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Supreme Court Constitution Bench To Hear Petition Against Demonetisation Today Know Key Points In Hindi
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Supreme Court: अब नोटबंदी पर 12 अक्तूबर को संविधान पीठ करेगी सुनवाई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 28 Sep 2022 11:06 AM IST
सार
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500 और 1000 के पुराने नोट बंद होने को लेकर साल 2016 में कई याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 16 दिसंबर 2016 को मामला संविधान पीठ को सौंपा गया था।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 12 अक्तूबर को नोटबंदी मामले पर सुनवाई करेगी। सुनवाई के दौरान सबसे पहले यही तय किया जाएगा कि क्या वाकई अब इस मामले में सुनने के लिए कुछ बाकी है। 500 और 1000 के पुराने नोट बंद होने को लेकर साल 2016 में कई याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 16 दिसंबर 2016 को मामला संविधान पीठ को सौंपा गया था।
500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के भारत सरकार के निर्णय के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें से एक याचिका विवेक नारायण शर्मा ने दायर की है। याचिका में 8 नवंबर 2016 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। अब अदालत इस मुद्दे से निपटेगी कि क्या 8 नवंबर 2016 की अधिसूचना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) और धारा 7,17,23,24,29 और 42 के अधिकारहीन है और क्या अधिसूचना संविधान के के प्रावधान अनुच्छेद 300 (ए) का उल्लंघन करती है।
इसके अलावा अदालत इस मुद्दे पर भी विचार करेगी कि क्या अधिसूचना भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत वैध रूप से जारी की गई है और क्या यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत है और क्या बैंक से नकदी निकालने की सीमा है। बैंक खातों में जमा धन का कानून में कोई आधार नहीं है और यह अनुच्छेद 14,19 और 21 का उल्लंघन करता है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद- 370 (जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा) को खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दशहरा अवकाश के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा। मामले का उल्लेख भारत के मुख्य न्यायधीश(सीजेआई) यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष किया गया था।
वकील ने कहा था कि यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मामला है। जिसके बाद सीजेआई ने कहा कि दशहरे की छुट्टियों के बाद मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट तीन अक्टूबर से एक सप्ताह के लिए दशहरा अवकाश के लिए बंद रहेगा।
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अनुच्छेद- 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के अगस्त, 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं। अनुच्छेद- 370 को निरस्त करके, केंद्र ने जम्मू और कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया था। इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया- जम्मू एवम कश्मीर और लद्दाख।
मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने माना था कि अनुच्छेद- 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह को साथ न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है। दरअसल, कुछ याचिकाकर्ताओं ने मामले को सात सदस्यीय पीठ के पास भेजने की मांग की थी।
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