अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अधिकारियों को जेल भेजने या अवमानना कार्यवाही करने से ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो सकती। साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस पर रोक लगा दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी स्पष्ट शब्दों में कहा कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध करानी ही होगी। केंद्र सरकार को इसके लिए योजना बनाकर बृहस्पतिवार को अगली सुनवाई पर अदालत के सामने पेश करनी होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से मंगलवार को केंद्र के अधिकारियों के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एनवी रमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार के आवेदन का उल्लेख करते हुए बुधवार को ही सुनवाई की गुहार लगाई थी। बुधवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस आवेदन पर सुनवाई की।
दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जेल भेजने और अवमानना की कार्यवाही से किसी को फायदा नहीं होने वाला है। इससे ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। लोगों की जान खतरे में है और इसके लिए केंद्र व दिल्ली सरकार को मिलकर काम करना होगा। पीठ ने कहा कि जब देश महामारी से जूझ रहा हो तो अदालत का प्रयास तमाम हितधारकों के जरिए समस्या का समाधान करने का होना चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट को कोविड-19 प्रबंधन से जुड़े मुद्दों की निगरानी करने से नहीं रोका जा रहा है।
करीब दो घंटा चली सुनवाई में पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारियों को बुधवार रात एकसाथ बैठकर राष्ट्रीय राजधानी को आवश्यक ऑक्सीजन सप्लाई उपलब्ध कराने के विभिन्न तरीकों पर विचार करने को कहा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, यह अखिल भारतीय महामारी की स्थिति है और हमें राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन सप्लाई करने के तरीके तलाशने ही होंगे, क्योंकि हम दिल्ली के लिए लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।
पीठ ने कहा, हम 30 अप्रैल के आदेश की समीक्षा नहीं कर सकते और दिल्ली में उत्पन्न हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन राष्ट्रीय राजधानी को देनी ही होगी। पीठ ने केंद्र सरकार को बृहस्पतिवार सुबह 10.30 बजे तक चार्ट के जरिए यह योजना पेश करने के लिए कहा कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति कैसे की जाएगी? केंद्र को अपने प्लान में ऑक्सीजन आपूर्ति के स्रोत, ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक के बारे में बताने के लिए कहा है। पीठ ने केंद्र सरकार को दिल्ली में हालात का सही आकलन लगाने के लिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों व डॉक्टरों समेत एक समिति गठित करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट में एएसजी की दलील से नाराज दिखे जस्टिस चंद्रचूडृ
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूडृ एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दी गई एक दलील से नाराज दिखे। एएसजी शर्मा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने हमें दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन देने के लिए नहीं कहा है।
सरकार ने कहा कि 700 टन की मांग उचित नहीं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी 700 मीट्रिक टन के आकड़े तक पहुंचने की हरसंभव कोशिश कर रहे है। मंगलवार को 585 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से 700 मीट्रिक टन की मांग न्यायोचित नहीं है। इस पर शीर्ष अदालत ने ऑक्सीजन आवंटन फार्मूले पर गौर करने पर पाया कि ऑक्सीजन का कोटा, सभी आईसीयू बिस्तरों के लिए जरूरत और नॉन-आईसीयू बिस्तरों में से आधों के लिए आवश्यकता की अवधारणा पर आधारित है। पीठ ने कहा, हमें सुनिश्चित करने दीजिए कि जिंदगी बची रहे और सप्लाई को करीब 150 मीट्रिक टन प्रतिदिन बढ़ाकर 700 मीट्रिक टन की सप्लाई तक पहुंचने दीजिए ताकि बहुत सारे लोगों की जान बचाइए। न्याय मित्र वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि अस्पताल के बाहर हजारों लोग हैं, जो ऑक्सीजन की मांग कर रहे हैं। तब जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि हम केवल बिस्तरों के हिसाब से ऑक्सीजन की जरूरत पर आकलन नहीं लगा सकते। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई तक पहुंचने के लिए पूरी कोशिश करने का आश्वासन दिया।
इन्होंने कहा...
