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Mangalore blast: सच साबित हुई सुरक्षा एजेंसियों की चिंता, 'प्याज के छिलके' वाली इस तकनीक को ढाल बना रहे आतंकी

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 23 Nov 2022 07:38 AM IST
सार

Mangaluru auto Blast: वित्त प्रेषण के लिए आतंकी, अनियमित चैनल जैसे 'यूज ऑफ कैश कूरियर' का उपयोग करने लगे हैं। वजह, इसकी तेज स्पीड, भरोसा, उपभोक्ता पहचान चेक व ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड की कमी आदि बातें, आतंकी संगठनों को खूब पसंद आ रही हैं। इस तकनीक के जरिए आतंकी संगठन, ट्रांजेक्शन को संबंधित राज्य की एजेंसियों की जांच से छिपा लेते हैं...

Mangalore blast: Security agencies concerns shows terrorists using dark web technique for hiding
Mangalore auto blast - फोटो : Agency

विस्तार

कर्नाटक के मेंगलुरु शहर के बाहर एक ऑटो में हुए विस्फोट की कड़ियां आतंकी संगठन से जुड़ रही हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी मोहम्मद शरीक, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) आतंकवादी संगठन से प्रेरित रहा है। आईएसआईएस के अलावा उससे जुड़े एक अन्य आतंकी संगठन 'अल हिंद' के सदस्यों के साथ भी शरीक की निकटता रही है। पुलिस के मुताबिक, मोहम्मद शरीक ने अपने आकाओं से संपर्क करने के लिए 'प्याज के छिलके' उतारने वाली तकनीक यानी 'डार्क वेब' का इस्तेमाल किया था। खुद को सुरक्षा एजेंसियों से छिपाने के लिए आतंकी संगठन और उनके सदस्य अब इसी तकनीक को अपना रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह चिंता का सबब है।

कर्नाटक पुलिस के अनुसार, 19 नवंबर की रात पौने आठ बजे मेंगलुरु शहर के बाहर जिस ऑटो में विस्फोट हुआ था, उसकी प्रारंभिक जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं। हालांकि एनआईए की टीम भी मौके पर पहुंची थी। अब इस केस की जांच एनआईए को सौंपे जाने की बात कही जा रही है। वजह, केस की कड़ियां, आतंकी संगठन से जुड़ रही हैं। इस घटना में दो लोग घायल हुए थे, जिनमें एक यात्री और दूसरा आटो ड्राइवर था। यात्री की पहचान, मो. शरीक के रूप में हुई है। आरोपी शरीक के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हैं। अब उसके खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। शरीक के पास जो बैग था, उसी में कुकर बम रखा था। इसी बम के फटने से शरीक और आटो ड्राइवर घायल हो गए थे।

जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बना 'डार्क वेब'

पुलिस का कहना है कि आरोपी शरीक, आतंकी संगठन के सदस्यों से संपर्क करने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल करता था। इसी वजह से वह लंबे समय तक पुलिस से बचता रहा। आरोपी के पास आधार कार्ड सहित कई दूसरे फर्जी दस्तावेज थे। पिछले सप्ताह 'आतंकी फंडिंग' पर अंकुश लगाने के लिए नई दिल्ली में 'नो मनी फॉर टेरर', दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में 75 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने आतंकियों एवं चरमपंथी गतिविधियां चलाने वालों के पास पहुंच रही वित्तीय सहायता पर चिंता जाहिर की थी। जिस चैनल के जरिए यह वित्तीय सहायता पहुंच रही है, उसे रोकने के लिए विभिन्न देशों ने एक ठोस एवं संयुक्त रणनीति बनाने पर सहमति जताई थी। कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने नई टेक्नीक जैसे क्रिप्टो करेंसी, क्राउडफंडिंग और डार्क वैब, आदि एक बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आ रहे हैं।

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