भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का पहला मानव रहित गगनयान मिशन का प्रक्षेपण इस साल दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है। कोरोना की वजह से यह मिशन एक साल की देरी से चल रही है। इसका प्रक्षेपण दिसंबर 2020 में होना था। लेकिन तय समय में हार्डवेयर की आपूर्ति में हुई देरी की वजह से इसे मानव रेटिंग बनाना संभव नहीं हो सका।
मानव रेटिंग प्रक्षेपण यान उसे माना जाता है, जिसके हार्डवेयर की विश्वसनीयता 0.99 होती है। गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में एक के बाद एक दो मानव रहित यान के प्रक्षेपण की योजना है। बंगलूरू स्थित अंतरिक्ष एजेंसी मुख्यालय से आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोरोना महामारी की पहले और दूसरी लहर ने गगनयान कार्यक्रम को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘मिशन के लिए हार्डवेयर औद्योगिक कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग अवधि में लॉकडाउन की वजह से समय पर इसकी आपूर्ति नहीं हो सकी। हार्डवेयर का डिजाइन, विश्लेषण और प्रलेखन इसरो द्वारा किया जाता है। जबकि गगनयान के लिए हार्डवेयर के निर्माण और आपूर्ति का काम देश के सैकड़ों औद्योगिक कंपनियों द्वारा किया जाता है।’
सूत्रों का कहना है कि इसरो कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों और घटकों की आपूर्ति में फ्रांसीसी, रूसी और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद भी ले रहा है। गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य एक भारतीय प्रक्षेपण यान पर मनुष्यों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है।
रूस में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवार पूरा कर चुके हैं प्रशिक्षण
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने इस साल फरवरी में कहा था कि पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2021 में और दूसरा मानव रहित मिशन 2022-23 में, इसके बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रदर्शन की योजना है। गगनयान कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर भारत के चार अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवार रूस में अंतरिक्ष उड़ान का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। मिशन के लिए इसरो के हेवी-लिफ्ट लांचर जीएसएलवी एमके-।।। की पहचान की गई है।
2022 में मानव अंतरिक्ष यान लांच करना था प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य
सनद रहे कि गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान की थी। प्रारंभिक लक्ष्य 15 अगस्त, 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले मानव अंतरिक्ष यान को लांच करना था।
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि ‘कोरोना की वजह से भारत में बंद पड़े उद्योगों की वजह से ‘गगनयान मिशन’ के लिए हार्डवेयर प्राप्ति में देरी हो रही है। लेकिन फिर भी हम भारत सरकार द्वारा निर्धारित मिशन के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। अभी उन्हें यकीन नहीं है कि इसरो अगले साल अगस्त तक मानवयुक्त मिशन के लक्ष्य को पूरा कर पाएगा या नहीं। मेरे लिए प्रतिबद्ध होना बहुत जल्दी हो सकता है। लेकिन हम उस समय तक मिशन को लक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।’
विस्तार
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का पहला मानव रहित गगनयान मिशन का प्रक्षेपण इस साल दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है। कोरोना की वजह से यह मिशन एक साल की देरी से चल रही है। इसका प्रक्षेपण दिसंबर 2020 में होना था। लेकिन तय समय में हार्डवेयर की आपूर्ति में हुई देरी की वजह से इसे मानव रेटिंग बनाना संभव नहीं हो सका।
मानव रेटिंग प्रक्षेपण यान उसे माना जाता है, जिसके हार्डवेयर की विश्वसनीयता 0.99 होती है। गगनयान मिशन के हिस्से के रूप में एक के बाद एक दो मानव रहित यान के प्रक्षेपण की योजना है। बंगलूरू स्थित अंतरिक्ष एजेंसी मुख्यालय से आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोरोना महामारी की पहले और दूसरी लहर ने गगनयान कार्यक्रम को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘मिशन के लिए हार्डवेयर औद्योगिक कंपनियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग अवधि में लॉकडाउन की वजह से समय पर इसकी आपूर्ति नहीं हो सकी। हार्डवेयर का डिजाइन, विश्लेषण और प्रलेखन इसरो द्वारा किया जाता है। जबकि गगनयान के लिए हार्डवेयर के निर्माण और आपूर्ति का काम देश के सैकड़ों औद्योगिक कंपनियों द्वारा किया जाता है।’
सूत्रों का कहना है कि इसरो कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों और घटकों की आपूर्ति में फ्रांसीसी, रूसी और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद भी ले रहा है। गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य एक भारतीय प्रक्षेपण यान पर मनुष्यों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है।
रूस में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवार पूरा कर चुके हैं प्रशिक्षण
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने इस साल फरवरी में कहा था कि पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2021 में और दूसरा मानव रहित मिशन 2022-23 में, इसके बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रदर्शन की योजना है। गगनयान कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर भारत के चार अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवार रूस में अंतरिक्ष उड़ान का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। मिशन के लिए इसरो के हेवी-लिफ्ट लांचर जीएसएलवी एमके-।।। की पहचान की गई है।
2022 में मानव अंतरिक्ष यान लांच करना था प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य
सनद रहे कि गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान की थी। प्रारंभिक लक्ष्य 15 अगस्त, 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले मानव अंतरिक्ष यान को लांच करना था।
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि ‘कोरोना की वजह से भारत में बंद पड़े उद्योगों की वजह से ‘गगनयान मिशन’ के लिए हार्डवेयर प्राप्ति में देरी हो रही है। लेकिन फिर भी हम भारत सरकार द्वारा निर्धारित मिशन के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। अभी उन्हें यकीन नहीं है कि इसरो अगले साल अगस्त तक मानवयुक्त मिशन के लक्ष्य को पूरा कर पाएगा या नहीं। मेरे लिए प्रतिबद्ध होना बहुत जल्दी हो सकता है। लेकिन हम उस समय तक मिशन को लक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।’