पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को बड़ी जानकारी देते हुए कहा कि इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कोई भी विदेशी प्रमुख शामिल नहीं होंगे। श्रीवास्तव ने कहा कि यह फैसला कोरोना महामारी के मद्देनजर लिया गया है।
बता दें कि इस बार गणतंत्र दिवस पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आमंत्रित किया गया था लेकिन कोरोना का नया रूप के सामने आने के बाद उन्होंने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया था। वहीं कोरोना वैक्सीन के विदेश में निर्यात को लेकर उन्होंने कहा कि इस विषय पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि हम अभी भी घरेलू उत्पादन, वितरण और मूल्यांकन के चरण में हैं।
भारत और चीन एक दूसरे से कर रहे हैं सहयोग
अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि भारत और चीन एलएसी पर तनाव कम करने के लिए राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि WMCC का नवीनतम दौर 18 दिसंबर को था। दोनों पक्ष एक और वरिष्ठ कमांडरों की बैठक करने के लिए सहमत हो गए हैं और इस संबंध में लगातार संपर्क में हैं।
श्रीवास्तव ने कहा कि चीन में फंसे हमारे दो मालवाहक जहाज एवं उनके चालक दल को निकालने के लिए भी राजनीतिक स्तर पर बात चल रही है। उन्होंने कहा कि मालवाहक एमवी अनासतासिया को वापस लाने के लिए उन चीनी अधिकारियों से बात की जा रही है जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं। हमें उम्मीद है कि अधिकारी हमारे मालवाहक जहाज को जल्द ही छोड़ेंगे।
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की दो दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा के दौरान उनकी राष्ट्रपति अशरफ गनी सहित वहां के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय संबंधों और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया के बारे में चर्चा हुई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बताया कि डोभाल दो दिवसीय यात्रा पर अफगानिस्तान गए थे जहां उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी, विदेश मंत्री हनीफ अतमर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब तथा राष्ट्रीय मेलमिलाप संबंधी उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की।
डोभाल की अफगानिस्तान यात्रा के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया को लेकर चर्चा हुई। श्रीवास्तव ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में शांति एवं विकास के लिए काफी निवेश किया है। हम शांति स्थापित करने के प्रयासों का समर्थन करते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान नियंत्रित होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण पक्षकार है और हम शांतिपूर्ण, समृद्ध, सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और एकजुट अफनिस्तान के पक्षधर हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बुधवार को अफगानिस्तान के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और पारस्परिक हित के रणनीतिक मुद्दों तथा आतंकवाद रोधी प्रयासों एवं शांति प्रक्रिया में मजबूती लाने से जुड़े विषयों पर चर्चा की। डोवाल ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से राष्ट्रपति भवन में मुलाकत की।
वहां के राष्ट्रपति भवन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा गया था दोनों पक्षों ने आतंकवाद रोधी सहयोग और अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के मुद्दे पर क्षेत्रीय आम सहमति बनाने के प्रयासों पर चर्चा की। डोभाल ने राष्ट्रीय मेलमिलाप संबंधी उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से भी मुलाकात की और शांति प्रक्रिया, दूसरे दौर की वार्ता की शुरुआत तथा अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका पर चर्चा की।
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने में भारत एवं अमेरिका के साझा हित हैं तथा साथ मिलकर काम करने की दोनों देशों की क्षमता का क्षेत्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान में एक सकारात्मक प्रभाव है।
मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ट्रंप प्रशासन के हाल में सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से संबंधित सवालों के जवाब में यह बात कही। दस्तावेजों में कहा गया है कि समान सोच वाले देशों के साथ मजबूत भारत रणनीतिक हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ ‘‘शक्ति संतुलन’’ के रूप में काम करेगा।
श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका सरकार की रिपोर्ट पर एक सवाल अमेरिका सरकार के प्रवक्ता से पूछा जाना चाहिए। हालांकि, मैं कहूंगा कि भारत और अमेरिका के बीच एक समग्र रणनीतिक वैश्विक भागीदारी है तथा हमारे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय एजेंडे, हमारे बढ़ते आर्थिक सहयोग और रणनीतिक तथा सुरक्षा हितों के लिहाज से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में तथा इससे परे सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने में दोनों देशों के साझा हित हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मिलकर काम करने की हमारी क्षमता का क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान में एक सकारात्मक प्रभाव है।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को बड़ी जानकारी देते हुए कहा कि इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कोई भी विदेशी प्रमुख शामिल नहीं होंगे। श्रीवास्तव ने कहा कि यह फैसला कोरोना महामारी के मद्देनजर लिया गया है।
