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Gautam Navlakha Case: एनआईए ने कहा- नवलखा मामले में SC को किया गया गुमराह; अदालत ने पूछे तीखे सवाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Amit Mandal Updated Fri, 18 Nov 2022 06:04 PM IST
सार

नवलखा अप्रैल 2020 से महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा में 1 जनवरी को एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण देने के एक दिन बाद हुई हिंसा से संबंधित एक मामले में जेल में हैं।

Gautam Navlakha (file photo)
Gautam Navlakha (file photo) - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोरेगांव-भीमा मामले के एक आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंद करने की अनुमति देने के मामले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जानबूझकर गुमराह किया गया। तीखी प्रतिक्रिया के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश को वापस लेने से इनकार कर दिया और कहा कि नजरबंदी के दौरान कुछ सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक हफ्ते बाद भी 70 वर्षीय गौतम नवलखा को अब तक जेल से बाहर नहीं निकाला गया है। एनआईए का केस रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नवलखा की टीम द्वारा चुने गए स्थान की सुरक्षा के बारे में चिंता जताई और अदालत से हाउस अरेस्ट के फैसले को रद्द करने का आग्रह किया।



सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आप नहीं रख सकते, तो हम रखेंगे निगरानी  
आपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी। अदालत ने कहा, क्या सॉलिसिटर जनरल मेहता और एएसजी (अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू) यहां यह कहने के लिए हैं कि पुलिस 70 वर्षीय बीमार व्यक्ति पर नजर नहीं रख सकती है? जब एनआईए ने सोमवार तक का समय मांगा तो न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने कहा, आपको लगता है कि हम मामले में देरी करने की कोशिशें नहीं देख सकते हैं? किसलिए हम सोमवार तक मामला टाल दें? हम एक आदेश पारित कर रहे हैं। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि नवलखा के आतंकवादियों से संबंध हैं, इस पर न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने कहा, तो आप कहते हैं कि आप निगरानी नहीं कर सकते हैं, तो हम करेंगे। जब एसजी और एएसजी यहां खड़े होकर कह रहे हैं कि 70 वर्षीय बीमार व्यक्ति को कारावास में नहीं रखा जा सकता है। क्या राज्य देखभाल करने में अक्षम है? आप देखभाल नहीं कर सकते हैं तो चलिए हम देखभाल करते हैं। 


नवलखा अप्रैल 2020 से महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा में 1 जनवरी को एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण देने के एक दिन बाद हुई हिंसा से संबंधित एक मामले में जेल में हैं। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था। पिछले हफ्ते स्वास्थ्य आधार पर नवलखा के अनुरोध का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक महीने के लिए हाउस अरेस्ट की अनुमति दी और कहा कि आदेश को 48 घंटों के भीतर लागू किया जाना चाहिए। लेकिन उनकी रिहाई में देरी हुई है। उनके वकील ने आरोप लगाया कि एनआईए अपने पैर खींच रही है।
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