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Political Crisis: जब बागी अखिलेश ने पिता-चाचा की पार्टी पर किया था कब्जा, पढ़ें बगावत की ऐसी पांच कहानियां

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जयदेव सिंह Updated Fri, 01 Jul 2022 01:09 PM IST
सार

जब ये बगावत शुरू हुई उस वक्त अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वहीं, बगावत की शुरुआत होने के बाद उनके चाचा शिवपाल यादव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बना दिए गए थे। ऐसा संघर्ष कई पार्टियों में देखने को मिल चुका है। 

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अखिलेश यादव ने की थी पिता मुलायम से बगावत। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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महाराष्ट्र में सियासी घमासान का एक अध्याय समाप्त हो चुका है। शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन चुके हैं। अब पार्टी पर कब्जे की लड़ाई बढ़ती दिख रही है। पार्टी पर कब्जे की ऐसी ही लड़ाई 2016 में उत्तर प्रदेश में देखने को मिली थी, जब उस वक्त के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता-चाचा की पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी थी। 

जब ये बगावत शुरू हुई उस वक्त अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वहीं, बगावत की शुरुआत होने के बाद उनके चाचा शिवपाल यादव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बना दिए गए थे। ऐसा संघर्ष कई पार्टियों में देखने को मिल चुका है।  यहां तक कि एक राज्य में तो पार्टी बनाने वाले एक सुपर स्टार को तो मुख्यमंत्री रहते हुए अपने ही बेटों और दामाद के विद्रोह का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री पद के साथ ही जो पार्टी उन्होंने बनाई वो भी उनके हाथ से चली गई। आइये जानते हैं बगावत के ऐसे ही पांच किस्से…

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पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ अखिलेश यादव - फोटो : अमर उजाला

सबसे पहले बात अखिलेश यादव की। बात 2016 की है जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को चंद महीने बचे थे। राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनकी सरकार में मंत्री और चाचा शिवपाल यादव ने अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 

विवाद बढ़ा गायत्री प्रजापति को मंत्री पद से हटाए जाने के बाद। गायत्री को हटाने का अखिलेश का फैसला मुलायम और शिवपाल को नागवार गुजरा। मुलायम ने गायत्री को फिर से मंत्री बनाने के लिए कहा, लेकिन अखिलेश ने ऐसा करने से मना कर दिया। अखिलेश के फैसले के बाद मुलायम ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। 

मुलायम के कदम से सत्ता और संगठन के बीच विवाद और बढ़ गया। अखिलेश ने शिवपाल को अपने मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया। जवाब में अखिलेश के कई करीबियों को पार्टी से बाहर कर दिया गया। यहां तक कि पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी पार्टी से बाहर कर दिए गए। इस कार्रवाई से भड़के अखिलेश ने इस पूरी कलह के पीछे अमर सिंह का हाथ बताया। 

विवाद इतना बढ़ा कि मुलायम सिंह यादव ने रामगोपाल यादव और अपने बेटे अखिलेश यादव को पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव ने पार्टी का अधिवेशन बुलाया, जिसमें पार्टी के अधिकतर दिग्गज आए। विद्रोही गुट के इस अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव की जगह अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए। शिवपाल की जगह नरेश उत्तम को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा। अखिलेश के पक्ष में पार्टी के ज्यादातर जनप्रतिनिधि थे। शिवपाल खेमे में सिर्फ दर्जन भर नेता ही रह गए। चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी का फैसला अखिलेश के पक्ष में किया। इसके बाद शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई। 

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