Hindi News
›
India News
›
RRB NTPC students Protest: Why is trust not being built between the government and the examinees, five demands of yuva Halla Bol
{"_id":"61f3ecb0f7d9ff2f8b23a1ee","slug":"rrb-ntpc-students-protest-why-is-trust-not-being-built-between-the-government-and-the-examinees-five-demands-of-yuva-halla-bol","type":"story","status":"publish","title_hn":"RRB-NTPC बवाल: सरकार और परीक्षार्थियों के बीच क्यों नहीं बन पा रहा 'भरोसा', युवा हल्लाबोल ने रखीं ये पांच मांगें","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
RRB-NTPC बवाल: सरकार और परीक्षार्थियों के बीच क्यों नहीं बन पा रहा 'भरोसा', युवा हल्लाबोल ने रखीं ये पांच मांगें
युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा, केंद्र सरकार की ज्यादातर भर्तियों को पूरा होने में तीन-चार साल लग रहे हैं। एक छात्र, 23 साल की आयु में नौकरी का फार्म भरता है और उसे 27वें साल में रिजल्ट मालूम चलता है। अगर वह फेल हो जाता है तो आगे क्या करेगा। उसके पास तो दूसरा चांस भी नहीं बचा, क्योंकि वो ओवरएज के दायरे में आ गया है...
रेलवे भर्ती के रिजल्ट को देखकर परीक्षार्थियों का गुस्सा फूट पड़ा। उत्तर प्रदेश और बिहार के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी छात्रों का गुस्सा देखने को मिला। पहले, रेलवे ने प्रदर्शनकारी छात्रों को चेतावनी दी, लेकिन उसके बाद भी जब छात्रों का विरोध कम नहीं हुआ तो रेल मंत्री को प्रेसवार्ता के जरिए सामने आना पड़ा। शुक्रवार को 'बिहार बंद' की कॉल दी गई। आखिर केंद्र सरकार और परीक्षार्थियों के बीच 'भरोसा' क्यों नहीं बन पा रहा है, इस बाबत युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा, केंद्र सरकार में सात-आठ लाख पद खाली पड़े रहते हैं। भर्ती का विज्ञापन जारी होने से लेकर नियुक्ति पत्र मिलने तक की प्रक्रिया पूरी होने में तीन-चार साल लग रहे हैं। ऐसे में भरोसे का तो सवाल ही नहीं उठता।
ये पांच मांगें हैं, इन्हें पूरा कर दें: अनुपम
मौजूदा परिस्थितियों में युवा हल्लाबोल की पांच प्रमुख मांगें हैं, इन्हें अविलंब पूरा किया जाए। पहली, रेलवे भर्ती परीक्षा के छात्रों व शिक्षकों पर दर्ज पुलिस केस वापस हों। दूसरी, बेवजह बल प्रयोग करने वाले अफसरों पर कार्रवाई की जाए। तीसरी, आरआरबी एनटीपीसी में 20 गुना छात्रों का चयन हो और चौथी मांग, ग्रुप डी में लाया गया संशोधन वापस लें। पांचवीं मांग, घायल छात्रों का निशुल्क इलाज कराया जाए। रेल मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी से कुछ नहीं होने वाला। उसका कोई औचित्य भी नहीं है। वह तो चुनाव देखते हुए बनाई गई है।
भर्ती प्रक्रिया लंबी खींचकर सरकार ने खुद ही भरोसा तोड़ा है
युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा, केंद्र सरकार की ज्यादातर भर्तियों को पूरा होने में तीन-चार साल लग रहे हैं। एक छात्र, 23 साल की आयु में नौकरी का फार्म भरता है और उसे 27वें साल में रिजल्ट मालूम चलता है। अगर वह फेल हो जाता है तो आगे क्या करेगा। उसके पास तो दूसरा चांस भी नहीं बचा, क्योंकि वो ओवरएज के दायरे में आ गया है। जिस छात्र ने सरकारी नौकरी के लिए खूब मेहनत की हो और आखिर में उसे ऐसा रिजल्ट मिले तो उसकी मनोस्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। उस छात्र को अपने ऊपर मनोवैज्ञानिक दबाव के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक दबाव भी झेलना होता है। दूसरी ओर सरकार को इन बातों से कोई सरोकार नहीं होता। परीक्षा का परिणाम चार-पांच साल में आता है। पेपर लीक हुआ है, उम्मीदवारों के पास दूसरा चांस ही नहीं बचा, मामला अदालत में लंबित है या पूरी भर्ती प्रक्रिया ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है, आदि बातों का असर तो छात्र पर ही पड़ता है। ऐसे में सरकार के भरोसे पर कोई कैसे यकीन कर ले।
सरकार 'मॉडल एग्जाम कोड' को लागू नहीं कर रही
