सुरेंद्र मिश्र, अमर उजाला, मुंबई
Updated Fri, 09 Oct 2020 08:20 PM IST
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सार
राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में दिशा कानून से संबंधित विधेयक पेश किया जाएगा। विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को तय समयावधि में सजा दी जा सकेगी...
विस्तार
उत्तर प्रदेश में हाथरस की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर महाराष्ट्र सरकार भी चौकन्नी हो गई है। ठाकरे सरकार राज्य में महिलाओं पर लगातार बढ़ते अत्याचार के मद्देनजर आंध्र प्रदेश की तर्ज पर दिशा कानून बनाने की तैयारी में जुट गई है। आगामी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में इसे कानूनी जामा पहनाया जाएगा।
राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में दिशा कानून से संबंधित विधेयक पेश किया जाएगा। विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को तय समयावधि में सजा दी जा सकेगी। इससे लोगों में डर पैदा होगा और महिला अत्याचार की घटनाओं में कमी आएगी। देशमुख ने कहा कि इस संबंध में मंसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है।
साथ ही, सरकार महिलाओं के मुद्दे पर विशेषज्ञों के सुझावों पर भी गौर करेगी। हालांकि महाराष्ट्र में चार साल पहले अहमदनगर के कोपर्डी में एक युवती से दुष्कर्म और उसकी हत्या के बाद से ही दिशा कानून बनाने की वकालत की जा रही है।
बीते बजट सत्र से पहले फरवरी महीने में भी गृहमंत्री अनिल देशमुख ने दिशा कानून को लेकर विधेयक पेश करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि बजट सत्र समाप्त होने से पहले नया कानून बन जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
महिला अत्याचार के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है महाराष्ट्र
देश में महिला अत्याचार व दुष्कर्म के मामले में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद महाराष्ट्र का तीसरा नंबर है। देश में अपराध का डाटा जुटाने वाली नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी क्राइम इन इंडिया 2019 के तहत महाराष्ट्र में महिला अत्याचार के 37,144 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, यूपी में सबसे ज्यादा 59,853 और राजस्थान में 41,550 मामले दर्ज हुए थे।
क्या है दिशा कानून
हैदराबाद की हैवानियत के बाद आंध्रप्रदेश की जगन सरकार ने दिशा विधेयक 2019 पारित किया था, जिसमें अपराधियों को तय समय में सजा दिलाने का प्रावधान है। दिशा कानून में दुष्कर्म के आरोपी के खिलाफ पुलिस को सात दिन में जांच पूरी करनी होगी। 14 दिन में ट्रायल के बाद पुख्ता सबूत होने पर कोर्ट 21 दिन में दोषी को मौत की सजा सुना सकती है। जबकि बाल यौन शोषण के आरोपियों को 10 से 14 साल तक की सजा का प्रावधान है।
इसके अलावा सोशल मीडिया या डिजिटल मीडिया के जरिए होने वाले शोषण के मामले में आरोपी को पहली बार दो साल और दूसरी बार चार साल की सजा दी जा सकती है। महाराष्ट्र में इससे मिलता-जुलता कानून बनेगा, जिसमें भारतीय दंड संहिता की कुछ धाराओं में सुधार कर महिलाओं को जल्द न्याय दिए जाने का प्रावधान किया जाएगा।