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मध्य भारत में 1950 से अब तक भारी बारिश की घटनाओं में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। एक मौसम वैज्ञानिक के अध्ययन के अनुसार, वहीं इस दौरान भारी बारिश के कारण पूरे भारत में जहां 69 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 1.7 करोड़ लोग बेघर हो गए।
भारत, अमेरिका और फ्रांस के वैज्ञानिकों के इस अध्ययन को नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल के अक्तूबर अंक में प्रकाशित किया गया। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्यों को भारी बारिश की सबसे बुरी घटनाओं का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही पश्चिमी तटीय राज्यों गोवा, उत्तरी कर्नाटक और दक्षिणी केरल भी इसके शिकार हुए।
अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय आपदा आंकड़ा बेस के माध्यम से कहा गया कि 1950-2015 के बीच भारत में 268 बाढ़ की घटनाओं की जानकारी सामने आए जिससे 82.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए। वहीं इसमें जहां 1.7 करोड़ लोग बेघर हुए वहीं 69 हजार लोग मारे गए। मुख्य लेखक रॉक्सी मैथ्यू कोल के अनुसार, एक बड़े क्षेत्र में पूरे दिन 15 सेमी से अधिक होने वाली वर्षा को भारी वर्षा कहा जा सकता है जो कि बाढ़ लाने के लिए पर्याप्त है।
कोल ने कहा कि 1950 के दशक में मध्य भारत में ऐसे बड़े भूभाग पर होने वाली भारी बारिश की संख्या प्रति वर्ष दो होती थी जबकि अब यह बढ़कर छह हो चुकी है। कोल, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक प्रतिष्ठित शोध संगठन भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक हैं।
मध्य भारत में 1950 से अब तक भारी बारिश की घटनाओं में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। एक मौसम वैज्ञानिक के अध्ययन के अनुसार, वहीं इस दौरान भारी बारिश के कारण पूरे भारत में जहां 69 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 1.7 करोड़ लोग बेघर हो गए।
भारत, अमेरिका और फ्रांस के वैज्ञानिकों के इस अध्ययन को नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल के अक्तूबर अंक में प्रकाशित किया गया। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्यों को भारी बारिश की सबसे बुरी घटनाओं का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही पश्चिमी तटीय राज्यों गोवा, उत्तरी कर्नाटक और दक्षिणी केरल भी इसके शिकार हुए।
अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय आपदा आंकड़ा बेस के माध्यम से कहा गया कि 1950-2015 के बीच भारत में 268 बाढ़ की घटनाओं की जानकारी सामने आए जिससे 82.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए। वहीं इसमें जहां 1.7 करोड़ लोग बेघर हुए वहीं 69 हजार लोग मारे गए। मुख्य लेखक रॉक्सी मैथ्यू कोल के अनुसार, एक बड़े क्षेत्र में पूरे दिन 15 सेमी से अधिक होने वाली वर्षा को भारी वर्षा कहा जा सकता है जो कि बाढ़ लाने के लिए पर्याप्त है।
कोल ने कहा कि 1950 के दशक में मध्य भारत में ऐसे बड़े भूभाग पर होने वाली भारी बारिश की संख्या प्रति वर्ष दो होती थी जबकि अब यह बढ़कर छह हो चुकी है। कोल, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक प्रतिष्ठित शोध संगठन भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक हैं।