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Supreme Court: देशद्रोह कानून और पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ याचिकाओं पर होगी सुनवाई, जानें अहम तारीखें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Sun, 08 Jan 2023 10:45 PM IST
सार

देशद्रोह कानून का इतिहास रोचक है। विधि आयोग की 2018 की रिपोर्ट बताती है कि 1837 में आईपीसी का ड्राफ्ट बनाने वाले अंग्रेज अधिकारी थॉमस मैकॉले ने देशद्रोह कानून को धारा 113 में रखा। लेकिन किसी भूलवश इसे 1860 में लागू आईपीसी में शामिल नहीं किया जा सका। 1870 में विशेष अधिनियम 17 के जरिये सेक्शन 124ए आईपीसी में जोड़ा गया।

सुप्रीम कोर्ट।
सुप्रीम कोर्ट। - फोटो : ANI

विस्तार

देशद्रोह कानून पर रोक लगाने के करीब सात महीने बाद सुप्रीम कोर्ट औपनिवेशिक युग के इस दंडात्मक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगा। एक ऐतिहासिक आदेश में शीर्ष अदालत ने पिछले साल 11 मई को देशद्रोह के लिए इस दंडात्मक कानून को स्थगित करने का फैसला किया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट सोमवार को धार्मिक स्थलों पर 1991 के कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी। 



मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कानून के खिलाफ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिका सहित 12 याचिकाओं को सुनवाई के लिए बुधवार को सूचीबद्ध किया है।


गौरतलब है कि बीते साल इस कानून को ताक पर रखते हुए तत्कालीन सीजेआई एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया था कि नई प्राथमिकी दर्ज करने के अलावा, इस कानून के तहत दर्ज मामलों में चल रही जांच, लंबित परीक्षण के साथ ही राजद्रोह कानून के तहत सभी कार्यवाही स्थगित रहेंगी। पीठ ने कहा था कि "आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) की कठोरता वर्तमान सामाजिक परिवेश के अनुरूप नहीं है। पीठ ने इसके इस प्रावधान पर पुनर्विचार की अनुमति दी थी। पीठ ने कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि जब तक प्रावधान की फिर से जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक सरकारों द्वारा कानून के पूर्वोक्त प्रावधान के उपयोग को जारी नहीं रखना उचित होगा। 
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