित करेगी। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होंगे।
बयान के अनुसार यह भागीदारी यह सुनिश्चित करने के लिए है कि नीतियां और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं व कार्यक्रम बच्चों और किशोरों की जरूरतों और आकांक्षाओं के लिए समावेशी और प्रासंगिक हों। यह हर बच्चे को विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए सही मंच देने के लिए बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुच्छेद 12 पर आधारित है।
इसका उद्घाटन करते हुए पंचायती राज मंत्रालय के सचिव सुनील कुमार ने कहा कि इस समय एक सामूहिक सामाजिक प्रयास के तौर पर हम सबको साथ आने की जरूरत है। इसमें न केवल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को बल्कि क्षेत्र के विशेषज्ञों, शिक्षण संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और पंचायतों को भी शामिल होने की आवश्यकता है।
बाल हितैषी गांव बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता: सुनील कुमार
सुनील कुमार ने कहा कि यह एक बहुत अच्छा अवसर है जहां हम सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एकजुट हुए हैं। भारतीय परिवेश में ग्राम पंचायत लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई है। वह स्थानीय समुदायों की भावनाओं और उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि एक बाल हितैषी गांव बहुत महत्वपूर्ण कड़ी हैं। हम इस ओर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यहां यूनिसेफ की मौजूदगी सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिए अभिसरण, सहयोग और प्रतिबद्धता की जरूरत पर एक स्वीकृति है। हम इस समर्थन के लिए उनके आभारी हैं। वहीं, यासुमासा किमूरा ने कहा कि यह भागीदारी सुनिश्चित करेगी कि बच्चों व युवाओं की आवाज ग्राम पंचायतों की निर्णय प्रक्रिया का अभिन्न अंग बन सके।
'बच्चों से जुड़े जरूरी मुद्दों को मूल एजेंडा में लाएगी भागीदारी'
किमूरा ने कहा कि लड़के-लड़कियों को उन नीति और विकास योजनाओं में शामिल किया जाएगा, जो उनके जीवन को प्रभावित करती हैं। हमें पूरा विश्वास है कि यह मॉडल बच्चों की पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, जुड़ाव और सुरक्षा की आकांक्षाओं को ग्राम पंचायतों के एजेंडे के मूल में लाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिसेफ को इस भागीदारी पर बहुत गर्व है।
बयान में कहा गया कि एक विकेंद्रित और भागीदारी वाली पहुंच के साथ बाल सुरक्षा, बाल विकास, बाल संरक्षण और बाल भागीदारी पर केंद्रित कार्यक्रमों के लिए बच्चों के लिए बेहतर सतत विकास लक्ष्यों के बेहतर परिणाम प्राप्त करने में बाल/बालिका पंचायतें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी। कार्यक्रम के दौरान युवा बच्चों के साथ वार्ता भी हुई।
बाल हितैषी गांव से मतलब ऐसे गांवों से है जहां पंचायतों में बच्चों की जरूरतों को लेकर उचित चर्चा हो। बच्चों को अपने लिए आवश्यक मुद्दों को उठाने का अवसर मिले और उनकी आवाज को सुना भी जाए। देश में बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा का माहौल तैयार करने के लिए केंद्र सरकार सबसे निचले स्तर यानी गांवों से इसकी शुरुआत कर रही है।