न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Mon, 10 Jan 2022 01:06 PM IST
सुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने सोमवार को दावा किया कि उन्हें धमकी वाले रिकॉर्डेड संदेश के साथ अंतरराष्ट्रीय कॉल आया है। इसमें उनसे मोदी की सुरक्षा में चूक मामले को सुप्रीम कोर्ट में नहीं उठाने और मामले की सुनवाई में मदद नहीं करने की धमकी दी गई है। दावा किया जा रहा है कि यह कॉल सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की ओर से आया है। इस संदेश में पिछले बुधवार को पंजाब में मोदी का काफिला रोकने की जिम्मेदारी भी ली गई।
रिकॉर्डेड संदेश में यह दावा भी किया गया कि 1984 के दंगों के दौरान सिख समुदाय के सदस्यों की हत्याओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पर्याप्त नहीं है। वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने इस प्रकरण की एनआईए जांच की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया, सिख फॉर जस्टिस यूएसए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एओआर (एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड) को भेजे गए ऑडियो को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऑडियो प्रचार से प्रेरित या दोषियों के निशान को धुंधला करने के लिए एक धोखा हो सकता है, लेकिन चूंकि इसमें सुप्रीम कोर्ट जजों व एओआर के लिए परोक्ष खतरा है इसलिए एनआईए को इसकी तुरंत जांच करनी चाहिए।
सोमवार को, ‘लॉयर्स वॉइस’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए, सीजेआई एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाने पर सहमति व्यक्त की है।
लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट में भी SFJ का था हाथ
पिछले दिनों लुधियाना कोर्ट में हुए ब्लास्ट में भी सिख फॉर जस्टिस संगठन का हाथ था। हमले के आरोपी जसविंदर सिंह मुल्तानी को जर्मनी से गिरफ्तार किया गया था। जसविंदर सिंह मुल्तानी 'सिख फॉर जस्टिस' SFJ से जुड़ा हुआ है। गौरतलब है कि सिख फॉर जस्टिस एक खालिस्तानी संगठन है। इस संगठन को भारत सरकार प्रतिबंधित कर चुकी है। संगठन का हेडक्वार्टर अमेरिका में है। इस संगठन के कई सदस्य एनआईए के रडार पर हैं।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने सोमवार को दावा किया कि उन्हें धमकी वाले रिकॉर्डेड संदेश के साथ अंतरराष्ट्रीय कॉल आया है। इसमें उनसे मोदी की सुरक्षा में चूक मामले को सुप्रीम कोर्ट में नहीं उठाने और मामले की सुनवाई में मदद नहीं करने की धमकी दी गई है। दावा किया जा रहा है कि यह कॉल सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) की ओर से आया है। इस संदेश में पिछले बुधवार को पंजाब में मोदी का काफिला रोकने की जिम्मेदारी भी ली गई।
रिकॉर्डेड संदेश में यह दावा भी किया गया कि 1984 के दंगों के दौरान सिख समुदाय के सदस्यों की हत्याओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पर्याप्त नहीं है। वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने इस प्रकरण की एनआईए जांच की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया, सिख फॉर जस्टिस यूएसए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एओआर (एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड) को भेजे गए ऑडियो को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऑडियो प्रचार से प्रेरित या दोषियों के निशान को धुंधला करने के लिए एक धोखा हो सकता है, लेकिन चूंकि इसमें सुप्रीम कोर्ट जजों व एओआर के लिए परोक्ष खतरा है इसलिए एनआईए को इसकी तुरंत जांच करनी चाहिए।
सोमवार को, ‘लॉयर्स वॉइस’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए, सीजेआई एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाने पर सहमति व्यक्त की है।
लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट में भी SFJ का था हाथ
पिछले दिनों लुधियाना कोर्ट में हुए ब्लास्ट में भी सिख फॉर जस्टिस संगठन का हाथ था। हमले के आरोपी जसविंदर सिंह मुल्तानी को जर्मनी से गिरफ्तार किया गया था। जसविंदर सिंह मुल्तानी 'सिख फॉर जस्टिस' SFJ से जुड़ा हुआ है। गौरतलब है कि सिख फॉर जस्टिस एक खालिस्तानी संगठन है। इस संगठन को भारत सरकार प्रतिबंधित कर चुकी है। संगठन का हेडक्वार्टर अमेरिका में है। इस संगठन के कई सदस्य एनआईए के रडार पर हैं।