लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन
Hindi News ›   India News ›   Rajyasabha LOP Mallikarjun Kharge Speaks on Chairman Jagdeep Dhankhad

Rajyasabha: मेरे बारे में कोई राय मत बनाना गालिब ...राज्यसभा में खरगे ने सभापति धनखड़ को सुनाया शेर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: संजीव कुमार झा Updated Wed, 07 Dec 2022 01:21 PM IST
सार

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ की तारीफ करते हुए कहा कि आप भूमि पुत्र हैं, संसदीय परंपराओं को आप बखूबी समझते हैं। 

राज्यसभा में खरगे ने सुनाया शेर
राज्यसभा में खरगे ने सुनाया शेर - फोटो : ANI

विस्तार

आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है और इस दौरान दोनों सदनों की कार्यवाही भी शुरू हो गई। इस दौरान सबसे अधिक दिलचस्प नजारा राज्यसभा में देखने को मिला, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने शानदार अंदाज में नए सभापति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। खरगे ने एक मंझे हुए नेता की तरह धनखड़ की पहले तारीफ की और फिर शेर पढ़कर इशारे-इशारे में तंज भी कसा। खरगे ने धनखड़ को किसान पुत्र कहकर पुकारा। खरगे ने धनखड़ की तारीफ करते हुए कहा कि आप भूमि पुत्र हैं, संसदीय परंपराओं को आप बखूबी समझते हैं। राजस्थान विधानसभा और पश्चिम बंगाल में राज्यपाल रहे हैं। पढने लिखने में आपकी रूची है, आपकी रूपरेखा बेहद बड़ी है। खरगे ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि राज्यसभा के संरक्षक के रूप में आपकी भूमिका बाकी भूमिकाओं से काफी बड़ी हैं। आप जिस आसन पर बैठे हैं उसपर कई गणमान्य लोग बैठ चुके हैं।



राज्यसभा में खरगे ने सभापति धनखड़ को सुनाया शेर
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को शेर भी सुनाया। खरगे ने कहा कि ''मेरे बारे में कोई राय मत बनाना गालिब मेरा वक्त भी बदलेगा मेरी राय भी बदलेगी''। खरगे के शेर सुनाने के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुस्कुराने लगे और उन्होंने शुक्रिया अदा किया।


पहले सदन 100 दिन तक चलती थी लेकिन अब 60-70 दिन भी नहीं: खरगे
खरगे ने कहा कि एक समस्या यह है कि सदन की बैठकें कम होने के कारण जनता के मुद्दों पर चर्चा के लिए उचित समय नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा गरीबों, एसटी, एसटी, दबे-कुचलों, किसानों, अत्याचार की शिकार महिलाओं के हालात पर ढंग से बात नहीं रख पाते। उन्होंने कहा कि विधेयक भी जल्दबाजी में पारित किये जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पहले जहां संसद 100 से अधिक दिन चलती थी वहीं अब यह 60-70 दिन से अधिक नहीं चलती। उन्होंने कहा कि यदि पिछले एक दशक के आंकड़े देखें तो सबसे अधिक 2012 में 74 बैठकें हुई थीं और इसके बाद 2016 में 72 बैठकें हुई थीं। उन्होंने सभापति के समक्ष यह उम्मीद जतायी कि चर्चा के लिए दिन बढ़ाए जाएंगे।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;