पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई। इस बैठक में सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से एक बात मानकर यह प्रस्ताव पास कर दिया कि मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस के पास राहुल गांधी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मतलब, अब राहुल गांधी यथावत पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे। सीडब्लूसी के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने साफ कर दिया है कि संसद में भी कांग्रेस संसदीय दल के नेता पद की जिम्मेदारी राहुल गांधी ही निभाएंगे।
गुलाम नबी आजाद का कहना है कि राहुल गांधी के पास पर्याप्त अनुभव है। उन्होंने पार्टी के उपाध्यक्ष रहते हुए भी सराहनीय काम किया था। राहुल गांधी तब भी सरकार की कमियों को सदन में उजागर करते थे और आज भी जनहित के मसलों पर वे सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को एक लीडरशिप दी है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय हुई है, वह सिद्धांतों की पराजय नहीं है, बल्कि नंबरों की पराजय है।
सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल ने कहा, मैं पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेता हूं। आप कोई नया अध्यक्ष चुन लें। इसके बाद सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी से आग्रह किया कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। उनका नेतृत्व सबको मंजूर है। चूंकि राहुल गांधी अब लंबे समय से सक्रिय राजनीति में हैं, वे विभिन्न प्रदेशों की समस्याओं, वहां के पदाधिकारियों और पार्टी की भूमिका को बखूबी समझते हैं। अगर मौजूदा परिस्थितियों में किसी दूसरे व्यक्ति को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा तो उसे सारी बातों को समझने में ही पांच साल लग जाएंगे।
सीडब्ल्यूसी ने राहुल गांधी को पूर्ण रूप से अधिकृत किया है कि वे अपनी सुविधानुसार पार्टी पदाधिकारियों को बदल सकते हैं। किस नेता को कौन सी भूमिका देनी है, इस बाबत निर्णय लेने के लिए वे स्वतंत्र हैं। यह तय है कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के नेता की भूमिका राहुल गांधी निभाएंगे और पार्टी अध्यक्ष के तौर पर भी वे कांग्रेस को शिखर तक ले जाएंगे। सीडब्ल्यूसी में करीब 35 नेताओं ने संक्षेप में अपनी बात रखी। जल्द ही सभी राज्य मुख्यालयों पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठकें होंगी।
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई। इस बैठक में सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से एक बात मानकर यह प्रस्ताव पास कर दिया कि मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस के पास राहुल गांधी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मतलब, अब राहुल गांधी यथावत पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे। सीडब्लूसी के सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने साफ कर दिया है कि संसद में भी कांग्रेस संसदीय दल के नेता पद की जिम्मेदारी राहुल गांधी ही निभाएंगे।
गुलाम नबी आजाद का कहना है कि राहुल गांधी के पास पर्याप्त अनुभव है। उन्होंने पार्टी के उपाध्यक्ष रहते हुए भी सराहनीय काम किया था। राहुल गांधी तब भी सरकार की कमियों को सदन में उजागर करते थे और आज भी जनहित के मसलों पर वे सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को एक लीडरशिप दी है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय हुई है, वह सिद्धांतों की पराजय नहीं है, बल्कि नंबरों की पराजय है।
सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल ने कहा, मैं पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेता हूं। आप कोई नया अध्यक्ष चुन लें। इसके बाद सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर राहुल गांधी से आग्रह किया कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। उनका नेतृत्व सबको मंजूर है। चूंकि राहुल गांधी अब लंबे समय से सक्रिय राजनीति में हैं, वे विभिन्न प्रदेशों की समस्याओं, वहां के पदाधिकारियों और पार्टी की भूमिका को बखूबी समझते हैं। अगर मौजूदा परिस्थितियों में किसी दूसरे व्यक्ति को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा तो उसे सारी बातों को समझने में ही पांच साल लग जाएंगे।
सीडब्ल्यूसी ने राहुल गांधी को पूर्ण रूप से अधिकृत किया है कि वे अपनी सुविधानुसार पार्टी पदाधिकारियों को बदल सकते हैं। किस नेता को कौन सी भूमिका देनी है, इस बाबत निर्णय लेने के लिए वे स्वतंत्र हैं। यह तय है कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के नेता की भूमिका राहुल गांधी निभाएंगे और पार्टी अध्यक्ष के तौर पर भी वे कांग्रेस को शिखर तक ले जाएंगे। सीडब्ल्यूसी में करीब 35 नेताओं ने संक्षेप में अपनी बात रखी। जल्द ही सभी राज्य मुख्यालयों पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठकें होंगी।