युवा हल्लाबोल के पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार से 'मॉडल एग्जाम कोड' को लागू करने का आग्रह किया था। इसके जरिए कोई भी भर्ती नौ महीने में पूरी हो सकती है। अनुपम एवं उनकी टीम ने कई विशेषज्ञों से बातचीत कर यह एग्जाम कोड तैयार किया था। पेपर लीक और ऑनलाइन परीक्षा में होने वाली गड़बड़ियों के मद्देनजर एक्सपर्ट की एक कमेटी गठित करने की बात कही गई। भर्ती बोर्ड या आयोगों में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों को बतौर समीक्षा अधिकारी नियुक्त करने का सुझाव दिया गया। भर्ती की विज्ञप्ति निकलने के बाद फार्म भरने के लिए 20 दिन का समय दिया जाए। यदि फार्म में कोई कमी है, तो उसकी जानकारी आवेदक को मैसेज और ई-मेल से दी जाए। साथ ही उसमें सुधार करने का नोटिस जारी कर दें। फार्म भरे जाने के बाद 30 दिन के अंदर प्रवेश पत्र जारी हो। यह सूचना भी मैसेज और ईमेल के जरिए आवेदक को मिले। सुनिश्चित किया जाए कि यदि फार्म में परीक्षा केंद्र चुनने का मौका न हो तो परीक्षार्थी का परीक्षा केंद्र उसके घर से सौ किलोमीटर की दूरी पर न हो।
प्रवेश पत्र जारी करने के बाद 15 दिन में परीक्षा हो
युवा हल्लाबोल ने अपने मॉडल एग्जाम कोड में लिखा, किसी परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी होने के 15 दिन बाद ही वह परीक्षा आयोजित की जाए। परीक्षा पर्यवेक्षकों का ब्यौरा सरकारी एजेंसियों द्वारा सत्यापित किया होना चाहिए। परीक्षा संबंधी शिकायत दर्ज कराने के लिए 24 घंटे काम करने वाले शिकायत निवारण केंद्रों की स्थापना हो। ऑनलाइन परीक्षा के सॉफ्टवेयर की जांच सरकार द्वारा की जाए। परीक्षा केंद्र पर निशुल्क सामान रखने की व्यवस्था हो। सभी परीक्षा कक्ष सीसीटीवी युक्त बनाए जाएं। परीक्षा केंद्र में मौजूद सभी लोगों का मोबाइल फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग वर्जित हो। परीक्षार्थी और पर्यवेक्षकों की उपस्थिति बायोमीट्रिक सिस्टम से दर्ज की जाए। परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगें और प्री-परीक्षा के सात दिन के भीतर उत्तर कुंजी जारी हो। उत्तर कुंजी को चुनौती देने के लिए जो प्रक्रिया शुरू होती है, उसका आपत्ति/पुनरावृत्ति शुल्क माफ रहे। अगले सात दिन में नए और अंतिम उत्तर कुंजी के साथ परीक्षा परिणाम घोषित करें। परीक्षा में यदि कोई गलत सवाल आता है तो उसके लिए सभी परीक्षार्थियों को एक समान अंक दिए जाएं।
30 दिन के भीतर अगले स्तर की परीक्षा का शेड्यूल जारी हो...
अनुपम के मुताबिक, एक महीने के भीतर अगले स्तर की परीक्षा या मुख्य परीक्षा, टाइपिंग और शारीरिक परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी किए जाएं। इससे आगे के 15 दिन में अगले स्तर की परीक्षा पूरी हो जानी चाहिए। एक सप्ताह के उत्तर कुंजी जारी कर दी जाए। अगले एक सप्ताह में रिवाइज्ड उत्तर कुंजी के साथ अंतिम परिणाम घोषित हों। इसके बाद सफल अभ्यर्थियों को परिणाम जारी होने के बाद तीन माह के अंदर ज्वाइन करा दिया जाए। किन्हीं कारणों से यदि ज्वाइनिंग में देरी हो रही है तो अभ्यर्थियों को मुआवजा मिले। किसी घटना या आवेदकों की ज्यादा संख्या होने की स्थिति में एक माह का अतिरिक्त समय दिया जाए।
विज्ञापन
अनुपम ने कहा, यह सब मुश्किल कार्य नहीं है। रेलवे भर्ती के मौजूदा मामले में रेल मंत्री से कुछ छिपा नहीं था। वे सब जानते थे, यह बात उनकी प्रेसवार्ता में साबित हो गई। उन्होंने अपनी समझ को बाहर निकालने में देरी कर दी। छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद मंत्री ने प्रेसवार्ता की। जब उन्हें मांगों का पता है तो उन्होंने कमेटी क्यों गठित कर दी। खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, हमने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। अनुपम कहते हैं, कमेटी से कुछ नहीं होने वाला। ये तो चुनाव तक मामले को ठंडा रखने का एक तरीका है। कमेटी पर ध्यान देने की बजाए जो पांच मांगें सरकार के समक्ष रखी गई हैं, उन्हें तत्काल पूरा कर दिया जाए।
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।