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केंद्र सरकार कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार और भाजपा अभी भी किसानों को कृषि कानूनों के फायदे गिना रही है। 25 दिसंबर को भाजपा पूरे देश में एक कार्यक्रम कर किसानों को अपने पक्ष में जोड़ने की कोशिश करेगी। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 बजे किसानों को संबोधित करेंगे और किसान सम्मान निधि की अगली किस्त भी जारी करेंगे।
वहीं, किसान नेताओं की रणनीति है कि इसी दिन बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के कॉर्पोरेट मॉडल की सच्चाई जनता के सामने रखें। इसके लिए 25 दिसंबर को ही किसान पूरे देश में विरोध करेंगे। गुजरात के किसान इस दिन को कुशासन दिवस के रूप में मनाएंगे।
केंद्रीय नेता, पार्टी पदाधिकारी सभी सुनेंगे प्रधानमंत्री की बात
25 दिसंबर को अटलबिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर भाजपा पूरे देश में एक कार्यक्रम कर कृषि कानूनों पर जनसमर्थन जुटाएगी। इसके लिए पूरे देश के सभी ब्लॉक स्तर पर एक सभा की जाएगी जहां वर्चुअल मीटिंग के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को संबोधित करेंगे और कृषि कानूनों पर उनकी शंकाओं का समाधान करेंगे।
केंद्र सरकार के सभी मंत्री, पार्टी के नेता, सांसद और अन्य लोग अपने-अपने क्षेत्रों में किसी ब्लॉक पर कार्यक्रम में भाग लेंगे। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, वहां सरकारें इस कार्यक्रम के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में कार्यक्रम चलाया जाएगा।
गुजरात मॉडल की कलई खोलेंगे
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्यवय समिति के नेता अविक साहा ने कहा कि केंद्र सरकार अभी भी अपनी जिद से पीछे हटने का संकेत नहीं दे रही है। वह मुद्दों का हल निकालने की बजाय किसानों को ही कृषि कानून के फायदे समझाने की कोशिश कर रही है। वह यह नहीं बता रही है कि किस प्रकार उसके कृषि मॉडल से कॉर्पोरेट कंपनियां खेती पर कब्जा कर लेंगी और किसान अपने ही खेत में मजदूर बनकर रह जाएगा।
संगठन का दावा है कि गुजरात में इसी मॉडल को आजमाया गया, लेकिन इसका दुष्परिणाम हुआ कि लाखों किसानों ने खेती छोड़कर मजदूरी करना बेहतर समझा है। उन्होंने कहा कि एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक 2011 के पिछले दस सालों में राज्य से 3.55 लाख किसान गायब हो गए, जबकि इसी दौरान मजदूरों की संख्या 17 लाख बढ़ गई। संगठन का दावा है कि ये किसान अपनी खेती छोड़कर मजदूर बन गए, जिसके कारण किसानों की संख्या घटी और मजदूरों की संख्या बढ़ गई। अब मोदी सरकार यही मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहती है।
किसान हमारे साथ- भाजपा
वहीं, भाजपा का दावा है कि एक फीसदी किसान कुछ लोगों के बरगलाने से उसका विरोध कर रहे हैं, जबकि पूरे देश का किसान उनके साथ है। पार्टी महासचिव अरूण सिंह ने अमर उजाला से कहा कि देश के 99 फीसदी किसान उनके साथ हैं। क्योंकि देश का किसान देख रहा है कि पहली बार किसी सरकार ने सीधे उनके लिए काम किया है। जो लाभ उनको आज तक नहीं मिले, वह लाभ उन्हें दिया जा रहा है। यही कारण है कि घबराया विपक्ष अपनी राजनीति खत्म होने के डर से किसानों को भड़काने में जुटा है।
सार
- 25 दिसंबर को भाजपा पूरे देश में करेगी कार्यक्रम, हर ब्लॉक में करेगी सभा, किसानों को मोदी वर्चुअली करेंगे संबोधित, केंद्रीय मंत्री, सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में होंगे उपस्थित
