अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से करने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य ने लेख में उठाए गए सवालों पर कंपनी से सफाई मांगी है। पत्रिका के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि लेख में तथ्यों के आधार पर छोटे व्यापारियों के हितों की बात की गई है। लेख में जो भी सवाल उठाए गए हैं, अमेजन को उसका जवाब देना चाहिए।
अमेजन को बताया था ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 व रिश्वत देने का लगाया था आरोप
पांचजन्य ने अमेजन पर भारतीय बाजार पर एकाधिकार के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर चलने का आरोप लगाया है। लेख में कहा गया है कि इस कंपनी ने अनुकूल सरकारी नीतियों के लिए रिश्वत के तौर पर करोड़ों रुपये का भुगतान किया है। 18वीं सदी में भारत पर कब्जा करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने जो कुछ किया, वही आज अमेजन की गतिविधियों में दिखाई देता है।
भारतीय बाजार पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए अमेजन ने देश के नागरिकों की आर्थिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर नियंत्रण करने की पहल कर दी है। इससे पहले पत्रिका ने इंफोसिस पर निशाना साधा था। हालांकि विवाद बढ़ने पर संघ ने पत्रिका से दूरी बना ली थी। संघ ने पत्रिका को अपना मुखपत्र मानने से मना कर दिया था।
अमेजन का पांचजन्य को जवाब, कोरोना के दौरान तीन लाख विक्रेता हमसे जुड़े
पांचजन्य ने अपने लेख में अमेजन पर जो सवाल उठाए थे, ई-कॉमर्स कंपनी ने उसका जवाब दिया है। अमेजन ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि कोरोना महामारी के दौरान तीन लाख नए विक्रेता उसके साथ जुड़े, जिनमें 75,000 स्थानीय पड़ोस की दुकानें थीं। ये दुकानें 450 से ज्यादा शहरों के हैं। अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी का कहना है कि इन दुकानों के फर्नीचर, स्टेशनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौंदर्य उत्पाद, मोबाइल फोन, वस्त्र, चिकित्सा उत्पाद के कारोबारी शामिल हैं।
कहा, 200 देशों में भारतीय उत्पादों को बेचने में की निर्यातकों की मदद
पांचजन्य द्वारा अपने लेख में अमेजन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 बताने के जवाब में अमेजन ने अपने निर्यात कार्यक्रम का भी जिक्र किया। कंपनी ने कहा कि उसने 70,000 से अधिक भारतीय निर्यातकों की मदद की। इनमें महानगर से लेकर छोटे शहरों और कस्बों से दुनिया भर के 200 देशों में भारतीय उत्पादों को बेचने में मदद मिली। उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय व्यापार संघ ने भी अमेजन के खिलाफ पांचजन्य की आवरण कथा का समर्थन किया है।
विस्तार
अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से करने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य ने लेख में उठाए गए सवालों पर कंपनी से सफाई मांगी है। पत्रिका के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि लेख में तथ्यों के आधार पर छोटे व्यापारियों के हितों की बात की गई है। लेख में जो भी सवाल उठाए गए हैं, अमेजन को उसका जवाब देना चाहिए।
अमेजन को बताया था ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 व रिश्वत देने का लगाया था आरोप
पांचजन्य ने अमेजन पर भारतीय बाजार पर एकाधिकार के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर चलने का आरोप लगाया है। लेख में कहा गया है कि इस कंपनी ने अनुकूल सरकारी नीतियों के लिए रिश्वत के तौर पर करोड़ों रुपये का भुगतान किया है। 18वीं सदी में भारत पर कब्जा करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने जो कुछ किया, वही आज अमेजन की गतिविधियों में दिखाई देता है।
भारतीय बाजार पर एकाधिकार प्राप्त करने के लिए अमेजन ने देश के नागरिकों की आर्थिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर नियंत्रण करने की पहल कर दी है। इससे पहले पत्रिका ने इंफोसिस पर निशाना साधा था। हालांकि विवाद बढ़ने पर संघ ने पत्रिका से दूरी बना ली थी। संघ ने पत्रिका को अपना मुखपत्र मानने से मना कर दिया था।
अमेजन का पांचजन्य को जवाब, कोरोना के दौरान तीन लाख विक्रेता हमसे जुड़े
पांचजन्य ने अपने लेख में अमेजन पर जो सवाल उठाए थे, ई-कॉमर्स कंपनी ने उसका जवाब दिया है। अमेजन ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि कोरोना महामारी के दौरान तीन लाख नए विक्रेता उसके साथ जुड़े, जिनमें 75,000 स्थानीय पड़ोस की दुकानें थीं। ये दुकानें 450 से ज्यादा शहरों के हैं। अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी का कहना है कि इन दुकानों के फर्नीचर, स्टेशनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौंदर्य उत्पाद, मोबाइल फोन, वस्त्र, चिकित्सा उत्पाद के कारोबारी शामिल हैं।
कहा, 200 देशों में भारतीय उत्पादों को बेचने में की निर्यातकों की मदद
पांचजन्य द्वारा अपने लेख में अमेजन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 बताने के जवाब में अमेजन ने अपने निर्यात कार्यक्रम का भी जिक्र किया। कंपनी ने कहा कि उसने 70,000 से अधिक भारतीय निर्यातकों की मदद की। इनमें महानगर से लेकर छोटे शहरों और कस्बों से दुनिया भर के 200 देशों में भारतीय उत्पादों को बेचने में मदद मिली। उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय व्यापार संघ ने भी अमेजन के खिलाफ पांचजन्य की आवरण कथा का समर्थन किया है।