तमिलनाडु के
सूखा प्रभावित जिलों के किसानों से मिलने आज राज्य के मुख्यमंत्री ई पलानीसामी दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे। उन्होंने किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की। साथ ही कहा कि किसानों की जो मांग है, उसे प्रधानमंत्री के समक्ष रखेंगे। वहीं आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि सरकार तत्काल लोन माफ करें। किसानों ने मांग रखी कि जिस तरीके से यूपी की योगी सरकार ने यहां के किसानों का लोन माफ कर दिया, वैसे ही तमिलनाडु के किसानों का भी लोन माफ किया जाए।
वीडियो : दिल्ली में तमिलनाडु के किसानों ने पिया पेशाब, अब तो सुन लो सरकार
गौरतलब है कि कर्ज माफी के लिए 14 मार्च से जंतर-मंतर पर सूखा प्रभावित किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को किसानों जंतर-मंतर पर अपना प्रदर्शन बेहद आक्रामक बना दिया। प्रदर्शनकारी किसानों ने कांच की बोतलों और बाल्टी में मानव मूत्र भरकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनके राज्य में पानी की किल्लत को अगर सरकार दूर नहीं करती है, तो वे अपना मूत्र पीकर इसका विरोध करेंगे। ये किसान 14 मार्च से जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों की अगुवाई करने वाले अय्याकन्नू ने बताया कि तमिलनाडु में एक दशक से सूखा पड़ रहा है। पिछले एक साल में सूखे का प्रभाव बेहद ज्यादा रहा है। ऐसा सूखा 150 साल पहले पड़ा था। इसके चलते किसान कर्ज में डूबे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं। एक साल की अवधि में करीब 400 किसानों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड बनाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
ये भी पढ़ें-अपना ही यूरिन पीने को मजबूर हुए ये किसान, कल खाएंगे मल अगर नहीं आए मोदी
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे ये किसान सरकार से राज्य के किसानों का 7000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने, सूखा राहत निधि से 40 हजार करोड़ रुपये की सहायता देने, सूखे की समस्या से निपटने के लिए राज्य की नदियों को आपस में जोड़ने, किसानों को उनकी फसल का सही दाम देने और बुजुर्ग किसानों व उनकी मौत के बाद आश्रितों को पेंशन देन की मांग कर हैं। किसानों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। वे कई बार मंत्रियों से भी मिल चुके हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी उनकी समस्या पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
तमिलनाडु के
सूखा प्रभावित जिलों के किसानों से मिलने आज राज्य के मुख्यमंत्री ई पलानीसामी दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे। उन्होंने किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की। साथ ही कहा कि किसानों की जो मांग है, उसे प्रधानमंत्री के समक्ष रखेंगे। वहीं आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि सरकार तत्काल लोन माफ करें। किसानों ने मांग रखी कि जिस तरीके से यूपी की योगी सरकार ने यहां के किसानों का लोन माफ कर दिया, वैसे ही तमिलनाडु के किसानों का भी लोन माफ किया जाए।
वीडियो : दिल्ली में तमिलनाडु के किसानों ने पिया पेशाब, अब तो सुन लो सरकार
गौरतलब है कि कर्ज माफी के लिए 14 मार्च से जंतर-मंतर पर सूखा प्रभावित किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को किसानों जंतर-मंतर पर अपना प्रदर्शन बेहद आक्रामक बना दिया। प्रदर्शनकारी किसानों ने कांच की बोतलों और बाल्टी में मानव मूत्र भरकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनके राज्य में पानी की किल्लत को अगर सरकार दूर नहीं करती है, तो वे अपना मूत्र पीकर इसका विरोध करेंगे। ये किसान 14 मार्च से जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों की अगुवाई करने वाले अय्याकन्नू ने बताया कि तमिलनाडु में एक दशक से सूखा पड़ रहा है। पिछले एक साल में सूखे का प्रभाव बेहद ज्यादा रहा है। ऐसा सूखा 150 साल पहले पड़ा था। इसके चलते किसान कर्ज में डूबे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं। एक साल की अवधि में करीब 400 किसानों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड बनाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
ये भी पढ़ें-अपना ही यूरिन पीने को मजबूर हुए ये किसान, कल खाएंगे मल अगर नहीं आए मोदी
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे ये किसान सरकार से राज्य के किसानों का 7000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने, सूखा राहत निधि से 40 हजार करोड़ रुपये की सहायता देने, सूखे की समस्या से निपटने के लिए राज्य की नदियों को आपस में जोड़ने, किसानों को उनकी फसल का सही दाम देने और बुजुर्ग किसानों व उनकी मौत के बाद आश्रितों को पेंशन देन की मांग कर हैं। किसानों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। वे कई बार मंत्रियों से भी मिल चुके हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी उनकी समस्या पर विचार करने का आश्वासन दिया है।