लोग अस्पतालों के बाहर हैं और ऑक्सीजन मांग रहे हैं। हम भी दिल्ली में हैं। हमें लगातार फोन आ रहे हैं और हम असहाय हैं। हम कल्पना कर सकते हैं कि आम नागरिक किन हालात से गुजर रहा है। हम सहायता मांग रहे वकीलों समेत लोगों की चीखें सुन रहे हैं।
- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
हम समस्या को जानते है। हम समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां सवाल यह है कि सबसे अच्छा परिणाम कैसे प्राप्त किया जा सकता है और नागरिकों के जीवन को कैसे बचाया जा सकता है।
- जस्टिस एमआर शाह
अदालत ने केंद्र से कहा कि क्यों नहीं वह यह जानकारी सार्वजनिक करती है कि कब तक ऑक्सीजन आ पाएगा और कितना उपलब्ध है। ऐसा करने से लोगों को सहूलियत होगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के आदेश के मुताबिक ऑक्सीजन मुहैया कराने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं। न्यायाधीशों के रूप में हम उतने लोगों के संपर्क में नही हैं कितने आप हैं। लेकिन, मेरे ऑफिस के अधिकारी, वकील रो रहे हैं, मदद मांग रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'केंद्र की जिम्मेदारी है कि आदेश का पालन करे। नाकाम अफसरों को जेल में डालें या फिर अवमानना के लिए तैयार रहें, लेकिन इससे दिल्ली को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी, वो काम करने से ही मिलेगी।' बता दें कि राजधानी में ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को ऑक्सीजन संकट के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और आज ही इस मामले पर सुनवाई करने की अपील की थी। केंद्र सरकार की अपील पर मामले को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
मुंबई मॉडल की तारीफ, बीएमसी से बात करने की सलाह
शीर्ष न्यायालय ने मुंबई में कोविड-19 के मरीजों को ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के महाराष्ट्र के प्रयास की बुधवार को तारीफ की और केंद्र व दिल्ली सरकार से कहा कि वे बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) से इस संबंध में बात करके आपूर्ति प्रबंधन सीखें। पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और प्रधान स्वास्थ्य सचिव समेत केंद्र सरकार के अधिकारियों से कहा कि वे ऑक्सीजन आपूर्ति के मॉडल को लेकर बीएमसी के आयुक्त से बात करें। पीठ ने कहा, 'अगर इतनी ज्यादा आबादी वाले शहर मुंबई में ऐसा किया जा सकता है, तो ऐसा दिल्ली में भी किया जा सकता है।'
क्या है मामला
राजधानी में जारी ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया है कि बाकी दिनों के मुकाबले बीते दिन केंद्र से अधिक ऑक्सीजन मिली है। बता दें कि बीते दिन ही हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी और केंद्र को नोटिस दिया था। केंद्र ने बुधवार को अदालत को बताया कि बीते दिन की सुनवाई को मीडिया में ऐसे दिखाया गया है जैसे केंद्र इस मुद्दे पर असंवेदनशील है, ऐसे में हमने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में पारित आदेशों की अनुपालन न किए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और केंद्र सरकार के अधिकारी के खिलाफ अवमानाना कार्यवाही शुरू की है, जो इस महामारी में अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं।
विस्तार
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अधिकारियों को जेल भेजने या अवमानना कार्यवाही करने से ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो सकती। साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस पर रोक लगा दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी स्पष्ट शब्दों में कहा कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध करानी ही होगी। केंद्र सरकार को इसके लिए योजना बनाकर बृहस्पतिवार को अगली सुनवाई पर अदालत के सामने पेश करनी होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से मंगलवार को केंद्र के अधिकारियों के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एनवी रमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार के आवेदन का उल्लेख करते हुए बुधवार को ही सुनवाई की गुहार लगाई थी। बुधवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस आवेदन पर सुनवाई की।
दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जेल भेजने और अवमानना की कार्यवाही से किसी को फायदा नहीं होने वाला है। इससे ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। लोगों की जान खतरे में है और इसके लिए केंद्र व दिल्ली सरकार को मिलकर काम करना होगा। पीठ ने कहा कि जब देश महामारी से जूझ रहा हो तो अदालत का प्रयास तमाम हितधारकों के जरिए समस्या का समाधान करने का होना चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने अवमानना कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट को कोविड-19 प्रबंधन से जुड़े मुद्दों की निगरानी करने से नहीं रोका जा रहा है।
करीब दो घंटा चली सुनवाई में पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारियों को बुधवार रात एकसाथ बैठकर राष्ट्रीय राजधानी को आवश्यक ऑक्सीजन सप्लाई उपलब्ध कराने के विभिन्न तरीकों पर विचार करने को कहा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, यह अखिल भारतीय महामारी की स्थिति है और हमें राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन सप्लाई करने के तरीके तलाशने ही होंगे, क्योंकि हम दिल्ली के लिए लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।