बता दें कि इस बार गणतंत्र दिवस पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आमंत्रित किया गया था लेकिन कोरोना का नया रूप के सामने आने के बाद उन्होंने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया था। वहीं कोरोना वैक्सीन के विदेश में निर्यात को लेकर उन्होंने कहा कि इस विषय पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि हम अभी भी घरेलू उत्पादन, वितरण और मूल्यांकन के चरण में हैं।
भारत और चीन एक दूसरे से कर रहे हैं सहयोग
अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि भारत और चीन एलएसी पर तनाव कम करने के लिए राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि WMCC का नवीनतम दौर 18 दिसंबर को था। दोनों पक्ष एक और वरिष्ठ कमांडरों की बैठक करने के लिए सहमत हो गए हैं और इस संबंध में लगातार संपर्क में हैं।
श्रीवास्तव ने कहा कि चीन में फंसे हमारे दो मालवाहक जहाज एवं उनके चालक दल को निकालने के लिए भी राजनीतिक स्तर पर बात चल रही है। उन्होंने कहा कि मालवाहक एमवी अनासतासिया को वापस लाने के लिए उन चीनी अधिकारियों से बात की जा रही है जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं। हमें उम्मीद है कि अधिकारी हमारे मालवाहक जहाज को जल्द ही छोड़ेंगे।
अजीत डोभाल ने की दो दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की दो दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा के दौरान उनकी राष्ट्रपति अशरफ गनी सहित वहां के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय संबंधों और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया के बारे में चर्चा हुई।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बताया कि डोभाल दो दिवसीय यात्रा पर अफगानिस्तान गए थे जहां उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी, विदेश मंत्री हनीफ अतमर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब तथा राष्ट्रीय मेलमिलाप संबंधी उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की।
डोभाल की अफगानिस्तान यात्रा के बारे में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया को लेकर चर्चा हुई। श्रीवास्तव ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में शांति एवं विकास के लिए काफी निवेश किया है। हम शांति स्थापित करने के प्रयासों का समर्थन करते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान नियंत्रित होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत एक महत्वपूर्ण पक्षकार है और हम शांतिपूर्ण, समृद्ध, सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और एकजुट अफनिस्तान के पक्षधर हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बुधवार को अफगानिस्तान के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और पारस्परिक हित के रणनीतिक मुद्दों तथा आतंकवाद रोधी प्रयासों एवं शांति प्रक्रिया में मजबूती लाने से जुड़े विषयों पर चर्चा की। डोवाल ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से राष्ट्रपति भवन में मुलाकत की।
वहां के राष्ट्रपति भवन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा गया था दोनों पक्षों ने आतंकवाद रोधी सहयोग और अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के मुद्दे पर क्षेत्रीय आम सहमति बनाने के प्रयासों पर चर्चा की। डोभाल ने राष्ट्रीय मेलमिलाप संबंधी उच्च परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला से भी मुलाकात की और शांति प्रक्रिया, दूसरे दौर की वार्ता की शुरुआत तथा अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका पर चर्चा की।
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका साथ
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने में भारत एवं अमेरिका के साझा हित हैं तथा साथ मिलकर काम करने की दोनों देशों की क्षमता का क्षेत्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान में एक सकारात्मक प्रभाव है।
मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ट्रंप प्रशासन के हाल में सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से संबंधित सवालों के जवाब में यह बात कही। दस्तावेजों में कहा गया है कि समान सोच वाले देशों के साथ मजबूत भारत रणनीतिक हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ ‘‘शक्ति संतुलन’’ के रूप में काम करेगा।
श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका सरकार की रिपोर्ट पर एक सवाल अमेरिका सरकार के प्रवक्ता से पूछा जाना चाहिए। हालांकि, मैं कहूंगा कि भारत और अमेरिका के बीच एक समग्र रणनीतिक वैश्विक भागीदारी है तथा हमारे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय एजेंडे, हमारे बढ़ते आर्थिक सहयोग और रणनीतिक तथा सुरक्षा हितों के लिहाज से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में तथा इससे परे सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने में दोनों देशों के साझा हित हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मिलकर काम करने की हमारी क्षमता का क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान में एक सकारात्मक प्रभाव है।’’