पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
पुणे के एल्गार परिषद मामले में महाराष्ट्र की जेल में बंद वामपंथी लेखक और कार्यकर्ता वरवरा राव को स्वास्थ्य खराब होने के चलते मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राव के परिजनों ने शनिवार को उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किए जाने की अपील की है।
हैदराबाद के पुलिस आयुक्त अंजनि कुमार ने ट्वीट में लिखा, "न्यायिक हिरासत में चल रहे वरवरा राव को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराने की बात संज्ञान में आई है। उनके परिजनों को इसकी जानकारी दे दी गई है और उनके मुंबई जाने के लिए डीसीपी सीजेड ने आवश्यक पास जारी कर दिया है। हम इस मामले में मुंबई पुलिस के साथ संपर्क में हैं।"
80 वर्षीय वरवरा राव को 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद में उत्तेजित भाषणों के बाद अगले दिन भीमा कोरेगांव के आसपास भड़की भयानक हिंसा से जुड़ी जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उनके साथ 10 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था। इस आयोजन के पीछे प्रतिबंधित माओवादी का हाथ होने की बात सामने आई थी। राव फिलहाल न्यायिक हिरासत में नवी मुंबई की तालोजा जेल में बंद हैं।
राव की पत्नी हेमलता ने कहा, "हमें हैदराबाद में शुक्रवार रात को पुलिस से जानकारी मिली है कि राव को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें मुंबई में अस्पताल में भर्ती कराए जाने का कारण स्पष्ट नहीं है।" उन्होंने कहा, "राव को 18 महीने से झूठे आरोपों में कैद में रखा गया है। उन्हें पहले से ही दिल से जुड़ी बीमारी और हायपरटेंशन की शिकायत है। उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "हैदराबाद पुलिस की तरफ से मुंबई भेजने के इंतजाम करने की बात कहना ज्यादा चिंतित कर रहा है। मैं 72 साल की हूं और मेरा स्वास्थ्य ऐसा नहीं है कि यात्रा कर सकूं।" उन्होंने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और तेलंगाना सरकार से राव के साथ तत्काल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात कराने की अपील की।
राजनीतिक कार्ड खेलने की भी कोशिश की
वरवरा राव की पत्नी हेमलता ने राजनीतिक कार्ड खेलने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा, "केंद्रीय गृह राज्य मंत्री एक तेलुगू व्यक्ति हैं और उन्हें वरवरा राव को जमानत पर रिहा कराने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "यह तेलंगाना सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह वरवरा राव के स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखे, क्योंकि उन्होंने 1969 से आंदोलन करते हुए अलग तेलंगाना राज्य बनाने में अहम योगदान दिया है।"
वहीं, जब इस बारे में रेड्डी से वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हम कानून के मुताबिक इस मामले में कदम उठाएंगे। निश्चित तौर पर हम सभी को स्वस्थ देखना चाहते हैं। हम सोचेंगे कि हम कानून के तहत क्या मदद कर सकते हैं। हमने हमेशा मानवीय रुख ही अपनाया है।"
पुणे के एल्गार परिषद मामले में महाराष्ट्र की जेल में बंद वामपंथी लेखक और कार्यकर्ता वरवरा राव को स्वास्थ्य खराब होने के चलते मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राव के परिजनों ने शनिवार को उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किए जाने की अपील की है।
हैदराबाद के पुलिस आयुक्त अंजनि कुमार ने ट्वीट में लिखा, "न्यायिक हिरासत में चल रहे वरवरा राव को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराने की बात संज्ञान में आई है। उनके परिजनों को इसकी जानकारी दे दी गई है और उनके मुंबई जाने के लिए डीसीपी सीजेड ने आवश्यक पास जारी कर दिया है। हम इस मामले में मुंबई पुलिस के साथ संपर्क में हैं।"
80 वर्षीय वरवरा राव को 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद में उत्तेजित भाषणों के बाद अगले दिन भीमा कोरेगांव के आसपास भड़की भयानक हिंसा से जुड़ी जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उनके साथ 10 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था। इस आयोजन के पीछे प्रतिबंधित माओवादी का हाथ होने की बात सामने आई थी। राव फिलहाल न्यायिक हिरासत में नवी मुंबई की तालोजा जेल में बंद हैं।
राव की पत्नी हेमलता ने कहा, "हमें हैदराबाद में शुक्रवार रात को पुलिस से जानकारी मिली है कि राव को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। उन्हें मुंबई में अस्पताल में भर्ती कराए जाने का कारण स्पष्ट नहीं है।" उन्होंने कहा, "राव को 18 महीने से झूठे आरोपों में कैद में रखा गया है। उन्हें पहले से ही दिल से जुड़ी बीमारी और हायपरटेंशन की शिकायत है। उन्हें तत्काल जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "हैदराबाद पुलिस की तरफ से मुंबई भेजने के इंतजाम करने की बात कहना ज्यादा चिंतित कर रहा है। मैं 72 साल की हूं और मेरा स्वास्थ्य ऐसा नहीं है कि यात्रा कर सकूं।" उन्होंने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और तेलंगाना सरकार से राव के साथ तत्काल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात कराने की अपील की।
राजनीतिक कार्ड खेलने की भी कोशिश की
वरवरा राव की पत्नी हेमलता ने राजनीतिक कार्ड खेलने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा, "केंद्रीय गृह राज्य मंत्री एक तेलुगू व्यक्ति हैं और उन्हें वरवरा राव को जमानत पर रिहा कराने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "यह तेलंगाना सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह वरवरा राव के स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखे, क्योंकि उन्होंने 1969 से आंदोलन करते हुए अलग तेलंगाना राज्य बनाने में अहम योगदान दिया है।"
वहीं, जब इस बारे में रेड्डी से वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हम कानून के मुताबिक इस मामले में कदम उठाएंगे। निश्चित तौर पर हम सभी को स्वस्थ देखना चाहते हैं। हम सोचेंगे कि हम कानून के तहत क्या मदद कर सकते हैं। हमने हमेशा मानवीय रुख ही अपनाया है।"