- किसान केंद्र सरकार का विरोध तेज करेंगे, गुजरात के किसान कुशासन दिवस मनाकर जताएंगे विरोध
विस्तार
केंद्र सरकार कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार और भाजपा अभी भी किसानों को कृषि कानूनों के फायदे गिना रही है। 25 दिसंबर को भाजपा पूरे देश में एक कार्यक्रम कर किसानों को अपने पक्ष में जोड़ने की कोशिश करेगी। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 बजे किसानों को संबोधित करेंगे और किसान सम्मान निधि की अगली किस्त भी जारी करेंगे।
वहीं, किसान नेताओं की रणनीति है कि इसी दिन बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के कॉर्पोरेट मॉडल की सच्चाई जनता के सामने रखें। इसके लिए 25 दिसंबर को ही किसान पूरे देश में विरोध करेंगे। गुजरात के किसान इस दिन को कुशासन दिवस के रूप में मनाएंगे।
केंद्रीय नेता, पार्टी पदाधिकारी सभी सुनेंगे प्रधानमंत्री की बात
25 दिसंबर को अटलबिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर भाजपा पूरे देश में एक कार्यक्रम कर कृषि कानूनों पर जनसमर्थन जुटाएगी। इसके लिए पूरे देश के सभी ब्लॉक स्तर पर एक सभा की जाएगी जहां वर्चुअल मीटिंग के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को संबोधित करेंगे और कृषि कानूनों पर उनकी शंकाओं का समाधान करेंगे।
केंद्र सरकार के सभी मंत्री, पार्टी के नेता, सांसद और अन्य लोग अपने-अपने क्षेत्रों में किसी ब्लॉक पर कार्यक्रम में भाग लेंगे। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, वहां सरकारें इस कार्यक्रम के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में कार्यक्रम चलाया जाएगा।
गुजरात मॉडल की कलई खोलेंगे
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्यवय समिति के नेता अविक साहा ने कहा कि केंद्र सरकार अभी भी अपनी जिद से पीछे हटने का संकेत नहीं दे रही है। वह मुद्दों का हल निकालने की बजाय किसानों को ही कृषि कानून के फायदे समझाने की कोशिश कर रही है। वह यह नहीं बता रही है कि किस प्रकार उसके कृषि मॉडल से कॉर्पोरेट कंपनियां खेती पर कब्जा कर लेंगी और किसान अपने ही खेत में मजदूर बनकर रह जाएगा।
संगठन का दावा है कि गुजरात में इसी मॉडल को आजमाया गया, लेकिन इसका दुष्परिणाम हुआ कि लाखों किसानों ने खेती छोड़कर मजदूरी करना बेहतर समझा है। उन्होंने कहा कि एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक 2011 के पिछले दस सालों में राज्य से 3.55 लाख किसान गायब हो गए, जबकि इसी दौरान मजदूरों की संख्या 17 लाख बढ़ गई। संगठन का दावा है कि ये किसान अपनी खेती छोड़कर मजदूर बन गए, जिसके कारण किसानों की संख्या घटी और मजदूरों की संख्या बढ़ गई। अब मोदी सरकार यही मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहती है।
किसान हमारे साथ- भाजपा
वहीं, भाजपा का दावा है कि एक फीसदी किसान कुछ लोगों के बरगलाने से उसका विरोध कर रहे हैं, जबकि पूरे देश का किसान उनके साथ है। पार्टी महासचिव अरूण सिंह ने अमर उजाला से कहा कि देश के 99 फीसदी किसान उनके साथ हैं। क्योंकि देश का किसान देख रहा है कि पहली बार किसी सरकार ने सीधे उनके लिए काम किया है। जो लाभ उनको आज तक नहीं मिले, वह लाभ उन्हें दिया जा रहा है। यही कारण है कि घबराया विपक्ष अपनी राजनीति खत्म होने के डर से किसानों को भड़काने में जुटा है।