पीठ ने कहा, हम 30 अप्रैल के आदेश की समीक्षा नहीं कर सकते और दिल्ली में उत्पन्न हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन राष्ट्रीय राजधानी को देनी ही होगी। पीठ ने केंद्र सरकार को बृहस्पतिवार सुबह 10.30 बजे तक चार्ट के जरिए यह योजना पेश करने के लिए कहा कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति कैसे की जाएगी? केंद्र को अपने प्लान में ऑक्सीजन आपूर्ति के स्रोत, ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक के बारे में बताने के लिए कहा है। पीठ ने केंद्र सरकार को दिल्ली में हालात का सही आकलन लगाने के लिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों व डॉक्टरों समेत एक समिति गठित करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट में एएसजी की दलील से नाराज दिखे जस्टिस चंद्रचूडृ
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूडृ एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दी गई एक दलील से नाराज दिखे। एएसजी शर्मा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने हमें दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन देने के लिए नहीं कहा है।
सरकार ने कहा कि 700 टन की मांग उचित नहीं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी 700 मीट्रिक टन के आकड़े तक पहुंचने की हरसंभव कोशिश कर रहे है। मंगलवार को 585 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई। साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से 700 मीट्रिक टन की मांग न्यायोचित नहीं है। इस पर शीर्ष अदालत ने ऑक्सीजन आवंटन फार्मूले पर गौर करने पर पाया कि ऑक्सीजन का कोटा, सभी आईसीयू बिस्तरों के लिए जरूरत और नॉन-आईसीयू बिस्तरों में से आधों के लिए आवश्यकता की अवधारणा पर आधारित है। पीठ ने कहा, हमें सुनिश्चित करने दीजिए कि जिंदगी बची रहे और सप्लाई को करीब 150 मीट्रिक टन प्रतिदिन बढ़ाकर 700 मीट्रिक टन की सप्लाई तक पहुंचने दीजिए ताकि बहुत सारे लोगों की जान बचाइए। न्याय मित्र वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि अस्पताल के बाहर हजारों लोग हैं, जो ऑक्सीजन की मांग कर रहे हैं। तब जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि हम केवल बिस्तरों के हिसाब से ऑक्सीजन की जरूरत पर आकलन नहीं लगा सकते। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई तक पहुंचने के लिए पूरी कोशिश करने का आश्वासन दिया।
इन्होंने कहा...
लोग अस्पतालों के बाहर हैं और ऑक्सीजन मांग रहे हैं। हम भी दिल्ली में हैं। हमें लगातार फोन आ रहे हैं और हम असहाय हैं। हम कल्पना कर सकते हैं कि आम नागरिक किन हालात से गुजर रहा है। हम सहायता मांग रहे वकीलों समेत लोगों की चीखें सुन रहे हैं।
- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
हम समस्या को जानते है। हम समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। यहां सवाल यह है कि सबसे अच्छा परिणाम कैसे प्राप्त किया जा सकता है और नागरिकों के जीवन को कैसे बचाया जा सकता है।
- जस्टिस एमआर शाह
अदालत ने केंद्र से कहा कि क्यों नहीं वह यह जानकारी सार्वजनिक करती है कि कब तक ऑक्सीजन आ पाएगा और कितना उपलब्ध है। ऐसा करने से लोगों को सहूलियत होगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के आदेश के मुताबिक ऑक्सीजन मुहैया कराने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं। न्यायाधीशों के रूप में हम उतने लोगों के संपर्क में नही हैं कितने आप हैं। लेकिन, मेरे ऑफिस के अधिकारी, वकील रो रहे हैं, मदद मांग रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'केंद्र की जिम्मेदारी है कि आदेश का पालन करे। नाकाम अफसरों को जेल में डालें या फिर अवमानना के लिए तैयार रहें, लेकिन इससे दिल्ली को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी, वो काम करने से ही मिलेगी।' बता दें कि राजधानी में ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को ऑक्सीजन संकट के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और आज ही इस मामले पर सुनवाई करने की अपील की थी। केंद्र सरकार की अपील पर मामले को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
मुंबई मॉडल की तारीफ, बीएमसी से बात करने की सलाह
शीर्ष न्यायालय ने मुंबई में कोविड-19 के मरीजों को ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के महाराष्ट्र के प्रयास की बुधवार को तारीफ की और केंद्र व दिल्ली सरकार से कहा कि वे बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) से इस संबंध में बात करके आपूर्ति प्रबंधन सीखें। पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और प्रधान स्वास्थ्य सचिव समेत केंद्र सरकार के अधिकारियों से कहा कि वे ऑक्सीजन आपूर्ति के मॉडल को लेकर बीएमसी के आयुक्त से बात करें। पीठ ने कहा, 'अगर इतनी ज्यादा आबादी वाले शहर मुंबई में ऐसा किया जा सकता है, तो ऐसा दिल्ली में भी किया जा सकता है।'
क्या है मामला
राजधानी में जारी ऑक्सीजन संकट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया है कि बाकी दिनों के मुकाबले बीते दिन केंद्र से अधिक ऑक्सीजन मिली है। बता दें कि बीते दिन ही हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी और केंद्र को नोटिस दिया था। केंद्र ने बुधवार को अदालत को बताया कि बीते दिन की सुनवाई को मीडिया में ऐसे दिखाया गया है जैसे केंद्र इस मुद्दे पर असंवेदनशील है, ऐसे में हमने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी को ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में पारित आदेशों की अनुपालन न किए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और केंद्र सरकार के अधिकारी के खिलाफ अवमानाना कार्यवाही शुरू की है, जो इस महामारी में अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं।